इसका शोध कम से कम टीईटी मेरिट पर चयनित लोग खुद से कर सकते हैं कि जो वर्ष 2014 के अंतरिम आदेश से मैराथन सुनवाई के प्रथम दिन तक जीते थे तो अंत में क्या हुआ ?
इसका कारण जानने के लिए आपको पैरवीकारों की पैरवी पर गहन अध्यन्न करना चाहिए |
जब टीईटी मेरिट के विरुद्ध एनसीटीई के वरिष्ठ अधिवक्ता नाडकर्णी साहब बोल रहे थे तो क्यों कोई अधिवक्ता खड़ा नहीं हुआ कि जब आप प्रथम दिन टीईटी मेरिट को अजय कर चुके है तो क्यों बिना किसी नोटिस के आप अकादमिक के पक्ष में निर्णय कर रहे हैं , लेकिन वहां कोई हो तो तभी तो बोले , समस्त पैरवीकारों को पता था अब हम सुरक्षित बाकी दुनिया जाए भाड़-चूले में लेकिन लगातार अकाउंट जारी रखो बस ये ही कहानी रही |
अरे हम न हो मेरिट पर थे और हम तो कैसे भी नहीं थे लेकिन आए अंदर तो अपने और अपने सहयोगियों के दम पर और आम बीएड/बीटीसी/टीईटी उत्तीर्ण से अपना वादा भी निभाए कि आप सभी को अंदर आना होगा anyhow और उसके लिए प्लेटफार्म तैयार करने के पश्चात हम प्रयासरत भी हैं लेकिन मा० उच्च न्यायालय के मुख्य वादी और मा० सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य प्रतिवादी की कोई पोस्ट नहीं आई इस पर जो कि हिन्दुस्तान की चयन प्रक्रिया को बदलने चले थे |
बहरहाल एनसीटीई ने साफ़ कर दिया है कि भारांक देना कोई बंधन/बंधक नहीं है राज्य अपने अनुसार चल सकती है और खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि इस कथन के विरुद्ध कोई टीईटी मेरिट पक्ष का पैरवीकार आवाज नहीं उठा पाया |
कहते हैं जो होता है अच्छे के लिए होता है और हुआ भी |
फिलहाल बेसिक में बदलाव अग्रसर की तरफ है लेकिन टीईटी मेरिट के पक्षधर अब सामने आकर अपनी गलती स्वीकारें तो बेहतर है क्यूंकि छह साल प्रदेश को 9 B दिखाकर बहुत बेवकूफ बनाये/यहाँ तक कि डराए भी हैं |
कृपा करके खुद को मुख्य पैरवीकार करके सम्बोधित करने वाले टिप्पणी जरूर करें बाकी मुंह तो छिपा ही लिए हैं आप |
धन्यवाद
हर हर महादेव
आपका_हिमांशु राणा
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
इसका कारण जानने के लिए आपको पैरवीकारों की पैरवी पर गहन अध्यन्न करना चाहिए |
जब टीईटी मेरिट के विरुद्ध एनसीटीई के वरिष्ठ अधिवक्ता नाडकर्णी साहब बोल रहे थे तो क्यों कोई अधिवक्ता खड़ा नहीं हुआ कि जब आप प्रथम दिन टीईटी मेरिट को अजय कर चुके है तो क्यों बिना किसी नोटिस के आप अकादमिक के पक्ष में निर्णय कर रहे हैं , लेकिन वहां कोई हो तो तभी तो बोले , समस्त पैरवीकारों को पता था अब हम सुरक्षित बाकी दुनिया जाए भाड़-चूले में लेकिन लगातार अकाउंट जारी रखो बस ये ही कहानी रही |
अरे हम न हो मेरिट पर थे और हम तो कैसे भी नहीं थे लेकिन आए अंदर तो अपने और अपने सहयोगियों के दम पर और आम बीएड/बीटीसी/टीईटी उत्तीर्ण से अपना वादा भी निभाए कि आप सभी को अंदर आना होगा anyhow और उसके लिए प्लेटफार्म तैयार करने के पश्चात हम प्रयासरत भी हैं लेकिन मा० उच्च न्यायालय के मुख्य वादी और मा० सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य प्रतिवादी की कोई पोस्ट नहीं आई इस पर जो कि हिन्दुस्तान की चयन प्रक्रिया को बदलने चले थे |
बहरहाल एनसीटीई ने साफ़ कर दिया है कि भारांक देना कोई बंधन/बंधक नहीं है राज्य अपने अनुसार चल सकती है और खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि इस कथन के विरुद्ध कोई टीईटी मेरिट पक्ष का पैरवीकार आवाज नहीं उठा पाया |
कहते हैं जो होता है अच्छे के लिए होता है और हुआ भी |
फिलहाल बेसिक में बदलाव अग्रसर की तरफ है लेकिन टीईटी मेरिट के पक्षधर अब सामने आकर अपनी गलती स्वीकारें तो बेहतर है क्यूंकि छह साल प्रदेश को 9 B दिखाकर बहुत बेवकूफ बनाये/यहाँ तक कि डराए भी हैं |
कृपा करके खुद को मुख्य पैरवीकार करके सम्बोधित करने वाले टिप्पणी जरूर करें बाकी मुंह तो छिपा ही लिए हैं आप |
धन्यवाद
हर हर महादेव
आपका_हिमांशु राणा
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines