यूपी-टीईटी परीक्षा से सम्बंधित उत्तरमाला के विवाद पर हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद दी गई समय सीमा में सरकार की ओर से जवाबी हलफनामा नहीं दाखिल किया गया है। जिस पर न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक गम्भीर मामला है जिसमें दस लाख छात्र प्रभावित हैं।
लेकिन सरकार ने दिए गए चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दो सप्ताह का और समय देते हुए, हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने मोहम्मद रिजवान और 103 अन्य परीक्षार्थियों की याचिका पर दिया। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया किया तो जवाबी हलफनामा दाखिल किया जाए अथवा सरकार का कोई जिम्मेदार अधिकारी न्यायालय के समक्ष मामले के पूरे रिकॉर्ड के साथ अगली सुनवाई पर उपस्थित हो। मामले की अग्रिम सुनवाई 10 जनवरी को होगी। उल्लेखनीय है कि 22 नवम्बर को इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यूपी-टीईटी- 2017 के परीक्षा परिणाम को अपने अंतिम आदेश के आधीन कर लिया था। याचिका में परीक्षा से सम्बंधित उत्तर माला को चुनौती दी गई है।
याचिका में परीक्षा में पूछे गए 14 प्रश्नों का मामला उठाया गया है। याचिका में कहा गया है कि 15 अक्टूबर की परीक्षा के बाद 18 अक्टूबर को जारी उत्तर माला में परीक्षा में पूछे गए आठ प्रश्नों के जवाब या तो गलत हैं या दो-दो विकल्प सही हैं। यही मामला संस्कृत भाषा के दो प्रश्न-उत्तर के साथ भी है। चार प्रश्न ऐसे हैं जो पाठ्यक्रम के बाहर से हैं। याचिका में उत्तर माला को निरस्त करने व याचियों को ग्रेस मार्क देने की मांग की गई है। इसके अलावा याचियों की शिकायत के निवारण के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ कमेटी भी बनाने की मांग की गई है।
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लेकिन सरकार ने दिए गए चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दो सप्ताह का और समय देते हुए, हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने मोहम्मद रिजवान और 103 अन्य परीक्षार्थियों की याचिका पर दिया। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया किया तो जवाबी हलफनामा दाखिल किया जाए अथवा सरकार का कोई जिम्मेदार अधिकारी न्यायालय के समक्ष मामले के पूरे रिकॉर्ड के साथ अगली सुनवाई पर उपस्थित हो। मामले की अग्रिम सुनवाई 10 जनवरी को होगी। उल्लेखनीय है कि 22 नवम्बर को इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यूपी-टीईटी- 2017 के परीक्षा परिणाम को अपने अंतिम आदेश के आधीन कर लिया था। याचिका में परीक्षा से सम्बंधित उत्तर माला को चुनौती दी गई है।
याचिका में परीक्षा में पूछे गए 14 प्रश्नों का मामला उठाया गया है। याचिका में कहा गया है कि 15 अक्टूबर की परीक्षा के बाद 18 अक्टूबर को जारी उत्तर माला में परीक्षा में पूछे गए आठ प्रश्नों के जवाब या तो गलत हैं या दो-दो विकल्प सही हैं। यही मामला संस्कृत भाषा के दो प्रश्न-उत्तर के साथ भी है। चार प्रश्न ऐसे हैं जो पाठ्यक्रम के बाहर से हैं। याचिका में उत्तर माला को निरस्त करने व याचियों को ग्रेस मार्क देने की मांग की गई है। इसके अलावा याचियों की शिकायत के निवारण के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ कमेटी भी बनाने की मांग की गई है।
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