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आखिरकार तीन शिक्षामित्रों का हुआ स्थानांतरण

Lucknow. सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का हाल ही बेहाल है, ऐसे में अच्छी शिक्षा की बात करना ही बेमानी है। दरअसल, प्रदेश के सरकारी ​प्राथमिक विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन राजधानी के माल विकास खंड में एक ऐसा सरकारी विद्यालय है, जहां नौ शिक्षक हैं।
शिक्षकों की संख्या के अनुपात में अगर छात्रों की बात की जाए तो काफी कम है। इस मुद्दे को न्यूज टाइम्स ने प्रमुखता से उठाया तो मातहतों के कान में जूं रेंगी। इसके बाद तीन शिक्षमित्रों के तबादले किए गए। हालांकि अभी भी 143 छात्रों पर 6 अध्यापक हैं, जो अनुपात के हिसाब से ज्यादा हैं।

प्रदेश की राजधानी के विकास खण्ड माल में एक ऐसा सरकारी प्राथमिक विद्यालय है, जहां पिछले पांच साल में अध्यापकों की संख्या कभी नौ से कम नहीं हुई। जबकि छात्रों की संख्या घटकर आधी रह गई है। इसके साथ ही इस विद्यालय में कभी पांच से अधिक अध्यापक उपस्थित नहीं रहते हैं। प्रधानाध्यापिका का हाल तो यह है कि महीने में एक सप्ताह से अधिक कभी विद्यालय में नहीं पहुंचती है। सबसे खास बात यह है कि आज तक किसी भी अधिकारी ने यहां के किसी अध्यापक का एक दिन का वेतन तक नहीं काटा। जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ने इसके लिए जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराया है।

विशेष सचिव शिक्षा डी.पी. सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि जब शासन की स्थानान्तरण नीति को ही न्यायालय ने स्थगित कर रखा है तो हम किसी भी अध्यापक को हटा नहीं सकते। हालांकि जब न्यूज टाइम्स ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया तो अधिकारियों ने सिर्फ तीन शिक्षकों का स्थानांतरण कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली। इस विद्यालय से तीन शिक्षा मित्रों का स्थानान्तरण उनके मूल विद्यालय में कर दिया गया। अभी भी यहां छह अध्यापक हैं, जो मानक के विपरीत हैं। वहीं, तमाम ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्रों की संख्या के अनुपात में अध्यापक ही नहीं हैं।

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