एक तरफ शिक्षा मित्र कहते हैं कि हम टीईटी, सीटीईटी सब पास हैं और दूसरी तरफ कहते हैं हमें टीईटी से छूट दो।

मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन साहब ने एनसीटीई को पत्र लिख कर शिक्षा मित्रों के लिए टीईटी से छूट मांगी है। मेरी समझ में यह नहीं आता है कि एक तरफ कुछ बड़बोले शिक्षा मित्र कहते हैं कि हम टीईटी, सीटीईटी सब पास हैं, हमारे 40% या 60% साथी टीईटी पास हैं
और जो नहीं हैं वह पास करने को तैयार हैं और दूसरी तरफ टीईटी से छूट को लेकर जुगाड़ तुगाड़ में लगे हैं इनके नेता और इनकी वफ़ादार सरकार।
ऐसी दोहरी मानसिकता क्यों? साफ़ क्यों नहीं कहते कि भाई गूदा नहीं है टीईटी पास करने का हममें। यह घुमा फिरा कर क्यों बातें करते हैं कि फलाना जगह छूट मिली है तो हमें भी दो। एनसीटीई के 11/02/2011 के नोटिफिकेशिन के पैरा 7 के अंतिम पॉइंट में साफ़ लिखा है कि प्राइमरी की टीईटी के प्रश्नों का स्तर कक्षा 5 तक का होगा। एक तरफ कहते हैं कि हमें 14 वर्ष का अनुभव है शिक्षण कार्य का और दूसरी तरफ कहते हैं हमें टीईटी से छूट दो। अरे भई, जब 14 साल का अनुभव है आपको तो एक छोटी सी कक्षा 5 के स्तर की टीईटी परीक्षा से भय कैसा??

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