वाराणसी : समायोजन निरस्त होने से
प्रभावित शिक्षामित्रों ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि कानून में बदलाव
कर उनकी बहाली कराई जाए। उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड और महाराष्ट्र
में शिक्षामित्रों का समाजोयन किया गया है।
यह मांग बुधवार भारत माता मंदिर में आयोजित बैठक में की गई।
बैठक में कई विद्यालयों के शिक्षामित्र शामिल थे। बैठक के बाद चंदौली के
सांसद डॉ. महेन्द्रनाथ पाण्डेय के आवास के घेराव का निर्णय बदल दिया गया।
शिक्षा मित्रों का कहना था कि 14-15 साल की सेवा के बाद वे सड़क पर आ गए
हैं। उनके मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार होना चाहिए। केंद्र सरकार चाहे
तो उन्हें राहत मिल सकती है। यह मसला 1.78 लाख शिक्षामित्रों और उनके
परिवारों से जुड़ा है।
शिक्षामित्रों ने कहा कि वे अपनी व्यथा प्रधानमंत्री को
सुनाना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमत्री कोई न कोई रास्ता
निकालेंगे। उन्होंने तय किया कि वे हर मोर्चे पर अपने अस्तित्व के लिए लड़ाई
करेंगे। बैठक के दौरान‘नौकरी नहीं तो मौत चाहिए’ का नारा दोहराया जा रहा
था। बैठक में महिलाओं की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा कम थी। पदाधिकारियों
ने बताया कि तीज व्रत के कारण उन्होंने आन्दोलन में शरीक न होने का अनुरोध
किया गया था। चंदौली के सांसद डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय के बैजनत्था स्थित
आवास पर प्रदर्शन का कार्यक्रम शिक्षामित्रों ने स्थगित कर दिया, क्योंकि
वह शहर से बाहर थे।
बीआरसी पर धरना-प्रदर्शन
ब्लाक संसाधन केंद्र (बीआरसी) पर शिक्षामित्रों का
धरना-प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी रहा। विद्यालयों से कार्य बहिष्कार के बाद
शिक्षामित्रों का समूह ब्लाक संसाधन केंद्रों पर पहुंचा। वहां तालाबांदी
की और धरने पर बैठ गए। इनमें कुछ शिक्षामित्र भारतमाता मंदिर आए।
प्रशासन ने मांगे शिक्षामित्रों से पांच नाम
शिक्षामित्रों को यह आश्वासन दिया जा रहा है कि प्रधानमंत्री
से मिलाने की पूरी कोशिश होगी। इसके लिए प्रयास शुरू हो गया। शिक्षामित्रों
ने बताया कि भारत माता मंदिर पर बैठक से पहले एलआईयू के अधिकारी आए थे।
उन्होंने पांच नाम मांगे हैं। उन्हें यह बताया गया है कि इन पांच लोगों से
प्रधानमंत्री से मिलाने की कवायद चल रही है। शिक्षामित्रों की ओर से पांच
नाम प्रशासन को दिया गया है। इनमें प्रदेश पदाधिकारी और स्थानीय इकाई के
पदाधिकारी हैं।
शिक्षामित्रों की समन्वय समिति
आंदोलन को गति देने के लिए शिक्षामित्रों के विभिन्न संगठनों
की एक समन्वय समिति बनाई गई है। इसका का नाम दिया गया है-प्राथमिक
शिक्षामित्र समन्वय समिति। अमरेंद्र दुबे और अजय सिंह को इसका संयुक्त
अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। समन्वय समिति 18 सितंबर के बाद आन्दोलन की
अगली रणनीति बनाएगी।
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