एटा: जेल में बंद शिक्षामित्रों से बुधवार को सपा विधायकों के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। बाद में एमएलसी असीम यादव ने कहा कि शिक्षामित्रों के आंदोलन को कुचलने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी
चाहिए।
जो लोग लाठीचार्ज और फायरिंग में शामिल रहे हैं, उन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो। आठ सितंबर को शिक्षामित्रों और पुलिस के बीच सर्किट हाउस के बाहर जमकर संघर्ष हुआ था। बवाल के बाद से 17 शिक्षामित्र जेल में बंद हैं। जेल में शिक्षामित्रों से मुलाकात के बाद बाहर आकर विधान परिषद सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे एमएलसी असीम यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने लोकतंत्र को मजाक बना रखा है। सरकार के मंत्री किसी से नहीं मिलते-जुलते, जबकि सपा के शासनकाल में शिक्षामित्र मंत्रियों से कभी भी मिल सकते थे। कहा कि पुलिस ने जान बूझकर संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी थी। 1शिक्षामित्रों पर 307 जैसी संगीन धारा का इस्तेमाल किया गया है। यहां तक कि महिला शिक्षामित्रों पर पुरुष पुलिस कर्मियों ने लाठियां बरसाईं। सपा इस पर चुप नहीं बैठेगी। सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। पार्टी शिक्षामित्रों के साथ है और उनके लिए आंदोलन करेगी। मामले की जांच रिपोर्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सौंपी जाएगी। प्रतिनिधि मंडल डेढ़ घंटे तक कारागार के अंदर रहा।
प्रतिनिधिमंडल के पहुंचने से पहले शिक्षामित्रों की पेशी: सपा ने जिला प्रशासन को दो दर्जन नेताओं के जाने की सूची सौंपी थी, लेकिन दर्जन भर नेताओं को ही जेल में जाने की अनुमति मिली। इनमें पांच एमएलसी डॉ. दिलीप यादव, असीम यादव, राजपाल शाक्य, उदयवीर सिंह, संजय लाठर के अलावा पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव, पूर्व विधायक अमित गौरव यादव, सपा जिलाध्यक्ष अशरफ हुसैन, शिक्षामित्र नेता दक्ष यादव आदि शामिल थे। उधर, प्रतिनिधिमंडल के पहुंचने से पहले सभी 17 शिक्षामित्रों को पेशी पर भेज दिया गया था।
इस पर सपा के विधायकों ने नाराजगी जताई और जेल प्रशासन के अधिकारियों से पूछा कि उन्हें पहले से क्यों नहीं बताया गया कि शिक्षामित्र पेशी पर गए हैं। इस पर जेल प्रशासन ने आनन-फानन में उनकी तारीख कराई और शिक्षामित्रों को एक घंटे के भीतर ही जेल में वापस लाया गया।
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चाहिए।
जो लोग लाठीचार्ज और फायरिंग में शामिल रहे हैं, उन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो। आठ सितंबर को शिक्षामित्रों और पुलिस के बीच सर्किट हाउस के बाहर जमकर संघर्ष हुआ था। बवाल के बाद से 17 शिक्षामित्र जेल में बंद हैं। जेल में शिक्षामित्रों से मुलाकात के बाद बाहर आकर विधान परिषद सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे एमएलसी असीम यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने लोकतंत्र को मजाक बना रखा है। सरकार के मंत्री किसी से नहीं मिलते-जुलते, जबकि सपा के शासनकाल में शिक्षामित्र मंत्रियों से कभी भी मिल सकते थे। कहा कि पुलिस ने जान बूझकर संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी थी। 1शिक्षामित्रों पर 307 जैसी संगीन धारा का इस्तेमाल किया गया है। यहां तक कि महिला शिक्षामित्रों पर पुरुष पुलिस कर्मियों ने लाठियां बरसाईं। सपा इस पर चुप नहीं बैठेगी। सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। पार्टी शिक्षामित्रों के साथ है और उनके लिए आंदोलन करेगी। मामले की जांच रिपोर्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सौंपी जाएगी। प्रतिनिधि मंडल डेढ़ घंटे तक कारागार के अंदर रहा।
प्रतिनिधिमंडल के पहुंचने से पहले शिक्षामित्रों की पेशी: सपा ने जिला प्रशासन को दो दर्जन नेताओं के जाने की सूची सौंपी थी, लेकिन दर्जन भर नेताओं को ही जेल में जाने की अनुमति मिली। इनमें पांच एमएलसी डॉ. दिलीप यादव, असीम यादव, राजपाल शाक्य, उदयवीर सिंह, संजय लाठर के अलावा पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव, पूर्व विधायक अमित गौरव यादव, सपा जिलाध्यक्ष अशरफ हुसैन, शिक्षामित्र नेता दक्ष यादव आदि शामिल थे। उधर, प्रतिनिधिमंडल के पहुंचने से पहले सभी 17 शिक्षामित्रों को पेशी पर भेज दिया गया था।
इस पर सपा के विधायकों ने नाराजगी जताई और जेल प्रशासन के अधिकारियों से पूछा कि उन्हें पहले से क्यों नहीं बताया गया कि शिक्षामित्र पेशी पर गए हैं। इस पर जेल प्रशासन ने आनन-फानन में उनकी तारीख कराई और शिक्षामित्रों को एक घंटे के भीतर ही जेल में वापस लाया गया।
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