Saturday 19 July 2014

बनाएं कुछ ऐसा जो दिलाए ज्यादा पैसा

फार्म से फूड तक यानी खेती की उपज से खानेपीने की चीजें बनाने तक का दायरा बहुत बड़ा है. नई तकनीकों से इस में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है. खेती से ज्यादा कमाई करने के लिए अब जरूरी है कि किसान वक्त की नब्ज पहचानें, खेती के सहायक उद्योगधंधों में उतरें व अपनी इकाई लगाएं. आजकल भागदौड़ से भरी जिंदगी में वक्त
की कमी का असर खानपान व रसोई पर भी पड़ा है. मर्दों के अलावा कामकाजी औरतों की गिनती तेजी से बढ़ने के कारण पुराने तरीकों से खाना पकाने का चलन घटा है. उन के पास इतना वक्त नहीं बचता कि वे चक्की, चकला बेलन, इमामदस्ता व सिलबट्टे का झंझट पालें. लिहाजा अब खाना बनाने का नहीं खाने के लिए तैयार चीजें खरीदने का जमाना है. वक्त बचाने की गरज से ज्यादातर लोग खाने लायक व जल्दी तैयार होने वाली चीजें खरीदना पसंद करते हैं. लिहाजा अपनी जमीन पर खेती की उपज से खाने की नई उम्दा चीजें बनाई जा सकती हैं. खाने का सामान बनाने का तैयार मिक्स बनाने की इकाई लगा कर खासी कमाई की जा सकती है, लेकिन इस केलिए पूरी तैयारी, ट्रेनिंग, पैकिंग व मार्केटिंग वगैरह की जानकारी जरूरी है.

तुरतफुरत

खेती बागबानी की उपज से बहुत सी खाने लायक चीजें बनाई जा सकती हैं. खाने की चीजें बनाने का दायरा बहुत बड़ा है. इस में बहुत से सुधार व बदलाव हुए हैं और आए दिन हो रहे हैं. एमटीआर व गिट्स जैसी बहुत सी कंपनियां रेडी टू कुक यानी अधबने व रेडी टू ईट यानी खानेपीने को तैयार चीजें बना कर बेच रही हैं. ,नाश्ते के लिहाज से इडली, डोसा, सांभर, वड़ा, पोहा, ओट्स व उपमा मिक्स खूब बिकते हैं. मिठाई मिक्स में गुलाबजामुन, रबड़ी, हलवा व बेसन के लड्डू बनाने की पैकेटबंद सामग्री की काफी मांग है. इन के अलावा बादाम, केसर व चाकलेट ड्रिंक्स, नूडल्स, पास्ता, मोमोज, मैक्रोनी, मंचूरियन व सिवइयां वगैरह चीजें बाजार में खूब बिक रही हैं. अब कई तरह के सूप पाउडर भी पैकेटबंद मिलते हैं, यानी पैकेट खोलो, घोलो व झटपट बना लो. इन के अलावा मसाला मिक्स, मसाला पाउडर, मसाला पेस्ट, रसम, सांभर, ढोकला, पकौड़ी व चटनी के पाउडर, आलू व केले के चिप्स, मसाला चना, पापकार्न, पावभाजी व भुजिया वगैरह की भी खूब मांग है.

यह खाने की चीजों को महफूज रखने वाले करामाती प्रिजरवेटिव्स, फूड टैक्नोलाजी व उम्दा पैकेजिंग का कमाल है कि अब खाने के लिए तैयार चने, राजमा, पालक पनीर, कढ़ी, पुलाव, आलू की टिक्की, चपाती, पूड़ी व सरसों का तैयार साग जैसी बहुत सी पैकेटबंद चीजें बन कर बिक रही हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कुलथी ज्वार के फुल्ले, तुरंत खाने लायक सोयाबीन के भुने फ्लैक्स, गेहूं, चावल, चने का चोकर मिले कार्न चिप व कद्दू पाउडर मिला बाल आहार सहित तमाम ऐसी चीजें बनाने की तरकीबें निकाली हैं, जिन्हें अपना कर किसान नए मोर्चे पर उतर कर फतह हासिल कर सकते हैं.

