बड़ौत: टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) के दौरान पकड़े गए दो मुन्नाभाई ने
एसटीएफ की पूछताछ में बड़ा पर्दाफाश किया है। शिक्षा माफिया के इस गिरोह का
साम्राज्य देश के छह राज्यों में फैला हुआ है।
माफिया द्वारा करीब चार दर्जन अभ्यर्थियों को परीक्षा पास कराने का झांसा देकर एक करोड़ से अधिक की रकम ली गई थी। रहस्योद्घाटन के बाद एसटीएफ ने सिविल पुलिस संग मिलकर गिरोह के सदस्यों की तलाश शुरू कर दी है।
15 अक्टूबर को हुई परीक्षा के दौरान बड़ौत के जनता वैदिक इंटर कालेज से एसटीएफ मेरठ ने विनय निवासी बावली व रविंद्र निवासी मोहनपुर तहसील फरीदपुर बरेली, हाल निवासी गौड़ सिटी नोएडा को दबोचा था। ये दोनों किसी दूसरे अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा दे रहे थे। दोनों के विरुद्ध कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है। विनय बावली जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ चुका है, लेकिन हार गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, एसटीएफ की पूछताछ में दोनों ने अपना गुनाह स्वीकार किया है। इन दोनों के अलावा तीन दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों से मोटी रकम ली थी। उन्हें झांसा दिया गया था कि वह परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करा देंगे।
सूत्रों की मानें तो इस गिरोह के तार उप्र. के अलावा हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र से भी जुड़े हैं। पूर्व में भी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र आउट करने के भी इस गिरोह पर आरोप लगे हैं। एसटीएफ और पुलिस गिरोह के सरगना तक पहुंचने की जुगत लगा रही है।
कौन है मास्टर माइंड?
अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि गिरोह के पीछे किसका दिमाग चल रहा है। अभ्यर्थियों से किस तरह से रकम ऐंठी जाती है। इतना जरूर पता चला है कि गिरोह के सदस्यों की कुछ को¨चग सेंटरों पर भी पकड़ है। सेंटर संचालकों की मदद से ही यह गिरोह अभ्यर्थियों को फंसाता है।
इन्होंने कहा..
आरोपियों से कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।
- रामानंद कुशवाहा, सीओ-बड़ौत।
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माफिया द्वारा करीब चार दर्जन अभ्यर्थियों को परीक्षा पास कराने का झांसा देकर एक करोड़ से अधिक की रकम ली गई थी। रहस्योद्घाटन के बाद एसटीएफ ने सिविल पुलिस संग मिलकर गिरोह के सदस्यों की तलाश शुरू कर दी है।
15 अक्टूबर को हुई परीक्षा के दौरान बड़ौत के जनता वैदिक इंटर कालेज से एसटीएफ मेरठ ने विनय निवासी बावली व रविंद्र निवासी मोहनपुर तहसील फरीदपुर बरेली, हाल निवासी गौड़ सिटी नोएडा को दबोचा था। ये दोनों किसी दूसरे अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा दे रहे थे। दोनों के विरुद्ध कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है। विनय बावली जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ चुका है, लेकिन हार गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, एसटीएफ की पूछताछ में दोनों ने अपना गुनाह स्वीकार किया है। इन दोनों के अलावा तीन दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों से मोटी रकम ली थी। उन्हें झांसा दिया गया था कि वह परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करा देंगे।
सूत्रों की मानें तो इस गिरोह के तार उप्र. के अलावा हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र से भी जुड़े हैं। पूर्व में भी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र आउट करने के भी इस गिरोह पर आरोप लगे हैं। एसटीएफ और पुलिस गिरोह के सरगना तक पहुंचने की जुगत लगा रही है।
कौन है मास्टर माइंड?
अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि गिरोह के पीछे किसका दिमाग चल रहा है। अभ्यर्थियों से किस तरह से रकम ऐंठी जाती है। इतना जरूर पता चला है कि गिरोह के सदस्यों की कुछ को¨चग सेंटरों पर भी पकड़ है। सेंटर संचालकों की मदद से ही यह गिरोह अभ्यर्थियों को फंसाता है।
इन्होंने कहा..
आरोपियों से कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।
- रामानंद कुशवाहा, सीओ-बड़ौत।
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