1) इससे पहली पोस्ट में हमने बताया कि शून्य की हार का रीसन क्या रहा और
क्यों अब 0 को नौकरीं नहीं मिल पाएगी और यह भी कि क्यों शून्य जनपद को
डीबी में जाने से भी उस वे में नौकरीं नहीं मिलेगी जिससे 6(ख) द्वारा मिल
रही थी।
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*2) ऐसा नहीं है कि शून्य जनपद को नौकरीं मिलना नेक्स्ट टू इम्पॉसिबल है पर उस इम्पॉसिबल को पॉसिबल बनाने के लिए जो करना होगा उसका शून्य जनपद के लोगो मे सामर्थ्य है या नहीं इसका हमे आईडिया नहीं। वैसे तो अब बात हापुड़, जालौन, बागपत वालो पर भी आ चुकी है।*
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3) जैसा कि हमने पिछली अलग अलग पोस्ट में बताया कि 51 जनपद ने जिला वरीयता के नियम का सहारा लिया लेकिन जिला वरीयता समर्थक ठीकरा 24 पर फोड़ते रहे कि तुम लोग नियम 14(1)(a) पर बहस करा रहे हो।
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*4) हमने सुबूत भी दिए कि 24 जनपदों को बाहर करने के लिए नियम 14(1)(a) का सहारा सबसे पहले 51 जनपद वालो ने ही लिया उसके बाद 24 जनपद ने उसका विरोध किया। लेकिन my लार्ड कमाल निकले उन्होंने जिला वरीयता की बजाए यह बात पकडली की 6(ख) बनाने का अधिकार सचिव बे शि प को है ही नहीं। लेकिन टोपे लोग टोपे ही रहेंगे क्योंकि उन्हें अब भी 24 को कोसना है।*
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5) अब जब 0 इस केस को लेकर DB जाएंगे तो इस केस को सचिन कुमार केस से टैग कराना ही होगा। 0 नहीं कराएंगे तो सरकारी वकील करा लेंगे क्योंकि बिना टैग कराए सिंगल जज के ऑर्डर को गलत साबित किया ही नहीं जा सकता।
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*6) टैग नहीं कराएंगे तो उन्हें इस नियम 14(1)(a) की वैधता को चैलेंज करना होगा और चैलेंज करते ही सरकारी वकील उन केसेस को पुराने केस से टैग करा लेंगे। क्योंकि कोर्ट में इसके अलावा कोई रास्ता ही नहीं है। ultimately होना टैग ही है। बेंच ही अलग अलग हो जाये तो बात दूसरी है।*
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7) हम कई तथ्यों और केस लॉज़ से यह बता चुके हैं कि जिला वरीयता रद्द होनी तय है। पॉली वोकल नेचर के कारण अलग अलग निर्णय आ जाते हैं पर SC तक जाते जाते ठीक भी हो जाते हैं।
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8) हिंदुस्तान के अंदर नियम में सीनियोरिटी इस अनुसार है -
a) संविधान
b) संसद और विधायिका द्वारा बनाये कानून
c) डेलेगटेड लेजिस्लेशन
d) एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स
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*9) यदि इनमे आपस मे कोई confusion या डिस्प्यूट होता है तो सीनियर को सही माना जाता है। यही confusion 0 के फेवर के 6(ख) और 51 के फ़ेवर के नियम 14(1)(a) में कोर्ट के सामने प्रस्तुत हुआ और कोर्ट ने जूनियर सर्कुलर के सामने सीनियर नियमावली को सही माना।*
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10) जब विधायिका द्वारा बनाये नियम 14(1)(a) और संविधान को कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा तो कोर्ट ने जैसे सर्कुलर रद्द किया है ऐसे ही कोर्ट नियमावली के इस नियम को रद्द कर देगी। इसको लेकर वीडियो बनाया हुआ है यूट्यूब पर AG चैनल सर्च कर देख सकते हैं।
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*11) Constitution is the highest law of the land and no law which is in conflict with it can survive. जिला वरीयता के नियम रद्द होते ही वो सारे GO निरर्थक हो जाएंगे जो इस नियम से भर्ती करने को कहते हैं और कोर्ट में चैलेंज्ड हैं।*
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12) भर्ती रद्द हो जाएगी तो नौकरीं कर रहे लोगो पर कोर्ट अनुकम्पा या दया भावना दिखाती है या नहीं इसको लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता यह उनका अपना डिस्क्रेशन है।
