परिषदीय विद्यालयों में परोसे जाने वाले मध्याह्न भोजन से गुरुजनों को मुक्ति जल्द

जासं, सीतापुर : परिषदीय विद्यालयों में परोसे जाने वाले मध्याह्न भोजन से गुरुजनों को मुक्ति मिलने जा रही है। मध्यान्ह भोजन बनवाने की जिम्मेदारी अब स्वयंसेवी संस्थाओं (एनजीओ) की दी जाएगी।
मध्यान्ह भोजन बनवाने में प्रधानाध्यापक को आने वाली परेशानी तथा शिक्षण कार्य प्रभावित होने के कारण प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया है। इस बाबत मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक ने प्रदेश के सभी बीएसए को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं। जिसमें एनजीओ का चयन टेंडर प्रक्रिया द्वारा अपनाने को कहा गया है। 1उल्लेखनीय है कि राजकीय, परिषदीय, सहायता प्राप्त विद्यालयों तथा तहतानिया मदरसों में कक्षा एक से आठवीं तक के छात्र- छात्रओं को मध्याह्न भोजन परोसा जाता है।
सोमवार से शनिवार तक किस दिन क्या भोजन बनाया जाएगा इसका मेन्यू तय है। इसके बनवाने की जिम्मेदारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक की होती है। एमडीएम में एक दिन दूध बटने तथा मौसमी फल वितरण का फरमान आने के बाद प्रधानाध्यापकों की दुश्वारियां और भी बढ़ गई हैं।
शिक्षकों का तर्क है कि वह एमडीएम के लिए सामग्री खरीदने व बनवाने में शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। गुरुजनों का दर्द कई बार अफसरों के निरीक्षण और धरना-प्रदर्शन के दौरान उभर आता है। शिक्षक संगठनों ने भी समय-समय पर मध्याह्न भोजन बनवाने की जिम्मेदारी उनसे हटाने को आवाज बुलंद की है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए मध्याह्न भोजन बनवाने की कमान अब एनजीओ के हवाले की जाएगी। 1मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक कुंवर डीबीबी सिंह ने सभीबेसिक शिक्षा अधिकारी को इस बाबत पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं। जिसमें कहा गया है कि सर्वाधिक प्रसार वाले दो समाचार पत्रों में विज्ञप्ति प्रकाशित कराकर एनजीओ का चयन करें। इतना ही नही निविदा को एनआइसी की वेबसाइट पर भी डाला जाएगा।
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