अफसरों का काला धन 'अध्यापकों' के खाते में

जागरण संवाददाता, मथुरा: सरकार द्वारा बड़े नोटों को लेकर की गई नई व्यवस्था से भ्रष्ट अफसरों में खलबली मची हुई है। ढाई लाख रुपये से अधिक एक खाते में जमा होने पर इसके स्त्रोतों को उजागर करने की बाध्यता से भ्रष्ट अफसर अपने कालेधन को ठिकाने लगाने में जुटे हुए हैं।
आयकर से बचने और कालेधन को सुरक्षित करने को नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं। अपने चहेतों को लालच और ऑफर दे रहे हैं। इसी प्रयास में कई भ्रष्ट अफसरों का काला धन मध्यमवर्गीय परिवार के शिक्षक और किसानों के खाते में जमा कराया जा रहा है।
ऐसे लोग भरोसेमंद अधीनस्थ कर्मियों, उनके परिजनों के खाते में एक-एक और दो-दो लाख रुपये जमा करवा रहे हैं। अन्य जिले में तैनात शिक्षा विभाग के एक अफसर ने मथुरा में अपने विश्वासपात्र एक प्रधानाचार्य को 60 लाख रुपये दिए। जिसे प्रधानाचार्य ने अपने कॉलेज के अध्यापकों और उन्होंने अपनी पत्नियों और दोस्तों के खाते में जमा करा दिया। कुछ भ्रष्ट अफसर अपने अधीनस्थों को यह ऑफर भी दे रहे हैं कि वे उनकी नकदी से कर्ज, होम लोन, कार लोन आदि को चुका दें। बाद में उन्हें नकदी लौटा दें, वो भी बिना ब्याज के।
इधर, जल निगम, लोकनिर्माण और ¨सचाई विभाग के भी कुछ अफसर और ठेकेदार अपने कालेधन को ग्रामीणों तक पहुंचा रहे हैं। गांव के भरोसेमंद किसानों के खाते में रुपये जमा किए जा रहे हैं। इस कड़ी में कुछ लोगों को बाद में नकदी वापस कराने के लिए जिम्मा सौंपा गया है।
एक शिक्षक ने बताया कि शिक्षा विभाग के एक जिला स्तर के अफसर पूर्व में मथुरा में तैनात रहे हैं। वर्तमान में दूसरे जिले में तैनात हैं। उन्होंने 60 लाख रुपये अपने भरोसेमंद एक कॉलेज के ¨प्रसीपल को दिया था। जिसे ¨प्रसीपल ने शिक्षकों के जरिए कई अन्य लोगों के नाम पर जमा करा दिया है। इसमें शिक्षकों को सिर्फ नकदी लौटानी है, ब्याज की रकम शिक्षकों से नहीं ली जाएगी। और वर्ष 2017 में नकदी को वापस करने की बात कही है।

पुराने नोटों से फ्लैट और प्लॉट का ऑफर: पुराने नोटों को बैंक में जमा करा देने की बाध्यता के चलते बिल्डर परेशान हैं। उनके फ्लैट और प्लॉट नहीं बिक रहे। ऐसे में कुछ बिल्डरों ने पुराने नोटों से फ्लैट और प्लॉट खरीदने का ऑफर ग्राहकों को दिया है। ग्राहकों के मोबाइल पर बिल्डर के लोगों की कॉल आ रही है। उन्हें कम कम कीमत पर सौदा करने का ऑफर दिया जा रहा है।

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