यूपीपीएससी परीक्षा में ओवरएज हो गए आंखों में ही पथरा गए सपने: पूर्व अध्यक्ष की मनमानी का खामियाजा भुगत रहे सैकड़ों प्रतियोगी

इलाहाबाद : पीसीएस सहित अन्य उच्च पदों पर सपा शासन के पांच वर्ष के दौरान भर्तियों में की गई कारस्तानी ने उप्र लोकसेवा आयोग की छवि पर बदनुमा दाग ही नहीं लगाया, बल्कि इससे उन तमाम सैकड़ों प्रतियोगियों के सपने भी उनकी आंखों में ही पथरा गए जिनकी योग्यता पर अयोग्य उम्मीदवारों को मनमाने ढंग से हावी होने दिया गया।
उत्तर प्रदेश ही नहीं, अन्य राज्यों के ऐसे काबिल छात्र अब ओवरएज हो चुके हैं जिन्हें आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव की मनमानी का खामियाजा भुगतना पड़ा।1सपा शासन के दौरान जिन दो वर्षो तक उप्र लोकसेवा आयोग में डॉ. अनिल यादव बतौर अध्यक्ष तैनात रहे उसी दरम्यान भर्तियों में बेतहाशा धांधली के आरोप लगे हैं। सीबीआइ को हालांकि पूरे पांच साल में हुई सभी भर्तियों की जांच करनी है। इस बीच एक बड़ा सवाल यह है जांच में जो दोषी पाए जाएंगे उन पर तो कार्रवाई होगी और सेवा से बर्खास्तगी तक हो सकती है लेकिन, उन प्रतियोगी छात्रों का क्या होगा जो प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना देखते-देखते अब ओवरएज हो चुके हैं। सैकड़ों ऐसे छात्र भी सपा शासन में हुई भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थी रहे जिनकी आयु 37 या 38 साल रही। ऐसे अभ्यर्थियों का सपना सिर्फ इसलिए पूरा नहीं हो सका, क्योंकि वे ईमानदारी से आगे बढ़ना चाहते थे। चूंकि पीसीएस परीक्षा में शामिल होने के लिए आयु सीमा 21 से 40 साल तक ही है इसलिए 40 साल की आयु पार कर चुके छात्रों के भविष्य पर प्रश्न चिंह लग गया है।1राजेश सिंह, सिद्धार्थ मिश्र, विजय मिश्र, सतीराम, विमल वर्मा, दिनेश तिवारी सहित बड़ी संख्या में छात्रों को पीसीएस के साक्षात्कार में अनुत्तीर्ण कर दिया गया, यह सभी छात्र अब 40 वर्ष से अधिक हो चुके हैं। इन सभी छात्रों का कहना है कि सीबीआइ जांच होने पर अप्रैल 2012 से लेकर मार्च 2017 तक के बीच प्रत्येक वर्ष हुई पीसीएस व अन्य भर्ती परीक्षाओं में धांधली उजागर होगी और काफी संख्या में उन लोगों का पता चलेगा जिनकी नियुक्ति अवैध रूप से कराई गई है। जांच के बाद कार्रवाई भी होनी तय है इसलिए जितनी सीटें रिक्त होंगी उन पर पुन: परीक्षा कराया जाए जिसमें उन्हें भी शामिल होने का अवसर दिया जाए।

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