अमर उजाला ब्यूरो, आगरा परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात सात शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है। पांच शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र अमान्य बोर्ड और संस्थानों के पाए हैं। वहीं दो ने सर्टिफिकेट ऑफ टीचिंग (सीटी) किया था। नियुक्ति के समय इसका प्रावधान नहीं था।
तीन शिक्षकों के प्रमाणपत्र भारतीय शिक्षा परिषद, लखनऊ के हैं। यह अमान्य सूची में शामिल हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय, हरोड़ा, सैंया की शिक्षिका अमृता सक्सेना, प्राथमिक विद्यालय राबर, फतेहाबाद के शिक्षक शहजान अहमद और प्राथमिक विद्यालय, पीला डाडा, फतेहाबाद की शिक्षिका सुमाल्या नाज ने भारतीय शिक्षा परिषद के ही प्रमाणपत्र लगाए थे। वहीं प्राथमिक विद्यालय, रोझोली, फतेहपुर सीकरी की शिक्षिका ऊषा ने गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार के प्रमाणपत्र लगाए गए थे। इसको भी अमान्य माना गया है।
प्राथमिक विद्यालय गढ़ी रम्मपुरा, जैतपुर कलां के शिक्षक प्रदीप कुमार ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा अमान्य बोर्ड से उत्तीर्ण की है। इन सभी शिक्षकों की नियुक्ति पूर्व बीएसए धर्मेंद्र सक्सेना के समय की गई थी। आवेदन से लेकर नियुक्ति के समय तक प्रमाणपत्रों की अनदेखी की गई। जबकि शासन स्तर से अमान्य बोर्ड और संस्थानों की सूची पहले से ही विभाग में उपलब्ध कराई गई है। बाद में शिकायत के आधार बीएसए दिनेश कुमार यादव ने मामले की जांच कराई। अमान्य संस्थानों और बोर्ड के प्रमाणपत्र पाए जाने पर शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए गए हैं।
सीटी पर दे दी गई नियुक्ति
प्राथमिक विद्यालय, इंधौन, फतेहाबाद की शिक्षिका नीतू और प्राथमिक विद्यालय, मलपुरा अकोला की शिक्षिका की नियुक्ति वर्ष 2013 में तत्कालीन बीएसए देवेंद्र प्रकाश ने की थी। इन शिक्षिकाओं ने सीटी किया है। बीएसए दिनेश कुमार यादव के मुताबिक उस समय सीटी का प्रावधान नहीं था। इनकी भी सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर दिए हैं। कई और शिक्षकाें पर भी गाज गिर सकती है। करीब 25 शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। एक बार संबंधित बोर्ड और संस्थानों से सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। कार्रवाई से पहले दोबारा सत्यापन के लिए शिक्षकाें के नाम भेजे जा रहे हैं। बीएसए का कहना है कि दोबारा सत्यापन में जिन शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए, उनकी सेवा समाप्त की जाएगी और संबंधित के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।
10 शिक्षक फर्जी पाए जा चुके हैं
आगरा। वर्ष 2014 में पहले चरण में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित दस शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए थे। इनकी सेवा समाप्त कर दी गई थी। आदेश के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं
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तीन शिक्षकों के प्रमाणपत्र भारतीय शिक्षा परिषद, लखनऊ के हैं। यह अमान्य सूची में शामिल हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय, हरोड़ा, सैंया की शिक्षिका अमृता सक्सेना, प्राथमिक विद्यालय राबर, फतेहाबाद के शिक्षक शहजान अहमद और प्राथमिक विद्यालय, पीला डाडा, फतेहाबाद की शिक्षिका सुमाल्या नाज ने भारतीय शिक्षा परिषद के ही प्रमाणपत्र लगाए थे। वहीं प्राथमिक विद्यालय, रोझोली, फतेहपुर सीकरी की शिक्षिका ऊषा ने गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार के प्रमाणपत्र लगाए गए थे। इसको भी अमान्य माना गया है।
प्राथमिक विद्यालय गढ़ी रम्मपुरा, जैतपुर कलां के शिक्षक प्रदीप कुमार ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा अमान्य बोर्ड से उत्तीर्ण की है। इन सभी शिक्षकों की नियुक्ति पूर्व बीएसए धर्मेंद्र सक्सेना के समय की गई थी। आवेदन से लेकर नियुक्ति के समय तक प्रमाणपत्रों की अनदेखी की गई। जबकि शासन स्तर से अमान्य बोर्ड और संस्थानों की सूची पहले से ही विभाग में उपलब्ध कराई गई है। बाद में शिकायत के आधार बीएसए दिनेश कुमार यादव ने मामले की जांच कराई। अमान्य संस्थानों और बोर्ड के प्रमाणपत्र पाए जाने पर शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए गए हैं।
सीटी पर दे दी गई नियुक्ति
प्राथमिक विद्यालय, इंधौन, फतेहाबाद की शिक्षिका नीतू और प्राथमिक विद्यालय, मलपुरा अकोला की शिक्षिका की नियुक्ति वर्ष 2013 में तत्कालीन बीएसए देवेंद्र प्रकाश ने की थी। इन शिक्षिकाओं ने सीटी किया है। बीएसए दिनेश कुमार यादव के मुताबिक उस समय सीटी का प्रावधान नहीं था। इनकी भी सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर दिए हैं। कई और शिक्षकाें पर भी गाज गिर सकती है। करीब 25 शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। एक बार संबंधित बोर्ड और संस्थानों से सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। कार्रवाई से पहले दोबारा सत्यापन के लिए शिक्षकाें के नाम भेजे जा रहे हैं। बीएसए का कहना है कि दोबारा सत्यापन में जिन शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए, उनकी सेवा समाप्त की जाएगी और संबंधित के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।
10 शिक्षक फर्जी पाए जा चुके हैं
आगरा। वर्ष 2014 में पहले चरण में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित दस शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए थे। इनकी सेवा समाप्त कर दी गई थी। आदेश के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं
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