बांकेगंज ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय भरिगवां में सभी चार शिक्षकों
को एक साथ छुट्टी दिए जाने के मामले का संज्ञान लेते हुए बीएसए बुद्ध
प्रिय सिंह ने सभी बीईओ को नोटिस जारी कर निर्देश दिए हैं।
खासकर चाइल्ड केयर लीव के मामले में जांच पड़ताल के बाद ही अवकाश स्वीकृत करने के निर्देश दिए हैं। सूत्र बताते हैं कि सीसीएल स्वीकृत करने के लिए महिला शिक्षिका लालायित रहती हैं, जिन्हें दरियादिली दिखाते हुए बीईओ जांच पड़ताल भी नहीं करते हैं। सूत्रों की माने तो जांच करने पर ऐसा हाल कुछ और विद्यालयों में भी मिल सकता है। बीएसए ने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया गया है। आगे से ऐसी गलती न हो, जिसके लिए सभी बीईओ को कड़ी चेतावनी दी गई है।
प्राथमिक विद्यालय भरिगवां में तैनात चारों शिक्षकों को लंबी छु्ट्टी दिए जाने से विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। एकमात्र कार्यरत शिक्षामित्र के भरोसे विद्यालय छोड़ दिया गया, जो शिक्षामित्र संगठन द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन में हिस्सा ले चुकी हैं। इसके चलते कई दिनों तक विद्यालय रहा। इससे बच्चों को पढ़ाई के साथ ही मिड डे मील भी से वंचित होना पड़ा है। प्रधान अरविंद यादव ने बताया कि गुरुवार को विद्यालय खुला, लेकिन शिक्षामित्र सुमन ही उपस्थित थीं। अकेले शिक्षामित्र ने बच्चों को पढ़ाने के बजाय संभालने में ही ज्यादा जोर दिया। बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिक्षामित्र अभी उबर नहीं पाए हैं, क्योंकि शासन ने उनके बारे में कोई आदेश जारी नहीं किया है। लिहाजा शिक्षामित्र भी अनमने ढंग से सिर्फ अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, लेकिन किस हैसियत से जिसका अंदाजा उन्हें खुद भी नहीं है।
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खासकर चाइल्ड केयर लीव के मामले में जांच पड़ताल के बाद ही अवकाश स्वीकृत करने के निर्देश दिए हैं। सूत्र बताते हैं कि सीसीएल स्वीकृत करने के लिए महिला शिक्षिका लालायित रहती हैं, जिन्हें दरियादिली दिखाते हुए बीईओ जांच पड़ताल भी नहीं करते हैं। सूत्रों की माने तो जांच करने पर ऐसा हाल कुछ और विद्यालयों में भी मिल सकता है। बीएसए ने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया गया है। आगे से ऐसी गलती न हो, जिसके लिए सभी बीईओ को कड़ी चेतावनी दी गई है।
प्राथमिक विद्यालय भरिगवां में तैनात चारों शिक्षकों को लंबी छु्ट्टी दिए जाने से विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। एकमात्र कार्यरत शिक्षामित्र के भरोसे विद्यालय छोड़ दिया गया, जो शिक्षामित्र संगठन द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन में हिस्सा ले चुकी हैं। इसके चलते कई दिनों तक विद्यालय रहा। इससे बच्चों को पढ़ाई के साथ ही मिड डे मील भी से वंचित होना पड़ा है। प्रधान अरविंद यादव ने बताया कि गुरुवार को विद्यालय खुला, लेकिन शिक्षामित्र सुमन ही उपस्थित थीं। अकेले शिक्षामित्र ने बच्चों को पढ़ाने के बजाय संभालने में ही ज्यादा जोर दिया। बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिक्षामित्र अभी उबर नहीं पाए हैं, क्योंकि शासन ने उनके बारे में कोई आदेश जारी नहीं किया है। लिहाजा शिक्षामित्र भी अनमने ढंग से सिर्फ अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, लेकिन किस हैसियत से जिसका अंदाजा उन्हें खुद भी नहीं है।
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