इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग की आरओ-एआरओ परीक्षा 2016 का प्रकरण फिर सतह पर आ गया है। परीक्षा का प्रश्नपत्र लखनऊ के एक केंद्र से लीक हुआ।
इस मामले की जनवरी में एफआइआर भी दर्ज हो चुकी है, साथ ही प्रतियोगी मुख्यमंत्री व डीजीपी से मिल चुके हैं, उसके बाद भी प्रकरण की जांच आगे नहीं बढ़ रही है।
आयोग के मौन रहने पर सवाल उठ रहे हैं। आयोग ने आरओ-एआरओ 2016 की प्रारंभिक परीक्षा 27 नवंबर, 2016 को कराया था। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय ने अब फिर मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच कराने का अनुरोध किया है। साथ ही आयोग के अफसरों के भूमिका की भी जांच की मांग की गई है। इसकी प्रति पुलिस महानिदेशक, अध्यक्ष, सचिव व परीक्षा नियंत्रक लोकसेवा आयोग को भी भेजी गई है। पत्र में लिखा है कि बिना आयोग की भूमिका के पेपर लीक नहीं हो सकता, इसके पहले पीसीएस का पेपर भी पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल में लीक हो चुका है। इसलिए गहनता से अफसरों की भूमिका की जांच जरूरी है।
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इस मामले की जनवरी में एफआइआर भी दर्ज हो चुकी है, साथ ही प्रतियोगी मुख्यमंत्री व डीजीपी से मिल चुके हैं, उसके बाद भी प्रकरण की जांच आगे नहीं बढ़ रही है।
आयोग के मौन रहने पर सवाल उठ रहे हैं। आयोग ने आरओ-एआरओ 2016 की प्रारंभिक परीक्षा 27 नवंबर, 2016 को कराया था। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय ने अब फिर मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच कराने का अनुरोध किया है। साथ ही आयोग के अफसरों के भूमिका की भी जांच की मांग की गई है। इसकी प्रति पुलिस महानिदेशक, अध्यक्ष, सचिव व परीक्षा नियंत्रक लोकसेवा आयोग को भी भेजी गई है। पत्र में लिखा है कि बिना आयोग की भूमिका के पेपर लीक नहीं हो सकता, इसके पहले पीसीएस का पेपर भी पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल में लीक हो चुका है। इसलिए गहनता से अफसरों की भूमिका की जांच जरूरी है।
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