पूरी जिंदगी फर्जी दस्तावेजों पर कर ली नौकरी
जांच में हुआ खुलासा, डीएम ने वेतन की समस्त धनराशि वसूलने और एफआईआर का दिया निर्देश
ललितपुर। विकास खंड बिरधा क्षेत्र अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय रमेशरा से सेवानिवृत्त हुए शिक्षक केे नौकरी संबंधी दस्तावेज जांच में फर्जी पाए गए हैं। एक मृतक व्यक्ति के दस्तावेजों पर उक्त शिक्षक ने नौकरी हथिया ली थी। जिलाधिकारी जालौन द्वारा की गई जांच में इसका खुलासा हुआ है। ललितपुर के डीएम ने शिक्षक के प्रत्यावेदन को निरस्त करते हुए वेतन के रूप में ली गई समस्त धनराशि की वसूली करने को कहा है।
वर्षों पहले अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में जालौन जिले से ललितपुर आए रमेश चंद्र द्विवेदी के नाम से प्राथमिक विद्यालय रमेशरा में प्रधानाध्यापक कार्यरत थे। इस दौरान सब कुछ ठीकठाक चलता रहा, जैसे ही रमेशचंद्र द्विवेदी वर्ष 2014 के जून माह में रिटायरमेंट की कगार पर आए तो दो माह पहले उनके भतीजे व एक अन्य व्यक्ति ने उनके खिलाफ फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी करने की शिकायत कर दी। इस दौरान जांच उप जिलाधिकारी माधौगढ़ को सौंपी गई। नामित अफसर द्वारा जांच शुरू करने से पूर्व ही शिकायतकर्ताओं ने शिकायत वापस ले ली, इस कारण जांच नहीं हो सकी। नामित अफसर ने शिकायतकर्ताओं की शिकायत वापस लेने को आधार बनाते हुए डीएम जालौन को अपनी जांच सौंप दी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ललितपुर विनोद कुमार मिश्रा ने इसी आख्या पर देयक भुगतान के आदेश पारित कर दिए। लेकिन, वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय में तैनात लेखाकार भगवत दयाल ने शिकायतकर्ताओं के शिकायती पत्र में संलग्न दस्तावेज की जांच कराने की सलाह वित्त एवं लेखाधिकारी ललितपुर डोगरा शक्ति को दी।
उन्होंने लेखाकार के तर्क को सही मानते हुए तथ्यात्मक जांच के लिए बीएसए को पत्र लिख दिया। इसपर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार मिश्रा ने विभागीय जांच कराने से इंकार कर दिया है। उनका कहना था कि लेखाधिकारी ने जिन बिंदुओं पर संदेह जताया गया है, वह शिक्षक की पहचान से संबंधित हैं, इसलिए विभागीय जांच का औचित्य नहीं बनता है। इसी दौरान वित्त एवं लेखा कार्यालय को शिक्षक के संबंध में महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लग गए। इसपर उन्होंने पुन: बीएसए को पत्र लिखा, इन हालात में वित्त एवं लेखाधिकारी और बीएसए में अधिकारों को लेकर बहस शुरू हो गई। इसके पश्चात मामला जिलाधिकारी तक पहुंच गया।
जिलाधिकारी ललितपुर जुहेर बिन सगीर ने लेखाधिकारी के पक्ष को सुनते हुए छह दिसंबर 2014 को जालौन जिले के जिलाधिकारी को दोबारा जांच के लिए पत्र लिख दिया। इस दौरान वित्त एवं लेखाधिकारी ललितपुर को जांच में सहयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसपर जालौन जिलाधिकारी ने जांच सीडीओ और उप जिलाधिकारी जालौन को सौंप दी। इस दौरान रमेशचंद द्विवेदी की पत्नी मंजू देवी ने अपने बयानों में रमेशचंद्र द्विवेदी के स्थान पर जय सिंह द्वारा अध्यापक पद पर नौकरी किए जाने की पुष्टि की। वहीं, जीपीएफ अंतिम निष्कासन में लगी फोटो, सेंट्रल बैंक ललितपुर में लगी फोटो को देखकर ग्राम बिचौली के लोगों ने सामूहिक रूप से मौखिक सत्यापन किया, जिसमें उन्होंने ग्राम बिचौली के