शामली : शिक्षक ज्यादा और छात्र मानक से कम। जिले के अधिकतर विद्यालयों
में इसी तरह की से¨टग चलती आ रही है। शिक्षक मनचाहे स्कूल में तैनाती पाने
के लिए अधिकारियों से साठगांठ कर ऐसे स्कूलों में
प्राथमिक विद्यालय में 30 व उच्च प्राथमिक में 35 की छात्र संख्या पर एक अध्यापक की नियुक्ति का नियम है। इसके अलावा प्राथमिक में दो व उच्च प्राथमिक में तीन शिक्षकों का होना आवश्यक है, भले ही बच्चों का नामांकन मानक से कम हो। शासन द्वारा जारी समायोजन प्रक्रिया में लास्ट इन फस्ट आउट सिद्धांत के तहत सबसे बाद में ज्वाइन करने वाले शिक्षक को हटाकर अन्य विद्यालय भेजा जाना है। इसका खामियाजा उन गुरुजनों को उठाना पड़ रहा है, जिन्होंने गत सालों में जोड़-तोड़कर मानक के विपरीत मनचाहे विद्यालयों में तैनाती पा ली है। आरटीई एक्ट के प्रावधानों के तहत अगर इन पर नजर दौड़ाई जाए तो आधा सैकड़े ऐसे विद्यालय हैं, जहां मानक से अधिक शिक्षकों की तैनाती है। इनमें कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं, जहां 50 बच्चों का नामांकन न होने के बावजूद वर्षो से पांच-पांच शिक्षकों की तैनाती है। जबकि कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं, जिनमें छात्र संख्या अधिक होने के बावजूद अध्यापकों की संख्या बेहद कम है। इसका सीधा असर नौनिहालों की शैक्षिक गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
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प्राथमिक विद्यालय में 30 व उच्च प्राथमिक में 35 की छात्र संख्या पर एक अध्यापक की नियुक्ति का नियम है। इसके अलावा प्राथमिक में दो व उच्च प्राथमिक में तीन शिक्षकों का होना आवश्यक है, भले ही बच्चों का नामांकन मानक से कम हो। शासन द्वारा जारी समायोजन प्रक्रिया में लास्ट इन फस्ट आउट सिद्धांत के तहत सबसे बाद में ज्वाइन करने वाले शिक्षक को हटाकर अन्य विद्यालय भेजा जाना है। इसका खामियाजा उन गुरुजनों को उठाना पड़ रहा है, जिन्होंने गत सालों में जोड़-तोड़कर मानक के विपरीत मनचाहे विद्यालयों में तैनाती पा ली है। आरटीई एक्ट के प्रावधानों के तहत अगर इन पर नजर दौड़ाई जाए तो आधा सैकड़े ऐसे विद्यालय हैं, जहां मानक से अधिक शिक्षकों की तैनाती है। इनमें कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं, जहां 50 बच्चों का नामांकन न होने के बावजूद वर्षो से पांच-पांच शिक्षकों की तैनाती है। जबकि कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं, जिनमें छात्र संख्या अधिक होने के बावजूद अध्यापकों की संख्या बेहद कम है। इसका सीधा असर नौनिहालों की शैक्षिक गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
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