विशेष कि कलम से , आज 6 फरवरी हो गयी है और 22 को दीपक मिश्रा इंतजार कर रहे है सभी टेट पास और शिक्षामित्रो का किन्तु पैरिवाकर रोज शुल्क शुल्क किया करते है किंतु हमारे शिक्षामित्र बन्धु आराम से बैठे है
आज जैसा माहौल है ठीक वैसा ही माहौल समायोजन के बाद था हाइकोर्ट के निर्णय आने के पहले।
अब सभी इतने विधिक ज्ञानी हो गए है क़ि किसको क्या कहा जाये।
® कोर्ट किसी के दवाब में काम नहीं करता ये बात नोट कर लो।
®मानवीय पहलू कोई मायने नहीं रखता शिक्षामित्र केस में ।
क्योंकि विरोधी भी मानव है उचित योग्यता के साथ ।
®स्ते होना गारंटी नहीं होती केस जीतने कि ।
जिसको विश्वास ना हो वो किसी वकील से पूछ सकता है ,वकील चाहे जिस भी कोर्ट का हो।
®सुप्रीम कोर्ट कभी भी सुनवाई हवा में नहीं करता मतलब नियमो में करता है ।
इसका उल्लेख खुद जज महोदय दीपक मिश्रा कई बार आदेश मे कर चुके है।
®सुप्रीम कोर्ट केवल हाइकोर्ट के आदेश कि समीक्षा करता है।
मतलब जिस भी पक्ष को हाइकोर्ट के आदेश में जहाँ आपत्ति हो उसपे बात करे ।
®कुछ लोग 22 फरवरी को सेमीफाइनल बता रहे है।
कारण ये बता रहे है क़ि स्ते होने के बाद सुनवाई नहीं हुई और ना ही किसी का काउंटर आया तो उनकी जानकारी के लिए बता दे क़ि शिक्षामित्र केस में किसी भी काउंटर की जरूरत नहीं क्योकि सुप्रीम कोर्ट में हाइकोर्ट से सभी फाइल पहले ही पहुँच चुकी है।
®कुछ लोग बता रहे है की दीपक मिश्रा जी कभी भी किसी कि नोकरी नहीं ली।
जज किसी का दुश्मन नहीं होता ।वो नियमो पे आदेश करता है और जब मामला आध्यपक से जुड़ा हो तो वो आध्यपक से जाएदा महत्व उन बच्चो को देता है जिनको वो आध्यपक शिक्षा देता है क्योंकि बच्चो से देश का भविष्य जुड़ा होता ।
®शिक्षक भर्ती में सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक कि योग्यता होती है और इससे खिलवाड़ कोई भी जज नहीं कर सकता।
®कुछ लोग ये भी बता रहे है की 22 को सुनवाई पूरी हो जायेगी किन्तु जज महोदय आदेश रिजर्व कर लेंगे और कभी नहीं सुनाएंगे ।
ऐसा कोई नियम नहीं है और ना ही जज आपके अनुसार करेंगे।हाइकोर्ट के समय याद ही होगा कि शनिवार को कोर्ट खोल के आदेश जारी हुआ और इसके पीछे भी माननीय जज दीपक मिश्रा जी ही थे क्योकि 27 जुलाई को स्ते 10 सप्ताह के लिए किये थे और स्ते 13 सेटेम्बर को खत्म हो रहा था ,इसीलिये स्ते खत्म होने के पहले ही 12 सेप्टेंबर को आदेश सुनाया गया ।
उपरोक्त ®सभी बातें शिक्षामित्र बन्धु किया रोज किया करते है ,उन्ही को लिखा है कारण सहित।
अब खुद सोच लो कि कहाँ है हम।
इसलिए बिना किसी के बहकावे में आये 22 कि तैयारी करो और ये इंतजार ना करो क़ि जब कोई मांगने आएगा तो देंगे ।नोकरी खुद कि है इसलिए जिसमे आपको विश्वास हो उसको खुद दो जाके क्योकि ये शायद अंतिम सहयोग हो क्योकि इस दिन या तो आर या पार होना लगभग तय है ,इसलिए 22 के साथ खिलवाड़ ना करो।
वैसे भी 2 का अंक या गुरज शिक्षामित्रो के लिए हानिकारक है ।
उदाहरण के लिए 6 जुलाई (2 का गुरज) और 12 सेप्टेम्वर ।
और इस बार 22 फरवरी है।
इसलिये मित्रो भ्रम से बाहर निकलो और सहयोग करो नहीं कल यही पैरिवाकर हाइकोर्ट कि तरह कहेंगे क़ि हम आर्थिक रूप से कमजोर थे नहीं ऐसा नहीं होने देते।
