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Shikshamitra : शिक्षामित्रों का ताप न भांप सकी पुलिस

एटा: शिक्षामित्रों का यह आंदोलन नया नहीं था, लेकिन दो दिन से वे कुछ ज्यादा ही उग्र होते जा रहे थे। शुक्रवार को भी सीओ सिटी और इंस्पेक्टर के साथ शिक्षामित्रों की झड़प हुई थी, लेकिन तब पुलिस ने सूझबूझ से काम लिया, वरना गुरुवार को ही बवाल हो गया होता।
पुलिस से चूक यह हुई कि शिक्षामित्रों को सर्किट हाउस के बाहर इकट्ठे होने दिया, जहां ईंटों के ढेर लगे थे।1माना यह भी जा रहा है कि बार-बार आश्वासन मिलने से शिक्षामित्रों के सब्र का पैमाना छलक उठा। समय रहते अगर शिक्षामित्रों का गुस्सा पुलिस प्रशासन भांप लेता तो शायद इतनी बड़ी घटना नहीं होती। गुरुवार को शिक्षामित्रों ने जीटी रोड जाम कर अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया था। पुलिस को यह भलीभांति पता था कि शिक्षामित्रों का आंदोलन खत्म नहीं हुआ है और कभी भी उग्र हो सकता है। ऐसे में सर्किट हाउस पर शुक्रवार को सुबह से ही शिक्षामित्रों का जमावड़ा शुरू हो गया था। वे सड़क पर धरना देकर बैठे थे। प्रशासन को यह भलीभांति पता था कि यहां आवास एवं शहरी नियोजन तथा व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री सुरेश पासी आ रहे हैं। फिर भी सर्किट हाउस के बाहर शिक्षामित्रों को एकत्रित होने दिया। पुलिस से यहां एक और भूल हुई कि जो बैरियर लगाए उस स्थान से थोड़ा आगे किसी मकान के निर्माण के लिए ईंटों का ढेर पड़ा था। शिक्षामित्र वहीं सड़क पर बैठे थे। अगर यही बैरियर थोड़ा और आगे बढ़कर लगाए होते तो शिक्षामित्रों को पथराव के लिए ईंट नहीं मिल पातीं। जब प्रदर्शनकारियों का सब्र जवाब दे गया, तो उन्हें अपनी उग्रता दिखाने के लिए ईंटों के रूप में हथियार मिल गए। इन्हीं ईंटों से पथराव किया। हालांकि यह भूल घटना के बाद पुलिस की समझ में आ गई और पुलिसकर्मी इस गलती पर बाद में अफसोस जता रहे थे। वे यह मान रहे थे कि थोड़ी सी भूल उन्हें भारी पड़ गई। सर्किट हाउस में मंत्री पहुंचेंगे इस बारे में प्रशासन को पहले से ही जानकारी थी। शिक्षामित्र मंत्री से मिलना चाहते थे। ऐसे में सुबह से संगठन के नेताओं से संपर्क साधकर बातचीत के लिए प्रतिनिधि मंडल को तैयार किया जा सकता था। हालांकि यह काम हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो गई। मंत्री जब सर्किट हाउस पहुंचे, तब अधिकारियों ने पांच शिक्षामित्रों को अंदर जाने की इजाजत देने की बात कही। शिक्षामित्र चाहते थे कि मंत्री मौके पर ही आकर उनसे मिलें।

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