जयसिंह की फोटो होने की पुष्टि की। वास्तव में रमेशचंद द्विवेदी की मृत्यु वर्ष 1982 में हो गई थी। मुख्य विकास अधिकारी की 24 मार्च 2015 की आख्या व उप जिलाधिकारी जालौन की विस्तृत आख्या 9 अप्रैल 2015 से स्पष्ट है कि मृतक रमेशचंद द्विवेदी के शैक्षिक अभिलेखों का दुरुपयोग कर ग्राम बिचौली निवासी जयसिंह ने अध्यापन कार्य कर किया है। मृतक रमेशचंद्र की मृत्यु होने की पुष्टि उनकी पत्नी मंजू देवी द्वारा की गई है। यही नहीं, जयसिंह द्वारा उच्च न्यायालय को भी धोखा देकर 18 फरवरी 2015 को आदेश प्राप्त किया। इस बात की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि जयसिंह द्वारा अपने को रमेशचंद्र द्विवेदी साबित करने में तत्कालीन शिक्षा विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों की संलिप्तता हो। जिलाधिकारी जालौन रामगणेश ने दोनों अफसरों की आख्या पर याची का प्रत्यावेदन निरस्त कर दिया। इसमें उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में गंभीर अनियमितता हुईं हैं। जयसिंह ने रमेश चंद्र द्विवेदी बनकर शासकीय धनराशि को वेतन के रूप में प्राप्त किया। चूंकि, जयसिंह पुत्र हनुमत सिंह की तैनाती पूर्णता अनुचित एवं त्रुटिपूर्ण थी, इसलिए समस्त धनराशि की वसूली किए जाने के साथ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई जाए, जिससे कि भविष्य में इस प्रकार के प्रकरण की पुनरावृत्ति न हो।
जालौन के जिलाधिकारी ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को भेजी जांच आख्या
मृतक के दस्तावेजों से हथिया ली थी नौकरी
बिरधा ब्लाक के ग्राम रमेशरा के प्राथमिक विद्यालय का मामला
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जांच में हुआ खुलासा, डीएम ने वेतन की समस्त धनराशि वसूलने और एफआईआर का दिया निर्देश
ललितपुर। विकास खंड बिरधा क्षेत्र अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय रमेशरा से सेवानिवृत्त हुए शिक्षक केे नौकरी संबंधी दस्तावेज जांच में फर्जी पाए गए हैं। एक मृतक व्यक्ति के दस्तावेजों पर उक्त शिक्षक ने नौकरी हथिया ली थी। जिलाधिकारी जालौन द्वारा की गई जांच में इसका खुलासा हुआ है। ललितपुर के डीएम ने शिक्षक के प्रत्यावेदन को निरस्त करते हुए वेतन के रूप में ली गई समस्त धनराशि की वसूली करने को कहा है।
वर्षों पहले अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में जालौन जिले से ललितपुर आए रमेश चंद्र द्विवेदी के नाम से प्राथमिक विद्यालय रमेशरा में प्रधानाध्यापक कार्यरत थे। इस दौरान सब कुछ ठीकठाक चलता रहा, जैसे ही रमेशचंद्र द्विवेदी वर्ष 2014 के जून माह में रिटायरमेंट की कगार पर आए तो दो माह पहले उनके भतीजे व एक अन्य व्यक्ति ने उनके खिलाफ फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी करने की शिकायत कर दी। इस दौरान जांच उप जिलाधिकारी माधौगढ़ को सौंपी गई। नामित अफसर द्वारा जांच शुरू करने से पूर्व ही शिकायतकर्ताओं ने शिकायत वापस ले ली, इस कारण जांच नहीं हो सकी। नामित अफसर ने शिकायतकर्ताओं की शिकायत वापस लेने को आधार बनाते हुए डीएम जालौन को अपनी जांच सौंप दी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ललितपुर विनोद कुमार मिश्रा ने इसी आख्या पर देयक भुगतान के आदेश पारित कर दिए। लेकिन, वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय में तैनात लेखाकार भगवत दयाल ने शिकायतकर्ताओं के शिकायती पत्र में संलग्न दस्तावेज की जांच कराने की सलाह वित्त एवं लेखाधिकारी ललितपुर डोगरा शक्ति को दी।