पोस्ट हार्वेस्ट टैक्नोलाजी

उपज की कीमत बढ़ाना व उस से खानेपीने की चीजें बनाना पोस्ट हार्वेस्ट टैक्नोलाजी यानी कटाई के बाद की तकनीक में आता है. फूड आइटम बना कर खेती से ज्यादा कमाने की तकनीकें किसानों को सीखनी होंगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत बीते 25 सालों से फसल कटाई के बाद की इंजीनियरिंग व टैक्नोलाजी का केंद्रीय संस्थान सीफैट के नाम से लुधियाना (पंजाब) में चल रहा है. सीफैट का मकसद कटाई के बाद उपज के बेहतर इस्तेमाल की तकनीक सीखना, उस पर खोजबीन करना, खेती से जुड़े उद्योगधंधों को बढ़ावा देना, कटाई के बाद का नुकसान घटाना, खेती की उपज की कीमत बढ़ाना है, ताकि  फल, सब्जी, दूध, मांस व अनाज से उम्दा उत्पाद बनाए जा सकें और सहउत्पादों व खेती के कचरे का बेहतर इस्तेमाल व किसानों की आमदनी में इजाफा हो. सीफैट के माहिरों ने भंडारित अनाज में कीटों का पता लगाने की मशीन, जैसी तमाम चीजें तैयार की हैं और तमाम बेहतरीन तकनीकें निकाली हैं.

उम्दा औजार

मूंगफली, मक्का व ग्वार वगैरह के दाने हाथों से निकालना व आंवले को गोदने जैसे काम आसान नहीं हैं, लेकिन सीफैट के माहिरों ने ऐसी तमाम मुश्किलें हल कर दी हैं. उन्होंने फसल की कटाई के बाद व फूड प्रोसेसिंग में काम आने वाली बहुत सी मशीनें, औजार, प्लांट व उपकरण बनाए हैं. इन से वक्त बचता है. सीफैट के माहिरों द्वारा मिश्रण मिलाने, पीसने, छीलने, गूदा निकालने व फलसब्जी छांटने के लिए, बेहतर व किफायती मिक्सर, ग्राइंडर, पीलर, पल्पर व ग्रेडर सहित मीटमछली व पोल्ट्री के धंधे में काम आने वाले बहुत से औजार बनाए गए हैं. इन से कम वक्त में ज्यादा व बेहतर काम होता है. साथ ही साथ थकान भी कम होती है. सीफैट में खेती से जुड़ी इकाइयां लगाने व कमाने लायक तकनीक निकालने पर बहुत काम हुआ है, मसलन मोबाइल एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट व आंवला प्रोसेसिंग प्लांट जैसी 41 किफायती तकनीकें कारोबारीकरण के लिए व 28 खोजों के पेटेंट लाइसेंसिंग के लिए तैयार हैं. जरूरत ऐसी जानकारी से फायदा उठाने की है. कटाई के बाद की तकनीक, इंसटेंट फूड प्रोडक्ट्स बनाने व उस में काम आने वाली मशीनों वगैरह के बारे में ज्यादा जानकारी के इच्छुक किसान व उद्यमी इस पते पर संपर्क कर सकते हैं:

निदेशक,

केंद्रीय फसल कटाई उपरांत अभियांत्रिकी व प्रोद्योगिकी संस्थान, सीफैट, लुधियाना 141004, पंजाब.                      ठ्ठ

इंसटेंट फूड का निर्यात

देश में इंसटेंट फूड बनाने वाले बहुत से कारोबारियों ने एक्सपोर्ट करने की गरज से अपने उत्पादों के इश्तहार इंटरनेट पर कई वेबसाइटों के जरीए रखे हैं. इन पैकेटबंद उत्पादों में से कुछ अहम नाम हैं: इडली मिक्स, बाजरा इडली मिक्स, रवा इडली मिक्स, वड़ा मिक्स, रसम मिक्स, डोसा मिक्स, पोहा मिक्स, मूंगदाल पकौड़ा मिक्स, मूंगदाल भुजिया मिक्स, पोंगल मिक्स, उपवास मिक्स, वेज पुलाव मिक्स, चीज कार्न चावल मिक्स, टेस्टी सीरियल मिक्स, गुलाबजामुन मिक्स, पायस मिक्स, खम्मन मिक्स, बासुंडी मिक्स, काजू करी मिक्स, साबूदाना डिशेस, फिरनी मिक्स, मेथी परांठा मिक्स, पुदीना चटनी पाउडर, मल्टी ग्रेन पाउडर, भटूरे का पाउडर.

