शिक्षक के कपड़ों के सम्बन्ध मे जो आदेश निकाला गया है वो समझ से परे है। अगर शिक्षक एक संवेधानिक प्रक्रिया के तहत सरकारी जॉब पाता है तो उससे ये अपेक्षा रहती है कि वो शिक्षक होने के सारे गुण रखता है और शिक्षक होने की मर्यादा उसका विशेष गुण है।
शासन को पहला काम ये करना चाहिए कि शिक्षक को सभी प्रकार के शिक्षणेत्तर कार्यों से मुक्त कर देना चाहिए। पर ये कोई सरकार नही करेगी क्योकिं आधारभूत ढांचा इतना कठिन है कि सिर्फ बेसिक शिक्षक ही यहां रहकर कार्य कर सकता है न ही कोई मंत्री न कोई सरकार। इसी बात से समझा जा सकता है कि बेसिक शिक्षक को किन मुख्य समस्याओं से जूझना पड़ता है।
दूसरी बात शिक्षको से जुड़े आर्थिक पक्ष सम्बंधित चिंताओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाना चाहिए पर ये भी नही हो सकता क्योकिं जब तक शिक्षक का वेतन रोका नही जायेगा तो बाद मे एरियर कैसे बनेगा और बसूली कैसे होगी। अतः ये भी सरकार नही कर सकती।
तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात शिक्षक को कर्मचारी या नोकर मानने की मानसिकता से मुक्त होने की जरूरत है क्योकिं अधिकतर अधिकारी उनसे कर्मचारी की तरह व्यवहार करता है न कि शिक्षक की तरह। जब तक शिक्षक को शिक्षक नही समझा जायेगा तब तक सुधार संभव नही है।
चौथी बात, सरकार को चाहिए की कुकरमुत्तों की तरह उग आये स्कूलों पर लगाम लगाये। 2 कमरों मे पूरा इंटर कॉलेज चलता है और शायद एक पेड़ के नीचे एक मांटेसरी स्कूल। ये स्कूल बेसिक मानकों को पूरा भी नही करते। पर ऐसे स्कूलों की भरमार है। इन्हें रोकने की जरूरत है वरना ये शैक्षिक वातावरण को दूषित ही नही बर्बाद कर देंगे।
प्राइमरी स्कूलों मे शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए उसे कदमों की जरूरत है जो जमीन पर लागूं हो। खानापूर्ति बन्द होनी चाहिए। शिक्षक भी शिक्षण जब ही कर सकता है जब उसको यथोचित सम्मान मिले।
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दूसरी बात शिक्षको से जुड़े आर्थिक पक्ष सम्बंधित चिंताओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाना चाहिए पर ये भी नही हो सकता क्योकिं जब तक शिक्षक का वेतन रोका नही जायेगा तो बाद मे एरियर कैसे बनेगा और बसूली कैसे होगी। अतः ये भी सरकार नही कर सकती।
तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात शिक्षक को कर्मचारी या नोकर मानने की मानसिकता से मुक्त होने की जरूरत है क्योकिं अधिकतर अधिकारी उनसे कर्मचारी की तरह व्यवहार करता है न कि शिक्षक की तरह। जब तक शिक्षक को शिक्षक नही समझा जायेगा तब तक सुधार संभव नही है।
चौथी बात, सरकार को चाहिए की कुकरमुत्तों की तरह उग आये स्कूलों पर लगाम लगाये। 2 कमरों मे पूरा इंटर कॉलेज चलता है और शायद एक पेड़ के नीचे एक मांटेसरी स्कूल। ये स्कूल बेसिक मानकों को पूरा भी नही करते। पर ऐसे स्कूलों की भरमार है। इन्हें रोकने की जरूरत है वरना ये शैक्षिक वातावरण को दूषित ही नही बर्बाद कर देंगे।
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