लखनऊ: शासन की ओर से जारी एक आदेश के विरोध में प्रदेश के खंड शिक्षा
अधिकारी अब सड़क पर उतरने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेशीय निरीक्षक संघ की ओर
से चिनहट स्थित रजत पीजी कॉलेज में रविवार को एक बैठक हुई।
इसमें 12 अक्टूबर को खंड शिक्षा अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए एक शासनादेश जारी हुआ। इस पर आपत्ति जताते हुए कड़ा विरोध किया गया। इसी के विरोध में 22 नवंबर को जनपद के मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन के साथ डीम को ज्ञापन दिया जाएगा। वहीं, 30 नवंबर को शिक्षा निदेशालय से शासन तक विरोध मार्च निकालने का भी निर्णय लिया गया है।
खंड शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार मौर्य ने बताया कि शासनादेश में कहा गया है कि विद्यालय में अनुपस्थित अवधि के भी शिक्षक हस्ताक्षर कर रहे हैं, कई अमान्य विद्यालयों की जांच में खामी, अवैतनिक अवकाश पर भी रहते हुए पूरा वेतन लेने जैसे कई आरोप खंड शिक्षा अधिकारियों पर लगाए गए हैं। साथ बीएसए को इस पर कार्रवाई के लिए भी कहा है। जबकि यह सभी आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। शासन खंड शिक्षा अधिकारियों को न्यूनतम आवश्यक संसाधन भी नहीं दे रहा है। कार्यालय, स्टाफ, कंटीजेंसी, वाहन, भत्ता कुछ भी नहीं मिलता। न ही हमें कोई अधिकार है। फिर भी सारा दोषारोपण हम पर ही है। इसका हम विरोध कर रहे हैं।
इसमें 12 अक्टूबर को खंड शिक्षा अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए एक शासनादेश जारी हुआ। इस पर आपत्ति जताते हुए कड़ा विरोध किया गया। इसी के विरोध में 22 नवंबर को जनपद के मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन के साथ डीम को ज्ञापन दिया जाएगा। वहीं, 30 नवंबर को शिक्षा निदेशालय से शासन तक विरोध मार्च निकालने का भी निर्णय लिया गया है।
खंड शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार मौर्य ने बताया कि शासनादेश में कहा गया है कि विद्यालय में अनुपस्थित अवधि के भी शिक्षक हस्ताक्षर कर रहे हैं, कई अमान्य विद्यालयों की जांच में खामी, अवैतनिक अवकाश पर भी रहते हुए पूरा वेतन लेने जैसे कई आरोप खंड शिक्षा अधिकारियों पर लगाए गए हैं। साथ बीएसए को इस पर कार्रवाई के लिए भी कहा है। जबकि यह सभी आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। शासन खंड शिक्षा अधिकारियों को न्यूनतम आवश्यक संसाधन भी नहीं दे रहा है। कार्यालय, स्टाफ, कंटीजेंसी, वाहन, भत्ता कुछ भी नहीं मिलता। न ही हमें कोई अधिकार है। फिर भी सारा दोषारोपण हम पर ही है। इसका हम विरोध कर रहे हैं।