बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों की
भर्ती में जिला वरीयता नहीं रहेगी। अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में किए गए
22वें संशोधन में जिला वरीयता की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। यानि अब
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) इलाहाबाद से बीटीसी या डीएलएड की
ट्रेनिंग लेने वाला प्रशिक्षु गाजियाबाद, लखनऊ या किसी भी पसंदीदा जिले
में तैनाती पा सकता है। जिला वरीयता की व्यवस्था वर्षों पुरानी है।
पहले बीटीसी या डीएलएड के लिए इतनी अधिक मारामारी नहीं थी। इसका
प्रशिक्षण पूरा होने के साथ ही स्कूलों में तैनाती मिल जाती थी। लेकिन समय
के साथ बेरोजगारी बढ़ी तो प्राइमरी की टीचरी के लिए बीए, बीएससी या बीकॉम तो
दूर बीटेक, बीसीए, बीफार्मा जैसे प्रोफेशनल कोर्स करने वाले अभ्यर्थियों
में होड़ लग गई। जुलाई 2011 में निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार
अधिनियम (आरटीई) 2009 लागू होने के बाद शिक्षकों की भर्ती में कई बदलाव किए
गए।
सितंबर 2011 में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता
परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य की गई और 2017 में सरकार बदलने के बाद शिक्षक भती
के लिए लिखित परीक्षा की व्यवस्था लागू कर दी गई। हालांकि जिला वरीयता के
प्रावधान में कोई परिवर्तन नहीं हुआ जिसके चलते 12460 सहायक अध्यापक भर्ती
अब तक पूरी नहीं हो सकी है। विवाद को देखते हुए सरकार ने नियमावली संशोधित
करते हुए जिला वरीयता को ही खत्म कर दिया है
68500 शिक्षक भर्ती के लिए लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों से ऑनलाइन
आवेदन लिए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार ऑनलाइन आवेदन में ही अभ्यर्थियों से
पांच जिलों की वरीयता ले ली जाएगी। इसके बाद उनकी मेरिट और संबंधित जिले
में रिक्त पद की उपलब्धता के अनुसार तैनाती दे दी जाएगी। 68500 शिक्षक
भर्ती के लिए जो कार्ययोजना तैयार की गई है उसमें इस बिन्दु को शामिल किया
गया है
नहीं रह जाएगी अंतर-जनपदीय तबादले की जरूरत
इलाहाबाद। जिला वरीयता समाप्त होने के बाद अंतर जनपदीय तबादले की मारामारी
नहीं रह जाएगी क्योंकि अभ्यर्थियों को उनकी पसंद के पांच में से किसी एक
जिले में ही तैनाती मिल जाएगी। वर्तमान में अभ्यर्थियों को जिला वरीयता के
अनुसार नियुक्ति दी जा रही है। यानि जिस जिले से बीटीसी या डीएलएड किया
वहां प्राथमिकता के आधार पर और उसके बाद रिक्त पदों के सापेक्ष किसी भी
जनपद में नौकरी मिल रही है।
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