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शिक्षामित्रो का समायोजन तो बचेगा ही उसके साथ ही अब तक होने वाले अन्याय का बदला भी लेंगे: पवन कुमार पांडेय

राणा की पोस्ट और टेट 2011 के सफ़ेदा लगाए हुए बीएड द्वारा की जा रही पोस्ट
अनभिज्ञता का प्रमाण पत्र है.शिक्षा मित्रो का अब तक जितना नुकसान हुआ है उसका संपूर्ण श्रेय ncte के काउंटर और सरकार के लचर पैरवी को जाता है.
सुप्रीम कोर्ट मे ncteके वकील ने स्वीकार किया की हमारा काउंटर हाई कोर्ट मे गलत लगा था फिर डीग हाकने से क्या लाभ है .जहॉ तक सरकार के गलत पैरवी की बात है उसके लिए वो आ गयी है जो हर कमी को पूरा कर रही है. शिक्षा मित्रो का समायोजन तो बचेगा ही उसके साथ ही अब तक होने वाले अन्याय का बदला भी लेंगे.हम शिक्षामित्र राणा परेसान है  कि शिक्षा मित्र कार्यरत शिक्षक नही है यही सवाल विपक्षी वकीलो ने कोर्ट मे उठाया था उस पर कोर्ट ने कहॉ कि आप ही बता दो शिक्षामित्र स्कूल मे क्या कर रहे थे. हमारे विरोधी १जुलाई २००१ एक शासना देश पढ़ कर परेसान है.जिसमे सामुदायिक सहभागिता शब्द का प्रयोग है परंतु इससे पूर्व पंचायत राज संशोधन अधिनियम १९९९, १२अप्रैल १९९९,२६मई १९९९,२१जून १९९९,१जुलाई १९९९,११-अगस्त १९९९आदि पत्र भी है.जिसमे स्पस्ट रुप से शिक्षको की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात लिखी है.शिक्षामित्र क्या हैउसे देखा जाय.
सर्व प्रथम पंचायत राज संसोधन अधिनियम पारित होता है जिसमे बेसिक शिक्षा पंचायत को दिया जाता है.
इस क्रम १२अप्रैल १९९९को महा महीम राज्यपाल की ओर से पत्र जारी होता है जिसमे स्पस्ट उल्लेख होता है कि अब राज्य सरकार या उसका अधिकारी या संस्था विद्यालयों मे किसी प्रकार नियुक्ति नही करेगा.अब रिक्त होने वाले पदो पर ग्राम पंचायत पैरा टीचर नियुक्त करेगी .इनकी  योग्यता इण्टर मीडियट होगी और स्थानीय व्यक्ति को वरीयता दी जाऐगी.मानदेय १४५० रहेगा
१२अप्रैल के क्रम मे २६ मई १९९९ का शासनादेश जारी होता है.जिसमे ऐसे शिक्षको को शिक्षा मित्र नाम दिया जाता है.१४५० मानदेय ,इण्टर मीडियट योग्यता  व स्थानीय व्यक्ति को वरीयता दी गयी.एक माह का प्रशिक्षण तथा प्रति वर्ष १५दिन का प्रशिक्षण रखा गया.
२१जून १९९९को महामहीम राज्यपाल द्वारा बेसिक शिक्षा संशोधन अध्यादेश देश १९९९ जारी होता है जिसमे परिषद के अधिकार खत्म कर दिऐ जाते है शिक्षको के नियुक्ति का अधिकार ग्राम पंचायत को दे दिया जाता है. यहा तक जिन लोगो की ट्रेनिग डायटो मे चल रही थी उनकी नियुक्ति का अधिकार भी ग्राम पंचायत को दिया जाता है.
  १जुलाई १९९९ को राज्यपाल की ओर से आदेश जारी होता है कि अब शिक्षको के जितने पद खाली होंगे उन संपूर्ण पदो पर ग्राम पंचायत पैरा  टीचर नियुक्ति करेगी.इसके लिए उ प्र बेसिक शिक्षा संशोधन अध्यादेश १९९९ के क्रम मे बेसिक शिक्षा विभाग अलग से दिशा निर्देश जारी करेगा.
    उपरोक्त के क्रम मे ११अगस्त १९९९मे शासनादेश जारी होता है कि शिक्षको से किसी भी प्रकार से रिक्त हुए पद शिक्षा मित्रो को अनुबंधित किया जाय.
यहा पर कुछ बिंदु विचारणीय है.
१- जब पंचायती राज संशोधन अधिनियम व बेसिक शिक्षा संशोधन अध्यादेश १९९९के क्रम राज्यपाल महोदयने बेसिक शिक्षा विभाग को पैरा शिक्षक के नियुक्ति के संबंध मे दिशा निर्देश जारी करने के लिए अधिकृत किया था तब क्या बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शोसल वर्कर नाम  दिया जाना कैसे मान्य होगा ?
२-जब शिक्षा मित्रो की नियुक्ति शिक्षक के पद 3:2 पर हुई थी.परिषद के शिक्षक नही नियुक्त होना था.यदि वही व्यवस्था आज तक चलती तो क्या शिक्षा मित्र खाता संचालन आदि कार्य नही करते?
३-क्या शिक्षक और शिक्षा मित्रो के वेतन मे इतना अधिक अंतर होना चाहिए जबकि शुरआत मे लगभग ही था.बहुत थोडा अंतर
   उपरोक्त बिंदु विचारणीय है.

