इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में याचियों को आखिरकार मौलिक नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। शासन की लेटलतीफी और आचार संहिता के कारण याची अपने साथियों से जूनियर जरूर हो गए हैं। माना जा रहा है कि होली के पहले तक सभी को नियुक्ति मिल जाएगी।
इन्हें प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011 के रूप में नियुक्ति मिली थी। उनका प्रशिक्षण पूरा होने के बाद बीते 9 एवं 10 सितंबर को परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने परीक्षा कराई और उसका परिणाम बीते छह अक्टूबर को जारी किया गया। इसमें 839 प्रशिक्षु शिक्षक सफल भी हो गए, लेकिन उन्हें मौलिक नियुक्ति नहीं दी गई। अधिकारियों का कहना था कि विशेष अनुज्ञा याचिका के तहत नियुक्त 839 शिक्षकों का प्रकरण अभी शीर्ष कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए उन्हें सहायक अध्यापक पद पर तैनात करने के लिए शासन से अगला आदेश मिलने पर कार्यवाही की जाएगी। प्रशिक्षु शिक्षक इसके विरोध में कई दिनों तक शिक्षा निदेशालय में धरना प्रदर्शन करते रहे। 1शासन ने बीते तीन जनवरी को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया, लेकिन अगले ही दिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने मौलिक नियुक्ति देने से इन्कार कर दिया।
ऐसे में प्रशिक्षुओं ने हाईकोर्ट का सहारा लिया। न्यायालय ने नियुक्ति देने का आदेश जारी किया है। इस मैराथन प्रक्रिया के कारण प्रशिक्षु शिक्षक अपने साथियों से जूनियर हो गए हैं। अब बीएसए प्रशिक्षुओं को नया विद्यालय आवंटित करेंगे। अशोक द्विवेदी ने कहा है कि देर से ही सही लेकिन न्याय मिला है।
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इन्हें प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011 के रूप में नियुक्ति मिली थी। उनका प्रशिक्षण पूरा होने के बाद बीते 9 एवं 10 सितंबर को परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने परीक्षा कराई और उसका परिणाम बीते छह अक्टूबर को जारी किया गया। इसमें 839 प्रशिक्षु शिक्षक सफल भी हो गए, लेकिन उन्हें मौलिक नियुक्ति नहीं दी गई। अधिकारियों का कहना था कि विशेष अनुज्ञा याचिका के तहत नियुक्त 839 शिक्षकों का प्रकरण अभी शीर्ष कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए उन्हें सहायक अध्यापक पद पर तैनात करने के लिए शासन से अगला आदेश मिलने पर कार्यवाही की जाएगी। प्रशिक्षु शिक्षक इसके विरोध में कई दिनों तक शिक्षा निदेशालय में धरना प्रदर्शन करते रहे। 1शासन ने बीते तीन जनवरी को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया, लेकिन अगले ही दिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने मौलिक नियुक्ति देने से इन्कार कर दिया।
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