UPTET: प्रशिक्षु चयनित अभ्यर्थियों की कट ऑफ मेरिट जारी , कई बार निजाम राजनीतिक स्वार्थ के चलते नियमविरुद्ध फैसला भी ले लेता है। इससे पूरा सिस्टम कठघरे में खड़ा हो जाता है।
एक फैसले से शिक्षामित्रों का समायोजन रद : रोहटा रोड स्थित सरस्वती विहार निवासी हिमांशु राणा के लगातार आरटीआइ और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ने की वजह से प्रदेश में हजारों शिक्षामित्रों का समायोजन रद करना पड़ा। हजारों प्रशिक्षित शिक्षकों की लड़ाई लड़ रहे हिमांशु का कहना है कि उनका विरोध शिक्षामित्रों से नहीं बल्कि उस सिस्टम से है, जिसने बेसिक शिक्षा के ढांचे को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है।
पांच सौ से अधिक आरटीआइ : हिमांशु राणा ने बेसिक शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए पिछले पांच साल में 500 से अधिक आरटीआइ डालीं। तत्कालीन सपा सरकार ने नियम-कानून ताक पर रखकर प्रदेश के एक लाख 10 हजार से अधिक बेसिक स्कूलों में तीन लाख आठ हजार 316 शिक्षकों की कमी बताकर इंटर पास शिक्षामित्रों का समायोजन शुरू कर दिया था। सरकार ने इसे शिक्षा अधिकार कानून के तहत सही ठहराया था लेकिन हिमांशु ने चुनौती दी।
कठघरे में खड़ा किया सिस्टम : हिमांशु ने एनसीटीई से आरटीआइ में पूछा था कि क्या शिक्षा अधिकार अधिनियम-09 के तहत 23 अगस्त 2010 के बाद बिना टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास किए कोई सहायक शिक्षक पद पर नियुक्त हो सकता है? एनसीटीई का जवाब था कि टीईटी के बिना कोई सहायक शिक्षक नहीं नियुक्त हो सकता।
आरटीआइ को बनाया हथियार : हिमांशु अपने एक साथी दुर्गेश के साथ मिलकर सूचना अधिकार के तहत बेसिक शिक्षा खोखले सिस्टम की पोल खोली। आरटीआइ के तहत हिमांशु ने बताया किस तरह प्रदेश में वर्ष 2011 से 2014 तक सरकारी स्कूल में बच्चों की संख्या और शैक्षिक गुणवत्ता घटने के साथ निजी स्कूलों में नामांकन बढ़ा। अप्रशिक्षित शिक्षकों के समायोजन के खिलाफ हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। हिमांशु का कहना है कि बेसिक शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है, लिहाजा इसके साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। अगर नौनिहालों की नींव कमजोर हुई तो देश का ढ़ांचा कभी मजबूत नहीं बन सकता।
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