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देश के अप्रशिक्षित शिक्षकों को अगले दो साल में प्रशिक्षित करने का फैसला, गुणवत्तापरक शिक्षा की दिशा में तेज बढ़ते कदम

किसी भी देश या समाज के विकास के लिए उसके लोगों का शिक्षित होना जरूरी है। लेकिन, यह शिक्षा कैसी हो? क्या यह सिर्फ साक्षर या कागजी डिग्री जुटाने भर तक सीमित हो या फिर गुणवत्तापरक और समाज को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने वाली हो।
मौजूदा सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने के लिए कुछ ऐसी ही पहल की है।
पीछे मुड़कर देखें तो निराशा होती है। अपने संस्थान विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पा रहे थे। पर स्थिति बदली है। आज देश के 103 उच्च शिक्षण संस्थानों ने खुद को विश्वस्तरीय बनाने को लेकर रुचि दिखाई है। देश के 20 संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने को लेकर चल रही प्रतिस्पर्धा में इन संस्थानों ने आवेदन दिया है। इनमें सरकारी और निजी शिक्षण संस्थान दोनों शामिल हैं। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर सरकार ने कुछ ऐसी ही पहल की है। इसके तहत स्कूलों में पढ़ा रहे सभी 13 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को अगले दो साल में प्रशिक्षित करने का फैसला लिया है। देशभर में 10वीं और 12वीं का एक जैसा पाठ्यक्रम और परीक्षा का पैटर्न रखने को लेकर सरकार तेजी से बढ़ रही है। सरकार ने शिक्षा को समाज से जोड़ने के लिए भी हैकथान जैसी प्रतिस्पर्धाएं शुरू की हैं। इसके तहत इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों में नए इनोवेशन और शोध को प्रमोट किया जा रहा है।

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