फार्म से फूड तक यानी खेती की उपज से खानेपीने की चीजें बनाने तक का दायरा बहुत बड़ा है. नई तकनीकों से इस में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है. खेती से ज्यादा कमाई करने के लिए अब जरूरी है कि किसान वक्त की नब्ज पहचानें, खेती के सहायक उद्योगधंधों में उतरें व अपनी इकाई लगाएं. आजकल भागदौड़ से भरी जिंदगी में वक्त की कमी का असर खानपान व रसोई पर भी पड़ा है. मर्दों के अलावा कामकाजी औरतों की गिनती तेजी से बढ़ने के कारण पुराने तरीकों से खाना पकाने का चलन घटा है. उन के पास इतना वक्त नहीं बचता कि वे चक्की, चकला बेलन, इमामदस्ता व सिलबट्टे का झंझट पालें. लिहाजा अब खाना बनाने का नहीं खाने के लिए तैयार चीजें खरीदने का जमाना है. वक्त बचाने की गरज से ज्यादातर लोग खाने लायक व जल्दी तैयार होने वाली चीजें खरीदना पसंद करते हैं. लिहाजा अपनी जमीन पर खेती की उपज से खाने की नई उम्दा चीजें बनाई जा सकती हैं. खाने का सामान बनाने का तैयार मिक्स बनाने की इकाई लगा कर खासी कमाई की जा सकती है, लेकिन इस केलिए पूरी तैयारी, ट्रेनिंग, पैकिंग व मार्केटिंग वगैरह की जानकारी जरूरी है.
तुरतफुरत
खेती बागबानी की उपज से बहुत सी खाने लायक चीजें बनाई जा सकती हैं. खाने की चीजें बनाने का दायरा बहुत बड़ा है. इस में बहुत से सुधार व बदलाव हुए हैं और आए दिन हो रहे हैं. एमटीआर व गिट्स जैसी बहुत सी कंपनियां रेडी टू कुक यानी अधबने व रेडी टू ईट यानी खानेपीने को तैयार चीजें बना कर बेच रही हैं. ,नाश्ते के लिहाज से इडली, डोसा, सांभर, वड़ा, पोहा, ओट्स व उपमा मिक्स खूब बिकते हैं. मिठाई मिक्स में गुलाबजामुन, रबड़ी, हलवा व बेसन के लड्डू बनाने की पैकेटबंद सामग्री की काफी मांग है. इन के अलावा बादाम, केसर व चाकलेट ड्रिंक्स, नूडल्स, पास्ता, मोमोज, मैक्रोनी, मंचूरियन व सिवइयां वगैरह चीजें बाजार में खूब बिक रही हैं. अब कई तरह के सूप पाउडर भी पैकेटबंद मिलते हैं, यानी पैकेट खोलो, घोलो व झटपट बना लो. इन के अलावा मसाला मिक्स, मसाला पाउडर, मसाला पेस्ट, रसम, सांभर, ढोकला, पकौड़ी व चटनी के पाउडर, आलू व केले के चिप्स, मसाला चना, पापकार्न, पावभाजी व भुजिया वगैरह की भी खूब मांग है.
यह खाने की चीजों को महफूज रखने वाले करामाती प्रिजरवेटिव्स, फूड टैक्नोलाजी व उम्दा पैकेजिंग का कमाल है कि अब खाने के लिए तैयार चने, राजमा, पालक पनीर, कढ़ी, पुलाव, आलू की टिक्की, चपाती, पूड़ी व सरसों का तैयार साग जैसी बहुत सी पैकेटबंद चीजें बन कर बिक रही हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कुलथी ज्वार के फुल्ले, तुरंत खाने लायक सोयाबीन के भुने फ्लैक्स, गेहूं, चावल, चने का चोकर मिले कार्न चिप व कद्दू पाउडर मिला बाल आहार सहित तमाम ऐसी चीजें बनाने की तरकीबें निकाली हैं, जिन्हें अपना कर किसान नए मोर्चे पर उतर कर फतह हासिल कर सकते हैं.
पोस्ट हार्वेस्ट टैक्नोलाजी
