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शिकायत वापस न लेने पर शिक्षकों व कर्मचारियों का रोका वेतन, डीएम के अल्टीमेटम के बाद भी जनसुनवाई पोर्टल की समीक्षा बैठक से रहे नदारद

हमारे पास कई कॉलेजों में हुए फर्जीवाड़े के दस्तावेज हैं। कार्रवाई न होने पर पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो अदालत भी जाएंगे।- सत्यभान सिंह, प्रांत संगठन मंत्री, एबीवीपी
इस मामले में मिली सभी शिकायतों का सोमवार को अध्ययन किया जाएगा। मामला सही पाए जाने पर सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। - आशुतोष टंडन,कैबिनेट मंत्री, प्राविधिक शिक्षा
डीएम ने समीक्षा की तो खुली पोल
जन सुनवाई पोर्टल पर दर्ज होने वाली ऑनलाइन शिकायतों की डीएम कौशलराज शर्मा ने सोमवार को कलेक्ट्रेट में समीक्षा की तो हकीकत सामने आ गई। पोर्टल पर आईं कुल 1075 शिकायतें लंबित हैं। पुलिस के पास भेजी गई 521 शिकायतें पेंडिंग हैं। इस पर डीएम ने काफी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को पेंडिंग केसेज को जल्द निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। वहीं डूडा के अफसरों ने 185 शिकायतों की सुध नहीं ली है। लापरवाह अधिकारियों की लिस्ट में एसडीएम सदर समेत अन्य प्रशासनिक अफसरों का भी नाम शामिल है। डीएम ने इन सभी शिकायतों को अगले 15 दिनों के भीतर निस्तारित करने का निर्देश दिया है।



नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और लखनऊ के कई कॉलेजों के शिक्षकों ने इस फर्जीवाड़े के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कॉलेजों ने विरोध कर रहे शिक्षकों पर दबाव बनाने के लिए पूरे स्टाफ का वेतन रोक दिया है।

चेक और पास बुक लौटाई

निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों ने कई कर्मचारियों के बैंक अकाउंट खुलवाए और पास बुक व चेक बुक जमा करवा ली थी। कर्मचारियों को सैलरी कैश में दी जाती रही और अकाउंट में मनमाने तरीके से रुपये भेजकर निकाले जाते रहे। एनबीटी में खबर प्रकाशित होने के बाद कई कॉलेजों ने कर्मचारियों को बुलाकर पासबुक व चेकबुक लौटा दीं हैं।• एनबीटी संवाददाता, लखनऊ : वेतन में फर्जीवाड़ा कर काली कमाई सफेद करने में जुटे इंजीनियरिंग कॉलेजों ने शिकायत वापस न लेने पर सभी कर्मचारियों व शिक्षकों का वेतन रोक दिया है। शिक्षकों ने जन सुनवाई पोर्टल के माध्यम से श्रम विभाग से शिकायत की है। इसके अलावा फर्जीवाड़ा करने वाले कॉलेजों के खिलाफ वहां पढ़ाने वाले शिक्षक मंगलवार को प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन को ज्ञापन सौंपने पहुंचे। हालांकि मुलाकात न होने के कारण शिकायती-पत्र और ज्ञापन उनके कार्यालय पर सौंप दिया। इसके बाद उनके आवास और कार्यालय पर स्पीड पोस्ट के जरिए भी भेजा गया।

एकेटीयू से संबद्ध निजी इंजीनियरिंग और प्रबंधन कॉलेज हर माह अपने शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों के खाते में वेतन के तौर पर 30 हजार से एक लाख रुपये तक भेजते हैं। जबकि वेतन आने के महज आधे घंटे में खातों से 15 से 40 हजार रुपये तक निकल जाते हैं। पीएम, सीएम, राजभवन और एकेटीयू में हुई शिकायतों के मुताबिक निजी कॉलेज वेतन देने से पहले ही कर्मचारियों से चेक ले लेते हैं, जिसे बाद में कैश करवा लिया जाता है।• एनबीटी संवाददाता, लखनऊ



बीकेटी स्थित कलेक्ट्रेट में सोमवार को जनसुनवाई पोर्टल की समीक्षा बैठक हुई। इसमें डीएम कौशल राज शर्मा ने सोमवार को जनता की शिकायतों के निस्तारण की समीक्षा की तो 521 शिकायतें ऐसी मिलीं, जिन्हें पुलिस ही दबाए बैठी है। वहीं इस दौरान बैठक से सात अधिकारी नदारद रहे। इसके बाद डीएम ने इन अधिकारियों का जून माह का वेतन रोकने के निर्देश दे दिए। इनमें अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड-2, जीएम जल संस्थान, जिला समाज कल्याण अधिकारी, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, जिला पंचायती राज अधिकारी,ब अधिशासी अभियंता निर्माण खंड-2 और अधिशासी अभियंता जल निगम शामिल हैं। एडीएम फाइनेंस शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि समीक्षा बैठक में अक्सर न आने के कारण इन अधिकारियों को डीएम ने अल्टीमेटम भी दिया है।

बीकेटी स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज के असिस्टेंट प्रफेसर ने कॉलेज की मनमानी की शिकायत पोर्टल पर दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि कॉलेज प्रशासन शिक्षकों व कर्मचारियों को आधे से भी कम सैलरी दे रहा और बाकी रकम खुद गटक रहा है। डीएम कौशल राज शर्मा ने इस मामले की जांच एसएसपी दीपक कुमार के पास भेज दी। मामला बीकेटी थाने का था, लिहाजा एसएसपी ने उसे बीकेटी थाने पर भेज दिया। पीड़ित का आरोप है कि थाने पर तैनात दरोगा सतीश यादव कॉलेज पड़ताल करने तो पहुंचे, लेकिन कॉलेज प्रशासन से ही मिलकर चले गए। उन्होंने पीड़ितों का बयान तक दर्ज नहीं किया। एसओ बीकेटी का कहना है कि उन्हें इस केस की जानकारी नहीं है। पड़ताल करवाकर कार्रवाई करेंगे। पीड़ित श्रम आयुक्त के जनसुनवाई पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करा चुका है। वहां से 13 जून तक मामले को निस्तारित कराने की तिथि घोषित की गई है।

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