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*13) चयनितों को कोर्ट बचाएगी तो याचियों को जो जिला वरीयता से नुकसान हुआ है उनके साथ तो कोर्ट न्याय करेगी ही। इसलिए सभी लोग जो जिला वरीयता से प्रभावित हैं वो DB में 0 जनपद की स्पेशल अपील को सपोर्ट करने के साथ साथ नियम 14(1)(a) को ultravires डिक्लेअर करने की मांग वाली नई याचिका में याची अवश्य बने। इलाहाबाद का जिन लोगो का जुरिसिडिक्शन पड़ता है वो लोग याची बनने के लिए हमसे इनबॉक्स में संपर्क कर सकते हैं।*
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14) और यदि भर्ती रद्द होती है और नौकरीं करने वालो को SC द्वारा निकाला जाता है तो सभी को फ्रेश रूप से भर्ती में प्रतिभाग करना होगा क्योंकि नए विज्ञापन को नए GO के बाद निकालना होगा इसलिए परीक्षा के लिए तैयार रहें।
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*15) यह तो रहा कोर्ट का रास्ता एक रास्ता ऐसा भी है जिससे 12 नवम्बर से पहले पहले सभी 0 वाले जॉब पर होंगे पर वो जैसा हमने बिंदु 2 में कहा 0 जनपद के सामर्थ्य पर निर्भर करेगा।*
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16) नियमावली में 23वां संशोधन करवाना होगा और उस संशोधन में पार्ट 4 रूल 6 में से उस हिस्से को रेट्रोस्पेक्टिवली हटवाना होगा जिसमे रिक्ति न आने पर नियुक्ति न होने तक आयु में छूट देने की बात की गई है। यानी उस नियम को 16448 भर्ती के यानी 16 अगस्त 2016 के समय से हटाने का संशोधन करवाना होगा। हालांकि 12460 वाले मेहनत करेंगे तो वो चाहे तो केवल 15.12.2016 के समय से भी हटवा सकते हैं।
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*17) इसी के साथ साथ 6(ख) यानी 0 रिक्तियों वालो को किसी भी अन्य जनपद से आवेदन करने व प्रथम काउंसलिंग में समान रूप से कंसीडर करने वाले प्रावधान को भी रेट्रोस्पेक्टिवली नियमावली में डलवाना होगा। इसको 14(1)(a) में ही प्रोवाइडेड शब्द use करके include करवाना होगा।*
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18) चूंकि विधायिका सत्र में नहीं है तो गवर्नर के द्वारा अध्यादेश लाकर ये नियम बनाया जा सकता है उसके बाद शासनादेश जारी करके 12460 की भर्ती 0 जनपद के साथ की जा सकती है। इससे किसी भी चयनित का हित प्रभावित नहीं होगा।
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*19) यह कार्य केवल शासनादेश के माध्यम से भी किया जा सकता है क्योंकि परिषद के सचिव को तो नहीं लेकिन राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव को GO द्वारा नियम बनाने का अधिकार है।*
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20) पर इस GO को 51 वाले खेल के नियम बीच मे नहीं बदले जा सकते वाले DOCTRINE को यूज़ करके चैलेंज करेंगे। यद्यपि हमारे पास इसको भी बचाने के ट्रम्प कार्ड हैं पर रिस्क नहीं लिया जा सकता है। इसलिए ही नियमावली में रेट्रोस्पेक्टिवली संशोधन करके रिस्क समाप्त हो जाएगा।
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*21) वैसे 11 तक कोर्ट बन्द है यदि जिला वरीयता से प्रभावित अच्यनित पूरा जोर लगा दें तो वो चाहे तो इस सप्ताह भी शिक्षक बन सकते हैं। वैसे भी 12460 में 4000 उर्दू के पद भी जुड़ जाएंगे और यह भर्ती प्रयास द्वारा 16460 करवाई जा सकती है अब तक 6000 लोग नौकरीं कर रहे हैं। यानी 10,000 पदों पर कटऑफ गिराकर भर्ती हो सकती है।*
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22) इसमें 51 जनपद के जिला वरीयता समर्थक अभ्यर्थी भी सेलेक्ट हो जाएंगे और ऐसे कई लोग भी इन हो जाएंगे जो 12460 कटऑफ से बाहर हो गए थे और 68500 कटऑफ से भी बाहर हो चुके हैं। अब यह आप लोगो के उपर है नौकरीं चाहते हैं या कोर्ट में टाइम खराब करना चाहते हैं। कोर्ट के बाहर का रास्ता हमेशा लाभकारी रहता है।
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*23) एक बात और कुछ लोग ये बोलेंगे की 3 साल से जिला वरीयता का केस पेंडिंग पड़ा है अब तक रद्द क्यो नहीं हुई तो यह पैरोकारों पर निर्भर करता है कि वे कैसी पैरवी करते हैं। सरकार भी पैरोकार होती है सुनवाई टलवा सकती है लेकिन एक न एक दिन ऊंट पहाड़ के नीचे आएगा ही। भाजपा सरकार में अधिकारी 21वें संशोधन से इसे समाप्त कर ही चुके हैं।*
