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शिक्षामित्रों के लिए बड़ी खबर, अब नहीं दिया जाएगा 39 हजार वेतन, मानदेय तय करेगी योगी सरकार

हिन्द न्यूज डेस्क ।  सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों पर फैसला सुनाते हुए एक ओर जहां शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा करने को अनिवार्य किया तो वहीं दूसरी ओऱ उनके वेतनमान का भी जिक्र किया.
उत्तर प्रदेश में कार्यरत 1 लाख 78 हज़ार शिक्षामित्रों पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई मंगलवार को फैसला सुना दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सभी शिक्षामित्रों को दो साल में TET (टीचर्स एजिबिलिटी टेस्ट) पास करना होगा. इसमें उन्हें अनुभव का भी लाभ मिलेगा, साथ ही उनका अकादमिक रिकॉर्ड भी देखा जाएगा. वहीं अगर बात की जाए शिक्षामित्रों के वेतन की तो शुरुआत में शिक्षामित्रों को 2250 रुपये मानदेय था. बाद में सातवां वेतन आयोग आने के बाद मानदेय बढ़कर 39000 रुपये हो गया था, लेकिन यह ज्यादा दिन चल सका क्योंकि हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक के पद पर किए जा रहे उनके समायोजन को अवैध बता दिया.

ये है पूरा मामला
प्रदेश में शिक्षामित्रों का सफर उतर चढ़ाव भरा रहा है. मामला 26 मई 1999 का है जब को प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए हर एक विद्यालय में दो शिक्षामित्र रखने का निर्णय लिया गया था. इन शिक्षामित्रों की योग्यता इंटरमीडिएट रखी गई थी तथा इनकी नियुक्ति का अधिकार ग्राम सभा को था. शिक्षामित्रों की नियुक्ति के समय इनका प्रतिमाह मानदेय 2250 रुपये तय हुआ था जो की वर्ष 2010 तक बढ़ाकर 3500 रुपये प्रति माह कर दिया गया था. बता दें वर्ष 2010 में 1.68 लाख शिक्षामित्र विभिन्न प्राथमिक स्कूलों में रखे गये थे.
दोहराया जा रहा है इतिहास
वर्ष 2010 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) लागू होने पर राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन का फैसला किया गया. इसके अंतर्गत स्नातक शिक्षामित्रों को दो वर्षीय विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण देने के बाद समायोजित किये जाने का फैसला लिया गया लेकिन वर्ष 2015 तक 1.37 लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित कर लिया गया, लेकिन सितंबर 2015 में हाईकोर्ट ने इस समायोजन को अवैध करार दे दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्टे मिल जाने और सातवां वेतनमान लागू होने से समायोजित शिक्षामित्रों का वेतन करीब 39 हजार रुपये प्रति माह हो गया. अब सुप्रीम कोर्ट का समायोजन रद्द करने के आदेश के बाद वे पहले वाली स्थिति में आ गये हैं.
मामले पर बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि अभी हमें सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. आदेश का अध्ययन करने के बाद ही इस बारे में कोई टिप्पणी कर सकता हूं.
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