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शिक्षक भर्ती प्रक्रिया का पैटर्न बदलने से दूसरी परीक्षा बेमकसद, परीक्षा पर उठ रहे सवाल, आखिर परीक्षा क्यों

महज आठ माह के अंतराल पर योगी सरकार दूसरी शिक्षक भर्ती कराने जा रही है। मई की लिखित परीक्षा से सबक सीखकर सरकार ने इस बार 69 हजार भर्ती प्रक्रिया में कई बदलाव किए हैं।
इसमें सबसे अहम परीक्षा का पैटर्न बदला जाना है। ओएमआर शीट पर इम्तिहान होने के बाद भी विवाद खत्म नहीं होंगे, बल्कि इस बार परीक्षा में पूछे गए एक-एक सवाल का जवाब कसौटी पर होगा, क्योंकि ये परीक्षा शिक्षामित्रों के लिए शिक्षक बनने अंतिम मौका है। बदले पैटर्न का सबसे बड़ा फायदा यही होगा कि मूल्यांकन में पारदर्शिता के साथ ही रिजल्ट जल्द आ सकेगा। यह परीक्षा भी टीईटी की तर्ज पर ही होने जा रही है।

सब्जेक्टिव परीक्षा और मूल्यांकन फेल : सरकार ने 68500 शिक्षक भर्ती की पहली लिखित परीक्षा 27 मई को कराई थी। इसमें दोनों मोर्चो पर नाकामी हाथ लगी। परीक्षा में पूछे प्रश्नों के जवाब पर बड़ी संख्या में आपत्तियां हुईं, जिससे परीक्षा संस्था को एक-एक के जवाब में कई-कई विकल्पों को मान्य करना पड़ा। कुछ सवाल ऐसे भी थे, जिनके दस-दस विकल्प सही माने गए। मूल्यांकन में अंक देने, अंक दर्ज करने के साथ ही ओवर राइटिंग तक की शिकायतें हुईं, जिनकी पुष्टि हो चुकी है।

परीक्षा के मकसद पर ही सवाल : शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा कराने का मकसद अभ्यर्थियों की लेखन क्षमता का परीक्षण किया जाना रहा है, क्योंकि तमाम उच्च शैक्षिक मेरिट पाने वाले अभ्यर्थी अफसरों से सामान्य पत्राचार नहीं कर पा रहे थे। पहले लघु उत्तरीय और बाद में अति लघु उत्तरीय जवाब देने पर सहमति बनी। लिखित परीक्षा का पैटर्न भी टीईटी से अलग था। लेकिन, अब उसी टीईटी की तर्ज पर परीक्षा कराने का औचित्य किसी के गले नहीं उतर रहा है। सवाल उठ रहा है कि आखिर यह दूसरी परीक्षा कराई ही क्यों जा रही है।

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