माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट
ने यूपी के सहायता प्राप्त प्राथमिक और जूनियर स्कूलों के टीचरों को
प्रमोशनल ग्रेड देने की नीति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट ने कहा कि ये सरकार की आर्थिक नीति है। उसके पास पैसे नहीं है तो
नहीं दे रही। इस मामले में यूपी सीनियर बेसिक शिक्षक संघ ने सहायता प्राप्त
स्कूलों के सिर्फ 20 फीसद शिक्षकों को ही प्रमोशनल ग्रेड देने की सरकारी
नीति को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति
मदन बी. लोकूर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने शुक्रवार को शिक्षक संघ
के वकील डीके गर्ग की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी। गर्ग का
कहना था कि प्रमोशनल ग्रेड के लिए 20 फीसद की सीलिंग ठीक नहीं है। ये नीति
मनमानी और शिक्षकों के बीच भेदभाव करने वाली है। उनका ये भी कहना था कि 20
फीसद को प्रमोशनल ग्रेड देने के मानक भी तय नहीं हैं।
हाईकोर्ट की एकलपीठ का फैसला सही था जिसने
नीति को मनमाना बताये हुए निरस्त कर दिया था और सभी को सलेक्शन ग्रेड के
बाद 12 साल की सर्विस पूरी करने पर प्रमोशनल ग्रेड देने का आदेश दिया था।
लेकिन हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यूपी सरकार की याचिका पर एकलपीठ का आदेश खारिज
कर दिया था जिससे पुन: प्रमोशनल ग्रेड के लिए 20 फीसद की सीलिंग लागू हो
गई। लेकिन पीठ उनकी दलीलों से प्रभावित नहीं हुई और याचिका खारिज कर दी। ये
मामला मान्यता प्राप्त सहायता प्राप्त जूनियर स्कूलों के शिक्षकों को
प्रमोशनल ग्रेड देने की नीति से जुड़ा है।
नियम के मुताबिक सलेक्शन ग्रेड की 12 साल की सर्विस पूरी करने
के बाद जूनियर शिक्षकों को प्रमोशनल ग्रेड मिलता है लेकिन सरकार के नियमों
के मुताबिक प्रमोशनल ग्रेड का लाभ सिर्फ 20 फीसद शिक्षकों को ही मिलता है।
सलेक्शन ग्रेड की 12 साल की नौकरी पूरी करने वाले हर शिक्षक को इसका लाभ
नहीं मिलता। ये 20 फीसद सीलिंग का नियम भी सिर्फ सहायता प्राप्त जूनियर
स्कूलों के लिए है। सरकारी स्कूलों या फिर सैकेन्ड्री स्कूलों में छठवीं से
आठवीं की कक्षा को पढ़ाने वाले लोगों के बारे में ये नियम लागू नहीं है।
यूपी सीनियर बेसिक शिक्षक संघ ने इस नियम
को पहले हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने याचिका स्वीकार
कर 20 फीसद की सीलिंग का नियम खारिज कर दिया था। लेकिन राज्य सरकार की अपील
पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ का आदेश निरस्त कर दिया था और 20 फीसद की
सीलिंग फिर लागू हो गई थी। जिसके खिलाफ संघ सुप्रीम कोर्ट आया था। सुप्रीम
कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
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