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शिक्षामित्रों की 'घर वापसी' पर संकट : पद से ज्यादा आवेदन बना मुसीबत

 ALLAHABAD: शिक्षामित्रों की घर वापसी यानी मूल विद्यालय में समायोजन के लिए सरकारी ने पांच अगस्त तक का समय निर्धारित किया था. शिक्षामित्रों की मांग के बाद सरकार की तरफ से समायोजन के लिए निर्धारित अंतिम तिथि बीतने के बाद भी अभी तक शिक्षामित्रों का मूल विद्यालय में समायोजन पूरा नहीं हो सका है.
शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय में समायोजन को लेकर कई तहर की दिक्कतें आ रहे हैं. ऐसे में सभी शिक्षामित्रों को मूल विद्यालयों में समायोजन को लेकर फिलहाल संकट बना हुआ है. शिक्षामित्र भी अपने समायोजन को लेकर शसंकित है.
पद से ज्यादा आवेदन बना मुसीबत
शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के पदों पर समायोजन कैंसिल होने के बाद शिक्षामित्रों की मांग थी कि उन्हें पुन: मूल विद्यालयों में तैनाती दी जाए. शिक्षामित्रों का कहना था कि दस हजार के मानदेय पर अन्य जिले के दूसरे ब्लॉक में किराये पर कमरा लेकर नौकरी करना संभव नहीं है. ऐसे में शिक्षामित्रों की मांग को मानते हुए सरकार की तरफ से उन्हें मूल विद्यालय में समायोजित करने का आदेश हुआ था. शासन की तरफ से इसके लिए पांच अगस्त तक का समय निर्धारित था, लेकिन कई दिक्कतों के कारण सूबे में करीब 75 प्रतिशत जनपदों में समायोजन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. शिक्षामित्रों के मूल विद्यालयों में समायोजन को लेकर कई तरह की दिक्कत है. ऐसे में इन दिक्कतों को दूर किए बगैर समायोजन होना संभव नहीं है.
मूल विद्यालयों में समायोजन में दिक्कतें
-विद्यालय में छात्र संख्या के आधार पर ही हो सकती है शिक्षकों की तैनाती
-विद्यालय में 30 बच्चों पर एक शिक्षक का है नियम
-मानक से अधिक टीचर्स की तैनाती ने शिक्षामित्रों के समायोजन डाला रोड़ा
-शहरीय क्षेत्र में समायोजन के लिए अधिक संख्या में हुए है आवेदन
-पति या ससुराल वाले स्कूल में तैनाती के लिए देना होगा प्रूफ
जिलों में जानबूझकर बीएसए कार्यालय द्वारा सूची रोकी गई है. शासन से मांग है कि समायोजन की प्रक्रिया शीघ्र पूरी कराई जाए.
-अनिल यादव,
प्रदेश अध्यक्ष

उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ

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