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*2) ऐसा नहीं है कि शून्य जनपद को नौकरीं मिलना नेक्स्ट टू इम्पॉसिबल है पर उस इम्पॉसिबल को पॉसिबल बनाने के लिए जो करना होगा उसका शून्य जनपद के लोगो मे सामर्थ्य है या नहीं इसका हमे आईडिया नहीं। वैसे तो अब बात हापुड़, जालौन, बागपत वालो पर भी आ चुकी है।*
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3) जैसा कि हमने पिछली अलग अलग पोस्ट में बताया कि 51 जनपद ने जिला वरीयता के नियम का सहारा लिया लेकिन जिला वरीयता समर्थक ठीकरा 24 पर फोड़ते रहे कि तुम लोग नियम 14(1)(a) पर बहस करा रहे हो।
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*4) हमने सुबूत भी दिए कि 24 जनपदों को बाहर करने के लिए नियम 14(1)(a) का सहारा सबसे पहले 51 जनपद वालो ने ही लिया उसके बाद 24 जनपद ने उसका विरोध किया। लेकिन my लार्ड कमाल निकले उन्होंने जिला वरीयता की बजाए यह बात पकडली की 6(ख) बनाने का अधिकार सचिव बे शि प को है ही नहीं। लेकिन टोपे लोग टोपे ही रहेंगे क्योंकि उन्हें अब भी 24 को कोसना है।*
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5) अब जब 0 इस केस को लेकर DB जाएंगे तो इस केस को सचिन कुमार केस से टैग कराना ही होगा। 0 नहीं कराएंगे तो सरकारी वकील करा लेंगे क्योंकि बिना टैग कराए सिंगल जज के ऑर्डर को गलत साबित किया ही नहीं जा सकता।
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*6) टैग नहीं कराएंगे तो उन्हें इस नियम 14(1)(a) की वैधता को चैलेंज करना होगा और चैलेंज करते ही सरकारी वकील उन केसेस को पुराने केस से टैग करा लेंगे। क्योंकि कोर्ट में इसके अलावा कोई रास्ता ही नहीं है। ultimately होना टैग ही है। बेंच ही अलग अलग हो जाये तो बात दूसरी है।*
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7) हम कई तथ्यों और केस लॉज़ से यह बता चुके हैं कि जिला वरीयता रद्द होनी तय है। पॉली वोकल नेचर के कारण अलग अलग निर्णय आ जाते हैं पर SC तक जाते जाते ठीक भी हो जाते हैं।
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8) हिंदुस्तान के अंदर नियम में सीनियोरिटी इस अनुसार है -
a) संविधान
b) संसद और विधायिका द्वारा बनाये कानून
c) डेलेगटेड लेजिस्लेशन
d) एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स
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*9) यदि इनमे आपस मे कोई confusion या डिस्प्यूट होता है तो सीनियर को सही माना जाता है। यही confusion 0 के फेवर के 6(ख) और 51 के फ़ेवर के नियम 14(1)(a) में कोर्ट के सामने प्रस्तुत हुआ और कोर्ट ने जूनियर सर्कुलर के सामने सीनियर नियमावली को सही माना।*
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10) जब विधायिका द्वारा बनाये नियम 14(1)(a) और संविधान को कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा तो कोर्ट ने जैसे सर्कुलर रद्द किया है ऐसे ही कोर्ट नियमावली के इस नियम को रद्द कर देगी। इसको लेकर वीडियो बनाया हुआ है यूट्यूब पर AG चैनल सर्च कर देख सकते हैं।
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*11) Constitution is the highest law of the land and no law which is in conflict with it can survive. जिला वरीयता के नियम रद्द होते ही वो सारे GO निरर्थक हो जाएंगे जो इस नियम से भर्ती करने को कहते हैं और कोर्ट में चैलेंज्ड हैं।*
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12) भर्ती रद्द हो जाएगी तो नौकरीं कर रहे लोगो पर कोर्ट अनुकम्पा या दया भावना दिखाती है या नहीं इसको लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता यह उनका अपना डिस्क्रेशन है।
