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72825 भर्ती 2011.... कहाँ से चले और कहाँ आ गये ? नया विज्ञापन vs पुराना विज्ञापन

72825 भर्ती 2011.... कहाँ से चले और कहाँ आ गये ?
किसी अचयनीत ने ठंडे दिमाग से कभी यॆ नहीँ सोचा होगा की sc में मुख्य विवादित मुद्दा तो " नया विज्ञापन vs पुराना विज्ञापन" यानी  (12वा संशोधन vs15-16 वा संशोधन )ही था , यॆ sm मुद्दा Q चिपका दिया गया ?

जिससे की मुख्य विवादित मुद्दे को हल करने में अनावश्यक इतना विलम्ब हुआ....
सोचियेगा इससे किसको क्या फायदा मिला ?
किसको क्या नुकसान हुआ और हो रहा हैं....
यॆ सब एक चाल के तहत कुछ महान मठाधीशो तथाकथित नेता एवम उनके चाटुकारो /कमीशन एजेंटों के जरिये करवाया गया था !
पहले tet मेरिट के लिये लोगों को बरगलाने का कार्य इन्हीं तथाकथित नेताओं द्वारा किया गया ,
जबकि इनको सब कुछ ज्ञात था की tet 2011 में कितना फर्जीवाडा हुआ हैं (कई नामी गिरामी हस्तियां इस फ़र्जीवाड़े के गटर में डुबकी भी लगाये हुये हैं )
# फिर भी इसको कभी कोर्ट के समक्ष प्रारम्भिक चरण में नहीँ रक्खा क्यु ?
इस मामले में अचयनितो का ध्यान ना जा सके तो अपने एजेंटों से सुप्रीमकोर्ट के आदेशों का अपने स्वार्थ के अनुसार व्याख्या करके कभी
# 90-105 तक के सभी लोगों का चयन
# कभी पूर्ण समायोजन की बात कर के लूट का व्यापार चलाया...
जबकि हकीकत से सभी तथाकथित नेता वाकिफ थे और हैं की ऐसा होना सम्भव नहीँ हैं ,पर पैसे ने सब करवाया..
बिल्ली के भाग्य से 7/12/2015 को ऐसा छींका टूटा की इन तथाकथित ठग नेताओं की चाँदी ही हो गई ,इसी क्रम में पैसों की चमक से कइयों ने अपनी अलग- अलग कम्पनी खोल ली तथा अपनी फ्रेंचाइजी जनपद स्तर तक बाँट कर अपने एजेंटों के माध्यम से आज तक बेरोजगारो का शोषण कर रहे...
अचयनीतो !
ज़रा अपने दिमाग से सोचो ,
**क्या सुप्रीमकोर्ट यॆ विवाद हल नहीँ कर सकती ?
**क्या कोई भर्ती सर्विस रूल्स के विपरीत हो सकती है ?
** जब अंतरिम आदेश के तहत एक विज्ञापन पर भर्ती हो सकती है (लगभग पूर्ण )
तो अंतरिम आदेश से ही दूसरे विज्ञापन (स्टे ही लगा है ,रद्द नहीँ हुआ )पर भी भर्ती शुरू करने की माँग कोर्ट से Q नहीँ की जाती ?
क्या आपने इस विज्ञापन में आवेदन नहीँ किया था ?
क्या आप इससे प्रभावित नहीँ हैं ?
#जबकि दोनों विज्ञापन के पद सिर्फ bed वालों के लिये हैं और प्रयास करने पर इतने पद bed वालों को आराम से मिल भी जायेंगे...
(72825+72825=145650)
अधिकतम इतने ही पद मिल सकते हैं ,
वैसे भी कुल tet उत्तीर्ण (फर्जी मोहन मेरिट सहित ) 293000 ही तो हैं
यानी हर दूसरा चयनित...
आज मैं दावे के साथ कहता हूँ
कोई भी चयनित/तदर्थ चयनित अभी नहीँ चाहेगा की मुख्य विवाद के निपटारे /निर्णय के लिये, मेरिट पर बहस हो...
कारण , उनको तो सरकारी वेतन मिल ही रहा है ,
लेकिन अफसोस लोग अभी भी उन्ही के दिशा निर्देशन में अपने पैर कुल्हाडी मारते जा रहे...
मानव स्वाभाव है की व्यक्ति सर्वप्रथम अपना ही हित देखता है ,ऐसा चयनित/तदर्थ चयनित भी कर रहे तो गलत नहीँ है....
अपनी बचाने के लिये वो साम-दाम-दण्ड-भेद सब लगाते आये हैं और आगे भी ऐसा ही करेंगे..
लेकिन अचयनित क्या करेंगे ?
निवेदन हैं की अचयनीत खुद आगे आयॆ,
अपने भविष्य के लिये जो उचित हो वो करें !
कहने को तो बहुत है ,
पर फिर कभी...
विनय कुमार श्रीवास्तव
अधिवक्ता उच्च न्यायालय
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