उन्होंने लेखाकार के तर्क को सही मानते हुए तथ्यात्मक जांच के लिए बीएसए को पत्र लिख दिया। इसपर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार मिश्रा ने विभागीय जांच कराने से इंकार कर दिया है। उनका कहना था कि लेखाधिकारी ने जिन बिंदुओं पर संदेह जताया गया है, वह शिक्षक की पहचान से संबंधित हैं, इसलिए विभागीय जांच का औचित्य नहीं बनता है। इसी दौरान वित्त एवं लेखा कार्यालय को शिक्षक के संबंध में महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लग गए। इसपर उन्होंने पुन: बीएसए को पत्र लिखा, इन हालात में वित्त एवं लेखाधिकारी और बीएसए में अधिकारों को लेकर बहस शुरू हो गई। इसके पश्चात मामला जिलाधिकारी तक पहुंच गया।
जिलाधिकारी ललितपुर जुहेर बिन सगीर ने लेखाधिकारी के पक्ष को सुनते हुए छह दिसंबर 2014 को जालौन जिले के जिलाधिकारी को दोबारा जांच के लिए पत्र लिख दिया। इस दौरान वित्त एवं लेखाधिकारी ललितपुर को जांच में सहयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसपर जालौन जिलाधिकारी ने जांच सीडीओ और उप जिलाधिकारी जालौन को सौंप दी। इस दौरान रमेशचंद द्विवेदी की पत्नी मंजू देवी ने अपने बयानों में रमेशचंद्र द्विवेदी के स्थान पर जय सिंह द्वारा अध्यापक पद पर नौकरी किए जाने की पुष्टि की। वहीं, जीपीएफ अंतिम निष्कासन में लगी फोटो, सेंट्रल बैंक ललितपुर में लगी फोटो को देखकर ग्राम बिचौली के लोगों ने सामूहिक रूप से मौखिक सत्यापन किया, जिसमें उन्होंने ग्राम बिचौली के जयसिंह की फोटो होने की पुष्टि की। वास्तव में रमेशचंद द्विवेदी की मृत्यु वर्ष 1982 में हो गई थी। मुख्य विकास अधिकारी की 24 मार्च 2015 की आख्या व उप जिलाधिकारी जालौन की विस्तृत आख्या 9 अप्रैल 2015 से स्पष्ट है कि मृतक रमेशचंद द्विवेदी के शैक्षिक अभिलेखों का दुरुपयोग कर ग्राम बिचौली निवासी जयसिंह ने अध्यापन कार्य कर किया है। मृतक रमेशचंद्र की मृत्यु होने की पुष्टि उनकी पत्नी मंजू देवी द्वारा की गई है। यही नहीं, जयसिंह द्वारा उच्च न्यायालय को भी धोखा देकर 18 फरवरी 2015 को आदेश प्राप्त किया। इस बात की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि जयसिंह द्वारा अपने को रमेशचंद्र द्विवेदी साबित करने में तत्कालीन शिक्षा विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों की संलिप्तता हो। जिलाधिकारी जालौन रामगणेश ने दोनों अफसरों की आख्या पर याची का प्रत्यावेदन निरस्त कर दिया। इसमें उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में गंभीर अनियमितता हुईं हैं। जयसिंह ने रमेश चंद्र द्विवेदी बनकर शासकीय धनराशि को वेतन के रूप में प्राप्त किया। चूंकि, जयसिंह पुत्र हनुमत सिंह की तैनाती पूर्णता अनुचित एवं त्रुटिपूर्ण थी, इसलिए समस्त धनराशि की वसूली किए जाने के साथ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई जाए, जिससे कि भविष्य में इस प्रकार के प्रकरण की पुनरावृत्ति न हो।
जालौन के जिलाधिकारी ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को भेजी जांच आख्या
मृतक के दस्तावेजों से हथिया ली थी नौकरी
बिरधा ब्लाक के ग्राम रमेशरा के प्राथमिक विद्यालय का मामला
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