शिक्षामित्रों की रोजी रोटी बचाने के लिए शनिवार से गुरुवार तक
अनगिनत बैठकें शिक्षामित्रों की नौकरी को बचाए रखने के लिए हुईं।
शिक्षामित्रों के समायोजन को बनाए रखने के लिए जहां राज्य
सरकार हर संभव प्रयास कर रही है वहीं प्रदेश के बेरोजगार बीएड/बीटीसी धारक
युवा और प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी इस मामले का पुरजोर तरीके से
विरोध करने के लिए लामबंद हो रहे हैं।
राज्य सरकार राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के नियमों और
हाईकोर्ट के फैसले का ध्यान रखते हुए बीच का रास्ता खोज रही है। सरकार के
सामने पौने दो लाख शिक्षामित्रों की रोजी-रोटी को बचाए रखना बड़ी चुनौती
है। शनिवार से गुरुवार तक अनगिनत बैठकें शिक्षामित्रों की नौकरी को बचाए
रखने के लिए हुईं।
लेकिन प्रदेश के लगभग 4 लाख से ज्यादा टीईटी पास बेरोजगार
बीटीसी/ बीएडधारक सरकार के लिए बड़ी चुनौती पेश सकते हैं। संघों, फोन और
सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से सब एकजुट होकर शिक्षामित्रों के खिलाफ
मामले की पैरवी करने के लिए लामबंद हो रहे हैं। प्रधानमंत्री, मानव संसाधन
मंत्री समेत केन्द्रीय मंत्रों को पत्र लिख कर अभियान चला रहे हैं वहीं
जंतर-मंतर पर दस लाख की संख्या में पहुंच कर धरने-प्रदर्शन की योजना भी है।
इनका कहना है कि जब प्रदेश में टीईटी पास प्रशिक्षित शिक्षक मौजूद हैं तो
राजनीतिक फायदों के लिए शिक्षामित्रों को शिक्षक क्यों बनाया जाए?
प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में लगभग पौने तीन लाख अभ्यर्थियों ने
आवेदन किया था। लेकिन यह भर्ती हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में फंस गई थी।
इस बीच शिक्षामित्रों का समायोजन शुरू हो गया। प्रशिक्षु भर्ती के कुछ
अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में शिक्षामित्रों के समायोजन के मामले में कई
बिन्दुओं पर याचिकाएं दायर कर दीं। वहीं सुप्रीम कोर्ट में टीईटी संघर्ष
मोर्चा के हिमांशु राणा की याचिका की सुनवाई के दौरान ही हाईकोर्ट को जल्द
फैसला देने का निर्देश दिया गया था। हाईकोर्ट का फैसला बेरोजगार युवाओं का
हौसला बढ़ा गया है। अब सबकी नजरें सरकार के अगले कदम पर हैं |
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