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प्रमोशन में आरक्षण कानून सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द, राज्य सरकार ने एससी-एसटी में आरक्षण का किया था प्रावधान

नई दिल्ली, प्रेट्र : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार के प्रमोशन में आरक्षण कानून को निरस्त कर दिया है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस अधिनियम में पर्याप्त प्रतिनिधित्व, पिछड़ापन और निपुणता के निर्धारित मानदंड का पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने राज्य के ‘कैच अप’ नियम को भी बरकरार रखा है।
1कर्नाटक सरकार के प्रोन्नति में आरक्षण कानून, 2002 के तहत कैच अप प्रावधान को खत्म कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के फैसले में कैच अप नियम को परिभाषित किया है। इसके अनुसार, यदि सामान्य श्रेणी के वरिष्ठ कर्मचारियों को अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) के कर्मचारियों से पहले प्रोन्नति मिलती है तो दोनों श्रेणियों के कर्मियों के समान स्तर में आने पर सामान्य वर्ग के कर्मचारियों की वरिष्ठता कायम रहेगी। कर्नाटक सरकार ने कानून बनाकर इस प्रावधान को खत्म कर दिया था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने इसे उचित ठहराया था। राज्य के कर्मचारियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 1जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने राज्य कानून के इस प्रावधान को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 16 (सरकारी नौकरियों में अवसर की समानता) का उल्लंघन करार दिया। कोर्ट ने कहा कि 85वें संविधान संशोधन के तहत राज्यों को प्रमोशन में आरक्षण का तौर तरीका निर्धारित करने का अधिकार है। इस तरह का फैसला लेने से पहले उसे पर्याप्त प्रतिनिधित्व का अभाव, पिछड़ापन और निपुणता के मापदंडों का पालन जरूरी है। कर्नाटक सरकार के कानून में इसको ध्यान में नहीं रखा गया। कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को गलत करार दिया।

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