व्यवस्था परिवर्तन के विरोध मे शिक्षको द्वारा ४५दिन हड़ताल किया गया.उसके दबाव मे बेसिक शिक्षा संशोधन अध्यादेश २०००पारित किया गया .जिसमे १३क अध्यारोपित करके व्यवस्था की गयी कि पंचायत की व्यवस्था होतो हुए बेसिक शिक्षा अधिनियम की व्यवस्था भी चालू रहेगी .इसी के साथ ३/२के अनुपात मे परिषद और पंचायत की व्यवस्था चालू हो गयी .
इसके बाद निम्न बिन्दु से समायोजन आवश्यक हो गया था मौजूदा परिद्रश्य में
१-आर टी ई rte रूल के क्लाज १८व आर टी ऐक्ट के २० मे स्पस्ट है कि वेसिक विद्यालय मे कार्यरत सभी प्रकार के  शिक्षक एक नियम से आच्छादित होंगे
२-उमा देवी जज मेंट भी कहता है कि किसी को १०वर्ष से अधिक अस्थाई नही रखा जा सकता है.
३-भारतीय संविधान की धारा २१ मे सभी नागरिक को गरिमा मयी जीवन का अधिकार है जबकि इस व्यवस्था मे संभव नही था.
४-संविधान की धारा ३९D मे समान कार्य के लिए समान वेतन की व्यवस्था का हनन हो रहा था.जिस पर अभी अभी 26oct 2016 को  सुप्रीम कोर्ट के cji जस्टिस खेहर जी ने जगजीत सिंह &ors पर सामान कार्य सामान वेतन का आदेश दिया है ।
 
हमारा विपक्षी शिक्षा मित्रो से अनावश्यक परेसान है शिक्षा मित्र केवल २०१०तक सेंसन SSA सर्व शिक्षा अभियान के द्वारा पोस्ट पर नियुक्त हुए है .जबकि  हमारे विरोधी टेट २०११व बीटीसी २०१४ बैच के है .क्या सरकार इन लोगो के इंतजार मे १९९९ से पद खाली रख कर इनका इंतजार करती सन् 2011 के आने का और उस समय के बच्चो को  शिक्षा से वंचित रखती फिर सर्व शिक्षा अभियान SSA 1999 से कैसे चलता ? ?

विपक्षी ट्रेनिग की बात कर रहा है.शिक्षा मित्र एक माह के ट्रेनिग के साथ शिक्षण कार्य प्रारम्भ करता है और प्रति वर्ष१५दिन की पुनर्बोध ट्रेनिग करता है.जिसने शिक्षा मित्र योजना की परिकल्पना की थी.उसने एक ट्रेन्ड टीचर रखा था.परंतु ३सितम्बर २००१के ncte के नोटीफिकेसन के बाद दो वर्ष से कम ट्रेनिग मान्य नही रह गयी .इसलिए अनट्रेंड टीचर की श्रेणी मे आ गये शिक्षामित्र जिसको कार्यरत रहते दूरस्थ विधि से DBTC करवाई गयी ।।
  पहला विंदु हम कार्यरत है पूर्व विवरण से स्पस्ट है .ncteने भी अन्ट्रेड टीचर कह दिया है.
  दूसरा बिंदु एस सी ई आर टी के मान्यता मे अपेंडिक्स ९ की बात की जाती है.उक्त के क्रम मे हमारे ट्रेनिग की अनुमति १४-१-२०११ मे हुआ है जबकि ncte २०१० मे ट्रेनिग के लिए एस सी ई आर टी scert  व डायट diet को अधिकृत किया जा चुका था.ncteने लेटर जारी करते समय स्पस्ट रुप से २०१० का आधार के रूप मे उल्लेख किया है. इसके अतरिक्त ncte ही किसी संस्था को ट्रेनिग देने को अधिकृत करती है .राज्य के लेटर मे संस्था और कार्य क्रम का स्पस्ट उल्लेख था.उसे ncte ने अधिकृत किया है.
  शिक्षा मित्र नियमो से नियुक्त शिक्षक है परंतु विभाग ने हमारी स्थिति अंग्रेजो के समय के सैनिको जैसी कर दी. जिसमे भारतीय सैनिक से सबसे अधिक कार्य लिया जाता था परंतु सुविधाएँ और वेतन अंग्रेज सैनिक से बहुत कम होता था.वही हाल शिक्षा मित्रो का हुआ. विभाग के सभी कठिन कार्य शिक्षा मित्र से करवाया गया परंतु बदले में हर सुविधाएं न्यूनतम ही  रही.संविधान निर्माताओ ने व्रिटिश  काल के अपराध से बचने के लिए संविधान मे ३९Dऔर २१ की व्यवस्था की थी परंतु वह भी जीरो सावित हुआ शिक्षामित्रो के लिए क्या ऐसे संविधान को अस्तित्व कोई नहीं है क्या ??
अब शिक्षा मित्र अपने हित के लिए जाग चुका है.पूर्व का सारा हिसाब बराबर किया जाऐगा चाहें विरोधी हो या हो सरकार की गलत निति ..........
*पवन कुमार पाण्डेय😊🌺*
*7827058811*
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