इलाहाबाद। हाईकोर्ट
ने 72825 प्रशिक्षु सहायक अध्यापकों की भर्ती में ऐसे शिक्षामित्रों को
नियुक्ति देने के मामले में सरकार से जवाब मांगा है, जो बीएड और टीईटी पास
हैं। इन शिक्षामित्रों का कहना है कि वे पूर्व में प्रशिक्षु सहायक अध्यापक
पद पर चयनित हो चुके थे, मगर मामला कोर्ट में होने और शिक्षामित्रों के
सहायक अध्यापक पद पर समायोजन होने के कारण उन्होंने पद पर ज्वाइन नहीं किया
था। अब शिक्षामित्रों का समायोजन सुप्रीमकोर्ट ने रद्द कर दिया है, इसलिए
उनको प्रशिक्षु सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति दी जाए। अरविंद कुमार और
अन्य 27 शिक्षामित्रों की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल
ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि इन शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद
नियुक्ति क्यों नहीं दी जानी चाहिए।
याचीगण के अधिवक्ता सीमांत सिंह का
कहना था कि याचीगण शिक्षामित्र के तौर पर प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत
थे। उनके पास बीएड की डिग्री भी थी, इसलिए टीईटी में बैठे और सफल रहे।
उन्होंने 2011 में विज्ञापित 72,825 प्रशिक्षु सहायक अध्यापकों के पद पर
आवेदन किया और उनको नियुक्तिपत्र भी मिल गया। इसमें छह माह के प्रशिक्षण के
बाद सहायक अध्यापक के मूल पद पर नियुक्ति मिलनी थी, मगर इसी बीच 2014 में
प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर सीधे समायोजित कर
दिया। इसलिए याचीगण ने प्रशिक्षु सहायक अध्यापक के पद पर ज्वाइन नहीं
किया। 72825 सहायक अध्यापक भर्ती मामला शिवकुमार पाठक केस में सुप्रीमकोर्ट
में विचाराधीन भी था। 25 जुलाई 2017 को सुप्रीमकोर्ट ने शिक्षामित्रों का
समायोजन रद्द कर दिया है। कोर्ट ने शिवकुमार पाठक केस में 72825 सहायक
अध्यापकों का मामला भी निस्तारित कर दिया है, जिसमें स्वयं सुप्रीमकोर्ट ने
कहा कि इसमें अभी भी छह हजार पद रिक्त हैं। अधिवक्ता की दलील थी कि चूंकि
वह पद की योग्यता रखते हैं, इसलिए उनको प्रशिक्षु सहायक अध्यापक के पद पर
नियुक्ति दी जाए।
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