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बेरोजगारों को सिर्फ थाली में चांद ही दिखा सके चयन बोर्ड : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेरोजगारों तमाम भर्तियों के जरिए तरह-तरह के सब्जबाग दिखाने वाले चयन बोर्ड अंतत: औंधे मुंह धराशायी हुए। हकीकत में अभ्यर्थियों को थाली में चांद ही दिखाया जा सका। न माध्यमिक विद्यालयों की भर्तियां अपने अंजाम तक पहुंच सकीं और न ही डिग्री कालेज में प्रवक्ताओं के पद भरे जा सके।
अलबत्ता हर आयोग और चयन बोर्ड में हर माह करोड़ों रुपये वेतन व अन्य मदों पर खर्च किए जाते रहे।

लगभग पांच लाख अभ्यर्थियों के सपने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग में गिरवी हैं। विडंबना यह कि दोनों का अस्तित्व खुद ही दांव पर है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं प्राचार्यो की भर्ती कराता है। बीते छह सालों में यह नियुक्तियों के लिए तरह रहा है। दो-दो विज्ञापन तो उसे निरस्त करने पड़ गए। विज्ञापन संख्या 44 एवं 45 के जरिए असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब डेढ़ हजार पद व प्राचार्य के 180 पदों पर भर्ती की जानी थी। अदालत में विवाद गया और पिछले माह इसे रद कर दिया गया।

विज्ञापन संख्या 46 के जरिए असिस्टेंट प्रोफेसर के 1652 पदों की भर्ती अधर में है। 45 विषयों की परीक्षा करा ली गई, लेकिन परिणाम घोषित न हो सका। आयोग के तीन सदस्यों की नियुक्ति को हाईकोर्ट ने रद कर दी है और अभी अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय की नियुक्ति की वैधानिकता कोर्ट में जांची जानी शेष है।

माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में 2011 में एलटी ग्रेड शिक्षक एवं प्रवक्ता पद के लिए 1845 पदों का विज्ञापन निकाला जा चुका है, लेकिन कोर्ट में उसकी प्रक्रिया को चुनौती देने से वह अब तक लटका रहा है। ऐसे ही 2013 में शिक्षक व प्रवक्ता के करीब सात हजार से अधिक पदों के लिए प्रक्रिया शुरू हुई। इसकी परीक्षा भी हो चुकी है, लेकिन परिणाम आयोग में कोरम के अभाव में अटका है। यहां के भी तीन सदस्यों के कामकाज पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है। साथ ही अध्यक्ष की नियुक्ति एवं योग्यता की भी सुनवाई शुरू हो गई है। आयोग 2015 की शिक्षक एवं प्रवक्ता के करीब सात हजार पदों का विज्ञापन फिर निकालने की तैयारी में था, लेकिन वह भी अधर में है। ऐसे ही प्रधानाचार्य पद के लिए बीच-बीच में साक्षात्कार जरूर हुए, लेकिन वह अंजाम तक नहीं पहुंच सके हैं। ताज्जुब यह है कि जिन सदस्यों को पिछले तीन महीने से काम करने से रोका गया है उन्हें वेतन पूरा दिया जा रहा है।

दोनों आयोगों में मूल कार्य न होने के बाद भी अन्य कार्य पूरे जोश में हो रहे हैं उन पर भरपूर धन भी खर्च हो रहा है, लेकिन जिन बेरोजगारों के लिए उन्हें तैनाती मिली है वह हाशिए पर हैं।

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