इलाहाबाद। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) और संघटक कॉलेजों में शिक्षक
भर्ती में धांधली का मुद्दा फिर गरमाने लगा है। छात्रसंघ अध्यक्ष अवनीश
यादव ने आरोप लगाया है कि शिक्षक भर्ती के दौरान असिस्टेंट प्रोफेसर के 40
से अधिक पद इविवि एवं संघटक कॉलेजों के शिक्षकों के नाते-रिश्तेदारों और
उनके शोधार्थियों के बीच बांट दिए गए।
अध्यक्ष ने ऐसे शिक्षकों की सूची
साक्ष्य समेत केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) को भेजी है।
साथ ही इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
अध्यक्ष की सूची
में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयनित दो ऐसी महिला शिक्षकों के नाम हैं,
जिनकी आयु 55 से 60 वर्ष के बीच है। पहले ये दोनों महिलाएं गृहणी थीं।
अध्यक्ष का आरोप है कि ये दोनों इविवि के प्रोफेसरों की पत्नियां हैं और
इनके चयन में धांधली हुई है। इसके अलावा छात्रसंघ अध्यक्ष की ओर से
एचएमआरडी को भेजी गई सूची में कई ऐसे चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर के नाम हैं,
जिनमें से कोई इविवि के शिक्षक की बेटी तो कोई बेटा है। अध्यक्ष का कहना
है कि दो या तीन चयन तक तो बात समझ में आती है, लेकिन इकट्ठा दर्जनों
सेलेक्शन केवल शिक्षकों के नाते-रिश्तेदारों के हो जाएं, यह बात गले से
नीचे नहीं उतरती। अध्यक्ष ने शिक्षक भर्ती में पैसे के लेनदेन का आरोप भी
लगाया है।
यह आरोप भी है कि कॉलेजों में शिक्षक भर्ती के दौरान ओबीसी,
एससी, एसटी को क्रमश: 27, 15 एवं 7.5 फीसदी मिलने वाले आरक्षण के नियम का
उल्लंघन किया गया और दलितों एवं पिछड़ों को आरक्षण से वंचित रखा गया। इसके
अलावा इविवि ने प्रोफेसर के 69 पदों का विज्ञापन जारी किया और इसमें
एससी-एसटी के लिए एक पद भी आरक्षित नहीं किया गया। अध्यक्ष का आरोप है कि
ग्लोबलाइजेशन विभाग में कुलपति की सेवा में लगे रहने वाले एक शिक्षक को
योग्यता के मानकों के विपरीत प्रमोशन दिया गया और इतना ही नहीं, पुरस्कार
स्वरूप उनकी पत्नी को विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त किया
गया। अध्यक्ष ने यहां तक आरोप लगाया कि कुछ मंत्रियों के नाते-रिश्तेदारों
के करीबियों का भी शिक्षक भर्ती में चयन किया गया और इसी वजह से सरकार अब
कुलपति के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रही। अध्यक्ष का कहना है कि इविवि
प्रशासन आंदोलन वापस लेने के लिए दबाव बना रहा है और उन्हें नुकसान
पहुंचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है लेकिन वह संघर्ष से पीछे नहीं
हटेंगे।
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