धन्यवाद।
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आज जैसा माहौल है ठीक वैसा ही माहौल समायोजन के बाद था हाइकोर्ट के निर्णय आने के पहले।
अब सभी इतने विधिक ज्ञानी हो गए है क़ि किसको क्या कहा जाये।
® कोर्ट किसी के दवाब में काम नहीं करता ये बात नोट कर लो।
®मानवीय पहलू कोई मायने नहीं रखता शिक्षामित्र केस में ।
क्योंकि विरोधी भी मानव है उचित योग्यता के साथ ।
®स्ते होना गारंटी नहीं होती केस जीतने कि ।
जिसको विश्वास ना हो वो किसी वकील से पूछ सकता है ,वकील चाहे जिस भी कोर्ट का हो।
®सुप्रीम कोर्ट कभी भी सुनवाई हवा में नहीं करता मतलब नियमो में करता है ।
इसका उल्लेख खुद जज महोदय दीपक मिश्रा कई बार आदेश मे कर चुके है।
®सुप्रीम कोर्ट केवल हाइकोर्ट के आदेश कि समीक्षा करता है।
मतलब जिस भी पक्ष को हाइकोर्ट के आदेश में जहाँ आपत्ति हो उसपे बात करे ।
®कुछ लोग 22 फरवरी को सेमीफाइनल बता रहे है।
कारण ये बता रहे है क़ि स्ते होने के बाद सुनवाई नहीं हुई और ना ही किसी का काउंटर आया तो उनकी जानकारी के लिए बता दे क़ि शिक्षामित्र केस में किसी भी काउंटर की जरूरत नहीं क्योकि सुप्रीम कोर्ट में हाइकोर्ट से सभी फाइल पहले ही पहुँच चुकी है।
®कुछ लोग बता रहे है की दीपक मिश्रा जी कभी भी किसी कि नोकरी नहीं ली।
जज किसी का दुश्मन नहीं होता ।वो नियमो पे आदेश करता है और जब मामला आध्यपक से जुड़ा हो तो वो आध्यपक से जाएदा महत्व उन बच्चो को देता है जिनको वो आध्यपक शिक्षा देता है क्योंकि बच्चो से देश का भविष्य जुड़ा होता ।
®शिक्षक भर्ती में सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक कि योग्यता होती है और इससे खिलवाड़ कोई भी जज नहीं कर सकता।
®कुछ लोग ये भी बता रहे है की 22 को सुनवाई पूरी हो जायेगी किन्तु जज महोदय आदेश रिजर्व कर लेंगे और कभी नहीं सुनाएंगे ।
ऐसा कोई नियम नहीं है और ना ही जज आपके अनुसार करेंगे।हाइकोर्ट के समय याद ही होगा कि शनिवार को कोर्ट खोल के आदेश जारी हुआ और इसके पीछे भी माननीय जज दीपक मिश्रा जी ही थे क्योकि 27 जुलाई को स्ते 10 सप्ताह के लिए किये थे और स्ते 13 सेटेम्बर को खत्म हो रहा था ,इसीलिये स्ते खत्म होने के पहले ही 12 सेप्टेंबर को आदेश सुनाया गया ।
उपरोक्त ®सभी बातें शिक्षामित्र बन्धु किया रोज किया करते है ,उन्ही को लिखा है कारण सहित।
अब खुद सोच लो कि कहाँ है हम।
इसलिए बिना किसी के बहकावे में आये 22 कि तैयारी करो और ये इंतजार ना करो क़ि जब कोई मांगने आएगा तो देंगे ।नोकरी खुद कि है इसलिए जिसमे आपको विश्वास हो उसको खुद दो जाके क्योकि ये शायद अंतिम सहयोग हो क्योकि इस दिन या तो आर या पार होना लगभग तय है ,इसलिए 22 के साथ खिलवाड़ ना करो।
वैसे भी 2 का अंक या गुरज शिक्षामित्रो के लिए हानिकारक है ।
उदाहरण के लिए 6 जुलाई (2 का गुरज) और 12 सेप्टेम्वर ।
और इस बार 22 फरवरी है।
इसलिये मित्रो भ्रम से बाहर निकलो और सहयोग करो नहीं कल यही पैरिवाकर हाइकोर्ट कि तरह कहेंगे क़ि हम आर्थिक रूप से कमजोर थे नहीं ऐसा नहीं होने देते।
धन्यवाद।
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