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*13) चयनितों को कोर्ट बचाएगी तो याचियों को जो जिला वरीयता से नुकसान हुआ है उनके साथ तो कोर्ट न्याय करेगी ही। इसलिए सभी लोग जो जिला वरीयता से प्रभावित हैं वो DB में 0 जनपद की स्पेशल अपील को सपोर्ट करने के साथ साथ नियम 14(1)(a) को ultravires डिक्लेअर करने की मांग वाली नई याचिका में याची अवश्य बने। इलाहाबाद का जिन लोगो का जुरिसिडिक्शन पड़ता है वो लोग याची बनने के लिए हमसे इनबॉक्स में संपर्क कर सकते हैं।*
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14) और यदि भर्ती रद्द होती है और नौकरीं करने वालो को SC द्वारा निकाला जाता है तो सभी को फ्रेश रूप से भर्ती में प्रतिभाग करना होगा क्योंकि नए विज्ञापन को नए GO के बाद निकालना होगा इसलिए परीक्षा के लिए तैयार रहें।
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*15) यह तो रहा कोर्ट का रास्ता एक रास्ता ऐसा भी है जिससे 12 नवम्बर से पहले पहले सभी 0 वाले जॉब पर होंगे पर वो जैसा हमने बिंदु 2 में कहा 0 जनपद के सामर्थ्य पर निर्भर करेगा।*
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16) नियमावली में 23वां संशोधन करवाना होगा और उस संशोधन में पार्ट 4 रूल 6 में से उस हिस्से को रेट्रोस्पेक्टिवली हटवाना होगा जिसमे रिक्ति न आने पर नियुक्ति न होने तक आयु में छूट देने की बात की गई है। यानी उस नियम को 16448 भर्ती के यानी 16 अगस्त 2016 के समय से हटाने का संशोधन करवाना होगा। हालांकि 12460 वाले मेहनत करेंगे तो वो चाहे तो केवल 15.12.2016 के समय से भी हटवा सकते हैं।
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*17) इसी के साथ साथ 6(ख) यानी 0 रिक्तियों वालो को किसी भी अन्य जनपद से आवेदन करने व प्रथम काउंसलिंग में समान रूप से कंसीडर करने वाले प्रावधान को भी रेट्रोस्पेक्टिवली नियमावली में डलवाना होगा। इसको 14(1)(a) में ही प्रोवाइडेड शब्द use करके include करवाना होगा।*
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18) चूंकि विधायिका सत्र में नहीं है तो गवर्नर के द्वारा अध्यादेश लाकर ये नियम बनाया जा सकता है उसके बाद शासनादेश जारी करके 12460 की भर्ती 0 जनपद के साथ की जा सकती है। इससे किसी भी चयनित का हित प्रभावित नहीं होगा।
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*19) यह कार्य केवल शासनादेश के माध्यम से भी किया जा सकता है क्योंकि परिषद के सचिव को तो नहीं लेकिन राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव को GO द्वारा नियम बनाने का अधिकार है।*
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20) पर इस GO को 51 वाले खेल के नियम बीच मे नहीं बदले जा सकते वाले DOCTRINE को यूज़ करके चैलेंज करेंगे। यद्यपि हमारे पास इसको भी बचाने के ट्रम्प कार्ड हैं पर रिस्क नहीं लिया जा सकता है। इसलिए ही नियमावली में रेट्रोस्पेक्टिवली संशोधन करके रिस्क समाप्त हो जाएगा।
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*21) वैसे 11 तक कोर्ट बन्द है यदि जिला वरीयता से प्रभावित अच्यनित पूरा जोर लगा दें तो वो चाहे तो इस सप्ताह भी शिक्षक बन सकते हैं। वैसे भी 12460 में 4000 उर्दू के पद भी जुड़ जाएंगे और यह भर्ती प्रयास द्वारा 16460 करवाई जा सकती है अब तक 6000 लोग नौकरीं कर रहे हैं। यानी 10,000 पदों पर कटऑफ गिराकर भर्ती हो सकती है।*
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22) इसमें 51 जनपद के जिला वरीयता समर्थक अभ्यर्थी भी सेलेक्ट हो जाएंगे और ऐसे कई लोग भी इन हो जाएंगे जो 12460 कटऑफ से बाहर हो गए थे और 68500 कटऑफ से भी बाहर हो चुके हैं। अब यह आप लोगो के उपर है नौकरीं चाहते हैं या कोर्ट में टाइम खराब करना चाहते हैं। कोर्ट के बाहर का रास्ता हमेशा लाभकारी रहता है।
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*23) एक बात और कुछ लोग ये बोलेंगे की 3 साल से जिला वरीयता का केस पेंडिंग पड़ा है अब तक रद्द क्यो नहीं हुई तो यह पैरोकारों पर निर्भर करता है कि वे कैसी पैरवी करते हैं। सरकार भी पैरोकार होती है सुनवाई टलवा सकती है लेकिन एक न एक दिन ऊंट पहाड़ के नीचे आएगा ही। भाजपा सरकार में अधिकारी 21वें संशोधन से इसे समाप्त कर ही चुके हैं।*