लुसाका. भारत में कामकाजी महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान करीब 90 दिनों की सरकारी छुट्टी का नियम है। वहीं कई देशों में पीरियड्स के लिए भी महिलाओं को छुट्टी देने पर बहस छिड़ी हुई है।
जांबिया में 2015 में पास हुए इस कानून को 'मदर्स डे' कहा जाता है। पूरे अफ्रीका में यह अपनी तरह का इकलौता कानून है। इसके तहत महिलाएं अपनी माहवारी के दौरान महीने में एक दिन की छुट्टी ले सकती हैं। इस छुट्टी के लिए उन्हें पहले से नोटिस देने या फिर डॉक्टर का पर्चा जमा करने की भी जरूरत नहीं है। यह कानून पीरियड्स के दौरान होने वाले रक्तस्राव, दर्द और ऐंठन से महिलाओं को होने वाली परेशानी के मद्देनजर दिया गया था, ताकि इस दिन वे आराम कर सकें।
मेडिकल प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी लुसाका में कार्यरत एक महिला अधिकारी ने एएफपी को बताया, 'इस छुट्टी से मुझे मेरी शारीरिक जरूरतों का ध्यान रखने में मदद मिलती है। यह छुट्टी मेरे लिए बेहद अहम है और मैं हमेशा इसका समर्थन करती हूं। एक महिला के तौर पर मुझे हर महीने माहवारी के दौरान दफ्तर से एक दिन की छुट्टी मिले, ताकि मैं तब अपना ध्यान रख सकूं, यह व्यवस्था काफी अहम है।'
वहीं जांबिया जैसे देश में सेक्स और पीरियड्स जैसे मुद्दों पर बात करना भी एक बड़ी बात है। यह देश सामाजिक रूप से काफी पारंपरिक है। शारीरिक मुद्दों पर सामाजिक चर्चा करना यहां सही नहीं माना जाता है। यहां मां-बाप बच्चों से उनके जन्म होने की बात भी नहीं कर सकते हैं। बच्चे ने जन्म कैसे लिया, जैसे सवालों का जवाब अक्सर 'अस्पताल से लेकर आए' होता है। ऐसे माहौल में करीब 2 साल पहले साल 2015 में जांबिया के रोजगार कानून में संशोधन किया गया। इस संशोधन के बाद सभी महिलाओं को हर महीने पीरियड्स के दौरान एक दिन की छुट्टी देने का कानून बनाया गया। कई महिला संगठनों और सामाजिक संस्थानों ने इसके लिए अभियान चलाया।
बहरहाल इस कानून को लेकर बहस जारी है और कईं पुरुष और महिलाओं भी इसका विरोध कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह फालतू का नियम है वहीं महिलाएं इसका गलत इस्तेमाल करती हैं। हालांकि जांबिया सरकार अपने इस कानून पर अ़ड़ी हुई है। आलोचना के बावजूद जांबिया की सरकार अपने इस कानून पर दृढ़ता से कायम है।
गौरतलब है ति इसके पहले और भी कई देशों में है ऐसा कानून है। जापान, इंडोनेशिया, ताईवान और दक्षिणी कोरिया में भी यह कानून है। ब्रिटेन में 'कोएग्ज़िस्ट' नाम की एक छोटी नॉन-प्रॉफिट कंपनी ने भी ऐसे एक कानून को शुरू किया है।
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जांबिया में 2015 में पास हुए इस कानून को 'मदर्स डे' कहा जाता है। पूरे अफ्रीका में यह अपनी तरह का इकलौता कानून है। इसके तहत महिलाएं अपनी माहवारी के दौरान महीने में एक दिन की छुट्टी ले सकती हैं। इस छुट्टी के लिए उन्हें पहले से नोटिस देने या फिर डॉक्टर का पर्चा जमा करने की भी जरूरत नहीं है। यह कानून पीरियड्स के दौरान होने वाले रक्तस्राव, दर्द और ऐंठन से महिलाओं को होने वाली परेशानी के मद्देनजर दिया गया था, ताकि इस दिन वे आराम कर सकें।
मेडिकल प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी लुसाका में कार्यरत एक महिला अधिकारी ने एएफपी को बताया, 'इस छुट्टी से मुझे मेरी शारीरिक जरूरतों का ध्यान रखने में मदद मिलती है। यह छुट्टी मेरे लिए बेहद अहम है और मैं हमेशा इसका समर्थन करती हूं। एक महिला के तौर पर मुझे हर महीने माहवारी के दौरान दफ्तर से एक दिन की छुट्टी मिले, ताकि मैं तब अपना ध्यान रख सकूं, यह व्यवस्था काफी अहम है।'
वहीं जांबिया जैसे देश में सेक्स और पीरियड्स जैसे मुद्दों पर बात करना भी एक बड़ी बात है। यह देश सामाजिक रूप से काफी पारंपरिक है। शारीरिक मुद्दों पर सामाजिक चर्चा करना यहां सही नहीं माना जाता है। यहां मां-बाप बच्चों से उनके जन्म होने की बात भी नहीं कर सकते हैं। बच्चे ने जन्म कैसे लिया, जैसे सवालों का जवाब अक्सर 'अस्पताल से लेकर आए' होता है। ऐसे माहौल में करीब 2 साल पहले साल 2015 में जांबिया के रोजगार कानून में संशोधन किया गया। इस संशोधन के बाद सभी महिलाओं को हर महीने पीरियड्स के दौरान एक दिन की छुट्टी देने का कानून बनाया गया। कई महिला संगठनों और सामाजिक संस्थानों ने इसके लिए अभियान चलाया।
बहरहाल इस कानून को लेकर बहस जारी है और कईं पुरुष और महिलाओं भी इसका विरोध कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह फालतू का नियम है वहीं महिलाएं इसका गलत इस्तेमाल करती हैं। हालांकि जांबिया सरकार अपने इस कानून पर अ़ड़ी हुई है। आलोचना के बावजूद जांबिया की सरकार अपने इस कानून पर दृढ़ता से कायम है।
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