त्रिपुरा में शिक्षकों को समायोजित करने के लिए 13 हजार पद सृजित किए त्रिपुरा सरकार ने बुधवार को 13,000 गैर-शिक्षण पदों को सृजित करने की घोषणा की है। बता दें कि 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 10,323 शिक्षकों हटाने के आदेश दिए गए थे।
त्रिपुरा सरकार ने बुधवार को 13,000 गैर-शिक्षण पदों को सृजित करने की घोषणा की है। बता दें कि 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 10,323 शिक्षकों हटाने के आदेश दिए गए थे।
बुधवार को मंत्री परिषद की आयोजित बैठक यह फैसला लिया गया। शिक्षा और कानून मंत्री तपन चक्रवर्ती ने कहा कि शिक्षा विभाग में 12 हजार गैर-शिक्षण पद बनाए गए थे और समाज कल्याण और सामाजिक शिक्षा विभाग के तहत 1,000 पदों का गठन किया गया था। इन पदों पर जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही 13,000 नव निर्मित पदों के लिए योग्य लोगों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। चक्रवर्ती ने संवाददाताओं से कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में हटाए गए शिक्षक भी इन नवगठित 13,000 पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं।' उन्होंने कहा कि सभी 13,000 पद गैर-शिक्षण आवेदकों के लिए हैं, इसलिए वे शिक्षा के अधिकार कानून में निर्धारित कई मापदंडों को पूरा नहीं करेंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने 10,323 सरकारी शिक्षकों की नौकरी समाप्त करने के बाद त्रिपुरा सरकार को एक अजीब स्थिति में ला दिया था। एक वरिष्ठ मंत्री बताया कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुई पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए त्रिपुरा सरकार ने ये महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 13,000 पदों पर सभी 10,323 शिक्षकों को समायोजित कर उनकी नौकरी की रक्षा की जाएगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च को त्रिपुरा उच्च न्यायालय के 10,323 शिक्षकों की नौकरी समाप्त करने के आदेश को बरकरार रखा था, और उन्हें 31 दिसंबर तक अपनी सेवा जारी रखने की इजाजत दी थी। अदालत ने राज्य सरकार को 30 अप्रैल तक नई रोजगार नीति बनाकर 31 मई से नई भर्ती शुरू करने और 31 दिसंबर तक इसे पूरा करने को कहा था। न्यायालय ने सभी शिक्षकों और उम्मीदवारों का चयन प्रक्रिया में उम्र सीमा में छूट देने की अनुमति दी थी, ताकि हटाए गए शिक्षकों में से योग्य शिक्षक फिर से नियुक्त हो सकें। बता दें कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक कुमार गुप्ता की अध्यक्षता वाली त्रिपुरा उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इन शिक्षकों की भर्ति में अनियमितता पाई थी। गैर-शिक्षण पदों के लिए सृजित भर्ती में शैक्षणिक परामर्शदाता (1,200 पद), छात्र सलाहकार (3,400), स्कूल लाइब्रेरी सहायक (1,500), छात्रावास वॉर्डन (300) और स्कूल सहायक (5,600) और प्रारंभिक बचपन समन्वयक (1,000) के पद शामिल हैं। मंत्री ने कहा कि शैक्षिक परामर्शदाता पद के लिए आवेदकों को स्नातकोत्तर डिग्री, छात्र काउंसलर, स्कूल लाइब्रेरी सहायक, हॉस्टल वार्डन के पदों के लिए, कम से कम स्नातक होना चाहिए, शेष पदों के लिए योग्यता माध्यमिक होगी और उच्च माध्यमिक डिग्री होगी।
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त्रिपुरा सरकार ने बुधवार को 13,000 गैर-शिक्षण पदों को सृजित करने की घोषणा की है। बता दें कि 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 10,323 शिक्षकों हटाने के आदेश दिए गए थे।
बुधवार को मंत्री परिषद की आयोजित बैठक यह फैसला लिया गया। शिक्षा और कानून मंत्री तपन चक्रवर्ती ने कहा कि शिक्षा विभाग में 12 हजार गैर-शिक्षण पद बनाए गए थे और समाज कल्याण और सामाजिक शिक्षा विभाग के तहत 1,000 पदों का गठन किया गया था। इन पदों पर जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही 13,000 नव निर्मित पदों के लिए योग्य लोगों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। चक्रवर्ती ने संवाददाताओं से कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में हटाए गए शिक्षक भी इन नवगठित 13,000 पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं।' उन्होंने कहा कि सभी 13,000 पद गैर-शिक्षण आवेदकों के लिए हैं, इसलिए वे शिक्षा के अधिकार कानून में निर्धारित कई मापदंडों को पूरा नहीं करेंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने 10,323 सरकारी शिक्षकों की नौकरी समाप्त करने के बाद त्रिपुरा सरकार को एक अजीब स्थिति में ला दिया था। एक वरिष्ठ मंत्री बताया कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुई पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए त्रिपुरा सरकार ने ये महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 13,000 पदों पर सभी 10,323 शिक्षकों को समायोजित कर उनकी नौकरी की रक्षा की जाएगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च को त्रिपुरा उच्च न्यायालय के 10,323 शिक्षकों की नौकरी समाप्त करने के आदेश को बरकरार रखा था, और उन्हें 31 दिसंबर तक अपनी सेवा जारी रखने की इजाजत दी थी। अदालत ने राज्य सरकार को 30 अप्रैल तक नई रोजगार नीति बनाकर 31 मई से नई भर्ती शुरू करने और 31 दिसंबर तक इसे पूरा करने को कहा था। न्यायालय ने सभी शिक्षकों और उम्मीदवारों का चयन प्रक्रिया में उम्र सीमा में छूट देने की अनुमति दी थी, ताकि हटाए गए शिक्षकों में से योग्य शिक्षक फिर से नियुक्त हो सकें। बता दें कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक कुमार गुप्ता की अध्यक्षता वाली त्रिपुरा उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इन शिक्षकों की भर्ति में अनियमितता पाई थी। गैर-शिक्षण पदों के लिए सृजित भर्ती में शैक्षणिक परामर्शदाता (1,200 पद), छात्र सलाहकार (3,400), स्कूल लाइब्रेरी सहायक (1,500), छात्रावास वॉर्डन (300) और स्कूल सहायक (5,600) और प्रारंभिक बचपन समन्वयक (1,000) के पद शामिल हैं। मंत्री ने कहा कि शैक्षिक परामर्शदाता पद के लिए आवेदकों को स्नातकोत्तर डिग्री, छात्र काउंसलर, स्कूल लाइब्रेरी सहायक, हॉस्टल वार्डन के पदों के लिए, कम से कम स्नातक होना चाहिए, शेष पदों के लिए योग्यता माध्यमिक होगी और उच्च माध्यमिक डिग्री होगी।
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