देश में समस्या बहुत हैं लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है :-मैंने भारत सरकार के एमएचआरडी मंत्रालय से सूचना के अधिकार अधिनियम - 2005 के तहत कुछ प्रश्न पूछे थे ,
जवाब :- ज्यादातर राज्यों/केंद्र-शासित राज्यों में अनुपात 60:40 , हिमालय पर बसे राज्यों में जिनमे जम्मू-कश्मीर , उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अनुपात 90:10 और 100% ऐसे केंद्र शासित राज्यों में जहाँ विधान मंडल नहीं है |
दूसरा :- उत्तर-प्रदेश में रिक्त पद जिनका जवाब वही है जो आपको पहले बताया था ?
जवाब :- प्राथमिक } स्वीकृत 598499 , कार्यरत 444176, रिक्त 154323
उच्च प्राथमिक } स्वीकृत 161459 , कार्यरत 141056 , रिक्त 20403
तीसरा :- क्या ऐसे शिक्षकों को भी वेतन देने में केंद्र सरकार द्वारा मदद की जा रही है जो कि न्यूनतम अहर्ताओं को नहीं रखते हैं ?
जवाब :- इसका जवाब बहुत ही हास्यापद है क्यूंकि दुर्गेश ने जो पी०ए०बी की रिपोर्ट मंगाई है उसमे हाँ कहा है कि जिन शिक्षकों का उन्नयन किया गया था उन्हें सैलरी में केंद्र मदद कर रहा है जबकि मेरी मांगी गई सूचना के जवाब में कहा है कि उस शिक्षक को एनसीटीई के अनुसार न्यूनतम योग्यता के साथ-साथ टेट उत्तीर्ण भी होना अनिवार्य है उस स्थिति में ही केंद्र द्वारा पैसा या तनख्वाह के लिए फण्ड दिया जाएगा |
फिलहाल की स्थिति के अनुसार ये कहना तो गलत नहीं होगा कि हिन्दुस्तान क्यूँ पिछड़ रहा है , क्या अब तक केंद्र की भाजपा सरकार जो कि राज्य में भी है के इस भ्रष्टाचार (23.08.2010 के पश्चात जो भी नियुक्तियां हुई हैं उनकी टेट अंकतालिका बिना मिलान किये तनख्वाह का हिस्सा केंद्र द्वारा दे देना) की जाँच नहीं होनी चाहिए और क्या पता केवल उत्तर-प्रदेश ही नहीं वरन कई ऐसे राज्यों के भी ये हालात हो | मानता हूँ मामला कोर्ट में विचाराधीन है और शिक्षामित्रों का समायोजन भी केंद्र और राज्य की दूषित राजनीति की वजह से ही हुआ है लेकिन इस व्यापक भ्रष्टाचार पर अब तक कोई ठोस कदम क्यूँ नहीं उठाया गया ?
केंद्र या स्वायत्त संस्थाओं की गलतियाँ :-
एनसीटीई - प्रशिक्षण गलत है , हमसे तथ्य छिपाकर लिया गया |
यूजीसी - एससीईआरटी मान्यता प्राप्त संस्था नहीं है जो कि दूरस्थ विधि से प्रशिक्षण कराने के लिए अवैध है |
एससीईआरटी - ये प्रशिक्षण केवल शिक्षामित्रों के लिए था |
एमएचआरडी - बिना टेट अंकतालिका के मिलान के वेतन के लिए फण्ड देना |
इन गलतियों का खामियाजा कौन भुगत रहा है ?
जो पढ़ा लिखा हर तरह से अहर्ताओं को पूरा किया |
वाह रे सिस्टम |
हर हर महादेव
आपका_हिमांशु राणा
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जवाब :- ज्यादातर राज्यों/केंद्र-शासित राज्यों में अनुपात 60:40 , हिमालय पर बसे राज्यों में जिनमे जम्मू-कश्मीर , उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अनुपात 90:10 और 100% ऐसे केंद्र शासित राज्यों में जहाँ विधान मंडल नहीं है |
दूसरा :- उत्तर-प्रदेश में रिक्त पद जिनका जवाब वही है जो आपको पहले बताया था ?
जवाब :- प्राथमिक } स्वीकृत 598499 , कार्यरत 444176, रिक्त 154323
उच्च प्राथमिक } स्वीकृत 161459 , कार्यरत 141056 , रिक्त 20403
तीसरा :- क्या ऐसे शिक्षकों को भी वेतन देने में केंद्र सरकार द्वारा मदद की जा रही है जो कि न्यूनतम अहर्ताओं को नहीं रखते हैं ?
जवाब :- इसका जवाब बहुत ही हास्यापद है क्यूंकि दुर्गेश ने जो पी०ए०बी की रिपोर्ट मंगाई है उसमे हाँ कहा है कि जिन शिक्षकों का उन्नयन किया गया था उन्हें सैलरी में केंद्र मदद कर रहा है जबकि मेरी मांगी गई सूचना के जवाब में कहा है कि उस शिक्षक को एनसीटीई के अनुसार न्यूनतम योग्यता के साथ-साथ टेट उत्तीर्ण भी होना अनिवार्य है उस स्थिति में ही केंद्र द्वारा पैसा या तनख्वाह के लिए फण्ड दिया जाएगा |
फिलहाल की स्थिति के अनुसार ये कहना तो गलत नहीं होगा कि हिन्दुस्तान क्यूँ पिछड़ रहा है , क्या अब तक केंद्र की भाजपा सरकार जो कि राज्य में भी है के इस भ्रष्टाचार (23.08.2010 के पश्चात जो भी नियुक्तियां हुई हैं उनकी टेट अंकतालिका बिना मिलान किये तनख्वाह का हिस्सा केंद्र द्वारा दे देना) की जाँच नहीं होनी चाहिए और क्या पता केवल उत्तर-प्रदेश ही नहीं वरन कई ऐसे राज्यों के भी ये हालात हो | मानता हूँ मामला कोर्ट में विचाराधीन है और शिक्षामित्रों का समायोजन भी केंद्र और राज्य की दूषित राजनीति की वजह से ही हुआ है लेकिन इस व्यापक भ्रष्टाचार पर अब तक कोई ठोस कदम क्यूँ नहीं उठाया गया ?
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एससीईआरटी - ये प्रशिक्षण केवल शिक्षामित्रों के लिए था |
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