पीसीएस 2011 की मुख्य परीक्षा परिणाम निशाने पर, भर्तियों में गड़बड़ी फिर सतह पर

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग की भर्तियों में गड़बड़ी फिर सतह पर आ गई हैं। सीबीआइ की ओर से जांच का नोटीफिकेशन जारी होने के बाद अब उन भर्तियों पर सभी की विशेष निगाह है, जिनको लेकर विवाद, आंदोलन हुए। इनमें पीसीएस 2011 की मुख्य परीक्षा का परिणाम सबसे ऊपर है।
यही से आयोग और प्रतियोगियों के खिलाफ जंग शुरू हुई है, जो अब तक बिना रुके जारी है।
उप्र लोकसेवा आयोग ने जुलाई 2013 में पीसीएस 2011 की मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी किया। जिसमें नियमों को ताक पर रखकर तत्कालीन आयोग अध्यक्ष ने मुख्य परीक्षा में ही आरक्षण लागू किया। जिसके विरुद्ध 10 जुलाई 2013 को पहली बार आयोग के मुख्य गेट पर छात्रों का उग्र प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन कर रहे प्रतियोगियों पर आयोग अध्यक्ष व शासन के इशारे पर लाठीचार्ज हुआ। यह प्रकरण प्रतियोगी मोर्चा के अवनीश पांडेय व अन्य अभ्यर्थी हाईकोर्ट लेकर पहुंचे। उच्च न्यायालय में त्रिस्तरीय आरक्षण का फामरूला टिक नहीं सका। आयोग को उच्च न्यायालय में हलफनामा देकर अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। यही नहीं मुख्य परीक्षा का परिणाम दोबारा जारी करने के लिए आयोग को मजबूर होना पड़ा। दोबारा घोषित हुए रिजल्ट में 176 ओबीसी अभ्यर्थी बाहर हुए। आरोप है कि यह सभी एक ही जाति के थे। प्रतियोगी अवनीश बताते हैं कि उस समय सामान्य वर्ग के 151 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। लेकिन, इनमें से कोई भी अभ्यर्थी अंतिम रूप से चयनित नहीं हो सका। 1अंतिम रिजल्ट के बाद जारी अंकों से स्पष्ट हुआ कि कुछ खास अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में अधिक अंक देकर सफल कराया गया है। यह प्रकरण अब भी हाईकोर्ट में लंबित है। माना जा रहा है कि सपा शासनकाल की पांच वर्षो की भर्तियों की जांच में सबसे पहले इसी प्रकरण की सच्चाई अब सीबीआइ सामने लाएगी। हालांकि इस रिजल्ट के पहले भी सीधी भर्ती के कई छोटे परिणाम आए, उनमें भी चयनित अभ्यर्थियों को लेकर सवाल उठे, लेकिन प्रतियोगी शांत रहे, जब पीसीएस 2011 का रिजल्ट आया तो आंदोलन तेज हुआ।

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