टीईटी के बगैर अब यहां भी शिक्षकों का नहीं गुजारा, गंवानी पड़ सकती है नौकरी

नई दिल्ली, अरविंद पांडेय। टीईटी (टीचर्स एलिजविलिटी टेस्ट) पास किए बगैर कोई शिक्षक अब निजी स्कूलों में भी नहीं पढ़ा सकेगा। सरकार ने निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए भी टीईटी को अनिवार्य कर दिया है, साथ ही सभी राज्य सरकारों को सख्ती से अमल के निर्देश दिए है।
मौजूदा समय में टीईटी की अनिवार्यता सिर्फ सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए ही है।
केंद्र सरकार ने यह निर्देश ऐसे समय दिया है, जब देश भर के स्कूलों (सरकारी और निजी दोनों) की शैक्षणिक को सुधारने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। ऐसे में सरकार का पहला फोकस शिक्षकों की गुणवत्ता को ठीक करना है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह निर्देश पिछले दिनों ही एनसीटीई (नेशनल कौंसिल आफ टीचर्स एजुकेशन) की उस सिफारिश के बाद दिया है, जिसमें आरटीई के प्रावधानों के तहत निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी को लागू करने की व्यवस्था है। एनसीटीई के मुताबिक देश में मौजूदा समय में करीब 3.40 लाख निजी स्कूल है, ऐसे में सरकारी स्कूलों में जब टीईटी को अनिवार्य किया गया है, जो निजी स्कूलों को भी इस दायरे में लाना जरूरी है, क्योंकि इसके बगैर शिक्षा में सुधार की दिशा में आगे बढ़ पाना मुश्किल होगा।
मंत्रालय के नए निर्देश के तहत राज्यों को सीबीएसई और राज्य सरकार के अधीन बोर्डो द्वारा संचालित हो रहे सभी स्कूलों में यह व्यवस्था लागू करनी होगी। एक आकलन के मुताबिक देश में मौजूदा समय में सरकारी स्कूलों की संख्या करीब 15.20 लाख है, जबकि निजी स्कूलों की संख्या भी करीब 3.40 लाख है। खास बात यह है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अधीन काम करने वाली संस्था एनसीटीई ने यह सारी कवायद उस समय शुरु की है, जब बीएड की डिग्री बांटने वाले 90 फीसदी से ज्यादा स्कूलों के पास कोई संसाधन नहीं है। एनसीटीई ने इस मामले को पिछले दिनों मंत्रालय के सामने भी रखा था।
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