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शिक्षा मित्रों से अपील : सरकार पर अनैतिक दवाब बनाकर आवश्यकता से अधिक भारांक देने हेतु बाध्य न करें

हरियाणा सरकार ने 2009 में अध्यापकों की भर्ती हेतु विज्ञापन निकाला तथा उस विज्ञापन में उमा देवी केस को आधार बना कर पूर्व में कार्यरत संविदा कर्मियों को उनके अनुभव के सापेक्ष 24 अंको का भारी भरकम भारांक दे दिया। जिसको कि वहां की हाई कोर्ट में चैलेंज कर दिया गया।
हाई कोर्ट ने 24 अंको के उक्त भारांक को अनुच्छेद 14 व 16 के आलोक में आवश्यकता से अधिक कहते हुए दिनाँक 06 अप्रैल 2010 को रद्द कर दिया तथा टिप्पणी की कि सरकार ने इतना अधिक भारांक देकर उन संविदा कर्मियों का अप्रत्यक्ष समायोजन कर दिया जिसको कि वह प्रत्यक्ष रूप से नही कर सकती थी तथा यह अन्य योग्यताधारियों के सरकारी नौकरी में समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन है। बाद में यह केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा व सुप्रीम कोर्ट ने 21 फरवरी 2012 को हाई कोर्ट के आदेश को सही मानते हुए आवश्यकता से अधिक भारांक को रद्द कर दिया। ऐसा ही एक अन्य मुद्दा राजस्थान हाई कोर्ट में उठा जहां राजस्थान सरकार ने संविदा कर्मियों को 30 अंको का अधिकतम भारांक दे दिया जिसको कि हाई कोर्ट ने 25 सितम्बर 2013 को आवश्यकता से अधिक बताते हुए रद्द कर दिया। हरियाणा मुद्दे में जहां सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा उचित भारांक देने को कहां वहां ही राजस्थान हाई कोर्ट ने अधिकतम 15 अंको के भारांक को उचित माना। अतः शिक्षा मित्रों से अपील करता हूँ कि अपने नेताओं को सरकार पर अनैतिक दवाब बनाकर आवश्यकता से अधिक भारांक देने हेतु बाध्य न करें अन्यथा एक बार फिर कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करना होगा
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