उपज की कीमत बढ़ाना व उस से खानेपीने की चीजें बनाना पोस्ट हार्वेस्ट टैक्नोलाजी यानी कटाई के बाद की तकनीक में आता है. फूड आइटम बना कर खेती से ज्यादा कमाने की तकनीकें किसानों को सीखनी होंगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत बीते 25 सालों से फसल कटाई के बाद की इंजीनियरिंग व टैक्नोलाजी का केंद्रीय संस्थान सीफैट के नाम से लुधियाना (पंजाब) में चल रहा है. सीफैट का मकसद कटाई के बाद उपज के बेहतर इस्तेमाल की तकनीक सीखना, उस पर खोजबीन करना, खेती से जुड़े उद्योगधंधों को बढ़ावा देना, कटाई के बाद का नुकसान घटाना, खेती की उपज की कीमत बढ़ाना है, ताकि  फल, सब्जी, दूध, मांस व अनाज से उम्दा उत्पाद बनाए जा सकें और सहउत्पादों व खेती के कचरे का बेहतर इस्तेमाल व किसानों की आमदनी में इजाफा हो. सीफैट के माहिरों ने भंडारित अनाज में कीटों का पता लगाने की मशीन, जैसी तमाम चीजें तैयार की हैं और तमाम बेहतरीन तकनीकें निकाली हैं.
उम्दा औजार
मूंगफली, मक्का व ग्वार वगैरह के दाने हाथों से निकालना व आंवले को गोदने जैसे काम आसान नहीं हैं, लेकिन सीफैट के माहिरों ने ऐसी तमाम मुश्किलें हल कर दी हैं. उन्होंने फसल की कटाई के बाद व फूड प्रोसेसिंग में काम आने वाली बहुत सी मशीनें, औजार, प्लांट व उपकरण बनाए हैं. इन से वक्त बचता है. सीफैट के माहिरों द्वारा मिश्रण मिलाने, पीसने, छीलने, गूदा निकालने व फलसब्जी छांटने के लिए, बेहतर व किफायती मिक्सर, ग्राइंडर, पीलर, पल्पर व ग्रेडर सहित मीटमछली व पोल्ट्री के धंधे में काम आने वाले बहुत से औजार बनाए गए हैं. इन से कम वक्त में ज्यादा व बेहतर काम होता है. साथ ही साथ थकान भी कम होती है. सीफैट में खेती से जुड़ी इकाइयां लगाने व कमाने लायक तकनीक निकालने पर बहुत काम हुआ है, मसलन मोबाइल एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट व आंवला प्रोसेसिंग प्लांट जैसी 41 किफायती तकनीकें कारोबारीकरण के लिए व 28 खोजों के पेटेंट लाइसेंसिंग के लिए तैयार हैं. जरूरत ऐसी जानकारी से फायदा उठाने की है. कटाई के बाद की तकनीक, इंसटेंट फूड प्रोडक्ट्स बनाने व उस में काम आने वाली मशीनों वगैरह के बारे में ज्यादा जानकारी के इच्छुक किसान व उद्यमी इस पते पर संपर्क कर सकते हैं:
निदेशक,
केंद्रीय फसल कटाई उपरांत अभियांत्रिकी व प्रोद्योगिकी संस्थान, सीफैट, लुधियाना 141004, पंजाब.                      ठ्ठ
इंसटेंट फूड का निर्यात
देश में इंसटेंट फूड बनाने वाले बहुत से कारोबारियों ने एक्सपोर्ट करने की गरज से अपने उत्पादों के इश्तहार इंटरनेट पर कई वेबसाइटों के जरीए रखे हैं. इन पैकेटबंद उत्पादों में से कुछ अहम नाम हैं: इडली मिक्स, बाजरा इडली मिक्स, रवा इडली मिक्स, वड़ा मिक्स, रसम मिक्स, डोसा मिक्स, पोहा मिक्स, मूंगदाल पकौड़ा मिक्स, मूंगदाल भुजिया मिक्स, पोंगल मिक्स, उपवास मिक्स, वेज पुलाव मिक्स, चीज कार्न चावल मिक्स, टेस्टी सीरियल मिक्स, गुलाबजामुन मिक्स, पायस मिक्स, खम्मन मिक्स, बासुंडी मिक्स, काजू करी मिक्स, साबूदाना डिशेस, फिरनी मिक्स, मेथी परांठा मिक्स, पुदीना चटनी पाउडर, मल्टी ग्रेन पाउडर, भटूरे का पाउडर.
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