इलाहाबाद : देर से ही सही लेकिन, उप्र लोकसेवा आयोग अब सीबीआइ के रडार पर आ गया है। सपा शासन के पांच साल में हुई सभी भर्तियों में धांधली उजागर करने के लिए पन्ने पलटे जाएंगे तो कइयों के फंसने का अंदेशा है।
भर्तियों की जांच के लिए केंद्रीय कार्मिक मंत्रलय के नोटिफिकेशन और अब सीबीआइ की भी सहमति के बाद आयोग में हलचल मच गई है। टीम आयोग में कभी भी धमक सकती है इस डर से पूर्व अध्यक्ष के चहेतों ने पुराने रिकार्ड ठिकाने लगाने को तिकड़म कर रहे हैं।
आयोग में सपा शासन के पांच वर्षो में प्रशासनिक अधिकारियों सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों पर हुए चयन में धांधली का ताना-बाना पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव से जुड़ा है। हालांकि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के पहले ही अनिल यादव हटाए जा चुके हैं लेकिन, उनके करीब अब भी आयोग में हैं। उधर सीबीआइ सबसे पहले मामले की प्राथमिकी दर्ज कराने का कदम उठाने जा रही है ऐसे में माना जा रहा है कि टीम आयोग में कभी भी आ सकती है या भर्ती में धांधली से संबंधित लोगों को कहीं से भी उठाकर पूछताछ की शुरुआत कर सकती है। ऐसे में आयोग में भी हलचल तेज है। परीक्षाओं संबंधी अभिलेख निश्चित अवधि के बाद नष्ट कर देने का नियम है ऐसे में तीन से चाल साल पहले हुई पीसीएस सहित अन्य परीक्षाओं के रिकार्ड तो मिलना मुश्किल है लेकिन, इसके मूल डाटा और सफल अभ्यर्थियों के अंकपत्रों के आधार पर सीबीआइ टीम को पुराने रिकार्ड मिल भी सकते हैं। जांच का आधार भी सीबीआइ उसी को बना सकती है। इन संभावनाओं के मद्देनजर आयोग में गुपचुप ढंग से बचाव का साधन तलाशा जाने लगा है। सूत्र बताते हैं कि कुछ कर्मचारी अभी भी पूर्व अध्यक्ष के संपर्क में हैं जो पुराने रिकार्ड को ठिकाने लगाने की कोशिश में हैं। आयोग का कहना है कि न तो अभी तक कोई सूचना आई है और न ही किसी विभाग में रिकार्ड से छेड़छाड़ जैसी कोई बात है। आयोग ने गुपचुप ढंग से रिकार्ड ठिकाने लगाने की सूचना को अफवाह बताया है।
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भर्तियों की जांच के लिए केंद्रीय कार्मिक मंत्रलय के नोटिफिकेशन और अब सीबीआइ की भी सहमति के बाद आयोग में हलचल मच गई है। टीम आयोग में कभी भी धमक सकती है इस डर से पूर्व अध्यक्ष के चहेतों ने पुराने रिकार्ड ठिकाने लगाने को तिकड़म कर रहे हैं।
आयोग में सपा शासन के पांच वर्षो में प्रशासनिक अधिकारियों सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों पर हुए चयन में धांधली का ताना-बाना पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव से जुड़ा है। हालांकि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के पहले ही अनिल यादव हटाए जा चुके हैं लेकिन, उनके करीब अब भी आयोग में हैं। उधर सीबीआइ सबसे पहले मामले की प्राथमिकी दर्ज कराने का कदम उठाने जा रही है ऐसे में माना जा रहा है कि टीम आयोग में कभी भी आ सकती है या भर्ती में धांधली से संबंधित लोगों को कहीं से भी उठाकर पूछताछ की शुरुआत कर सकती है। ऐसे में आयोग में भी हलचल तेज है। परीक्षाओं संबंधी अभिलेख निश्चित अवधि के बाद नष्ट कर देने का नियम है ऐसे में तीन से चाल साल पहले हुई पीसीएस सहित अन्य परीक्षाओं के रिकार्ड तो मिलना मुश्किल है लेकिन, इसके मूल डाटा और सफल अभ्यर्थियों के अंकपत्रों के आधार पर सीबीआइ टीम को पुराने रिकार्ड मिल भी सकते हैं। जांच का आधार भी सीबीआइ उसी को बना सकती है। इन संभावनाओं के मद्देनजर आयोग में गुपचुप ढंग से बचाव का साधन तलाशा जाने लगा है। सूत्र बताते हैं कि कुछ कर्मचारी अभी भी पूर्व अध्यक्ष के संपर्क में हैं जो पुराने रिकार्ड को ठिकाने लगाने की कोशिश में हैं। आयोग का कहना है कि न तो अभी तक कोई सूचना आई है और न ही किसी विभाग में रिकार्ड से छेड़छाड़ जैसी कोई बात है। आयोग ने गुपचुप ढंग से रिकार्ड ठिकाने लगाने की सूचना को अफवाह बताया है।
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