आगरा। सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षामित्रों को हर
बार बुरी खबर ही मिली है, लेकिन ये खबर बेहद परेशान कर देने वाली है। योगी
सरकार द्वारा शिक्षामित्रों के लिए 10 हजार रुपये के मानदेय की घोषणा की गई
थी, लेकिन इस बार इस मानदेय में से भी कटौती कर ली गई है।
वो भी 50 फीसद तक की। इस कटौती को लेकर शिक्षामित्र परेशान हैं। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि सरकार शिक्षामित्रों के साथ धोखा कर रही है।
इसलिए मिल रहा कम मानदेय
शिक्षामित्रों का मानदेय 10 हजार से कम आने पर बीएसए अर्चना गुप्ता ने बताया कि शासन के स्पष्ट आदेश हैं, कि शिक्षामित्रों को उनकी विद्यालय में उपस्थिति के आधार पर मानदेय दिया जाए। अब शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद जो प्रदर्शन किया और उन दिनों स्कूल नहीं पहुंचे, उन्ही दिनों का मानदेय काट लिया गया है। यही कारण है कि इस बार मानदेय शिक्षामित्रों को कम मिला है। शिक्षामित्रों को उनकी उपस्थिति के आधार पर ही मानदेय दिया जाएगा।
ये बोले शिक्षामित्र
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि समायोजन रद्द होने के बाद अभी तक 50 फीसद शिक्षामित्रों का मानदेय भी नहीं आया है और जिन शिक्षामित्रों का मानदेय आया है, वो 50 फीसद से अधिक कटा हुआ है। उन्होंने बताया कि शिक्षामित्र लोकतांत्रिक तरीके से अपने हक की लड़ाई के लिए आंदोलन कर रहे थे, उस दौरान का वेतन काटा जाना न्याय प्रिय नहीं है। उन्होंने बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार उनके साथ धोखा कर रही है। वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि शिक्षामित्रों ने अपने जीवन का अमूल्य समय शिक्षा विभाग को दिया है, अब उन्हीं से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, ये सही नहीं है।
तीन माह का है भुगतान
सुप्रीम कोर्ट से 25 जुलाई को समायोजन रद्द होने के बाद से शिक्षामित्रों को मानदेय नहीं मिला है। जुलाई माह में बचे हुए दिनों का बकाया इन्हें मिल गया था। उसके बाद आंदोलन के दौरान जब सीएम योगी से शिक्षामित्रों ने मुलाकात की थी, तो इनका मानदेय साढ़े तीन हजार से बढ़ाकर 10 हजार करने की बात कही गई थी, लेकिन जितने दिन आंदोलन की वजह से शिक्षामित्र स्कूल नहीं पहुंचे, उन दिनों का वेतन काटकर सरकार शिक्षामित्रों के साथ अच्छा नहीं कर रही है।
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वो भी 50 फीसद तक की। इस कटौती को लेकर शिक्षामित्र परेशान हैं। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि सरकार शिक्षामित्रों के साथ धोखा कर रही है।
इसलिए मिल रहा कम मानदेय
शिक्षामित्रों का मानदेय 10 हजार से कम आने पर बीएसए अर्चना गुप्ता ने बताया कि शासन के स्पष्ट आदेश हैं, कि शिक्षामित्रों को उनकी विद्यालय में उपस्थिति के आधार पर मानदेय दिया जाए। अब शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद जो प्रदर्शन किया और उन दिनों स्कूल नहीं पहुंचे, उन्ही दिनों का मानदेय काट लिया गया है। यही कारण है कि इस बार मानदेय शिक्षामित्रों को कम मिला है। शिक्षामित्रों को उनकी उपस्थिति के आधार पर ही मानदेय दिया जाएगा।
ये बोले शिक्षामित्र
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि समायोजन रद्द होने के बाद अभी तक 50 फीसद शिक्षामित्रों का मानदेय भी नहीं आया है और जिन शिक्षामित्रों का मानदेय आया है, वो 50 फीसद से अधिक कटा हुआ है। उन्होंने बताया कि शिक्षामित्र लोकतांत्रिक तरीके से अपने हक की लड़ाई के लिए आंदोलन कर रहे थे, उस दौरान का वेतन काटा जाना न्याय प्रिय नहीं है। उन्होंने बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार उनके साथ धोखा कर रही है। वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि शिक्षामित्रों ने अपने जीवन का अमूल्य समय शिक्षा विभाग को दिया है, अब उन्हीं से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, ये सही नहीं है।
तीन माह का है भुगतान
सुप्रीम कोर्ट से 25 जुलाई को समायोजन रद्द होने के बाद से शिक्षामित्रों को मानदेय नहीं मिला है। जुलाई माह में बचे हुए दिनों का बकाया इन्हें मिल गया था। उसके बाद आंदोलन के दौरान जब सीएम योगी से शिक्षामित्रों ने मुलाकात की थी, तो इनका मानदेय साढ़े तीन हजार से बढ़ाकर 10 हजार करने की बात कही गई थी, लेकिन जितने दिन आंदोलन की वजह से शिक्षामित्र स्कूल नहीं पहुंचे, उन दिनों का वेतन काटकर सरकार शिक्षामित्रों के साथ अच्छा नहीं कर रही है।
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