विधि संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना पद विज्ञापित किये
हाईकोर्ट में कार्यरत तदर्थ रूटीन ग्रेड क्लर्को को नियमित करने से इंकार
कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि तदर्थ कर्मचारियों को पद पर बने रहने का
वैधानिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिस दिन से चयनित
कर्मी कार्यभार ग्रहण करेंगे, उसी दिन तदर्थ लिपिकों की सेवा समाप्त हो
जायेगी।
हालांकि कोर्ट ने उदारता बरतते हुए तदर्थ कर्मियों को आयु सीमा में छूट देते हुए भविष्य में होने वाली चयन प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर दे दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 14 एवं 16 के विपरीत नियुक्त प्रक्रिया नहीं अपनायी जा सकती। अनुच्छेद 229 के तहत मुख्य न्यायाधीश का अधिकार अनुच्छेद 13 के प्रतिकूल नहीं हो सकता। बिना पद विज्ञापित किये लोक पदों की भर्ती नहीं की जा सकती। यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश तिवारी तथा न्यायमूर्ति अताउर्रहमान मसूदी की खण्डपीठ ने अजय कुमार मिश्र व अन्य अपीलों को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकारी पदों पर नियुक्ति पाने का सभी को समान अधिकार प्राप्त है। बिना नियमानुसार चयन प्रक्रिया अपनाये नियुक्त कर्मियों को लोक पद पर बने रहने का वैधानिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि तदर्थ कर्मियों एवं प्रोबेशन पर कार्यरत कर्मियों में भिन्नता है। प्रोबेशन कर्मियों को नियमित करना सही है किन्तु तदर्थ कर्मी इसका लाभ नहीं पा सकते। कोर्ट ने कहा है कि खाली पद विज्ञापन के जरिये चयन से ही भरा जा सकता है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
हालांकि कोर्ट ने उदारता बरतते हुए तदर्थ कर्मियों को आयु सीमा में छूट देते हुए भविष्य में होने वाली चयन प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर दे दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 14 एवं 16 के विपरीत नियुक्त प्रक्रिया नहीं अपनायी जा सकती। अनुच्छेद 229 के तहत मुख्य न्यायाधीश का अधिकार अनुच्छेद 13 के प्रतिकूल नहीं हो सकता। बिना पद विज्ञापित किये लोक पदों की भर्ती नहीं की जा सकती। यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश तिवारी तथा न्यायमूर्ति अताउर्रहमान मसूदी की खण्डपीठ ने अजय कुमार मिश्र व अन्य अपीलों को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकारी पदों पर नियुक्ति पाने का सभी को समान अधिकार प्राप्त है। बिना नियमानुसार चयन प्रक्रिया अपनाये नियुक्त कर्मियों को लोक पद पर बने रहने का वैधानिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि तदर्थ कर्मियों एवं प्रोबेशन पर कार्यरत कर्मियों में भिन्नता है। प्रोबेशन कर्मियों को नियमित करना सही है किन्तु तदर्थ कर्मी इसका लाभ नहीं पा सकते। कोर्ट ने कहा है कि खाली पद विज्ञापन के जरिये चयन से ही भरा जा सकता है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC