यूपीटेट-2017 की याचिका माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खण्ड पीठ में योजित 28222/2017 की अब तक समेकित समीक्षा

*यूपीटेट-2017 की याचिका माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खण्ड पीठ में योजित 28222/2017 की अब तक समेकित समीक्षा :-*

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साथियों! जैसा कि 22 नवंबर 2017 को हमारे पक्ष में पहला ऑर्डर जस्टिस चौधरी जी के बेंच से पास हुआ, जिसमे लिखा गया- *If any result is declared by respondents, it shall be subject to final decision of this writ petition.*
अर्थात- *रेस्पांडेंट यानी पीएनपी द्वारा यदि कोई परिणाम घोषित किया जाता है, तो वह परिणाम 28222/2017 के अंतिम जजमेंट के अधीन रहेगा।*
        इसका सीधा सा अर्थ ये है कि संशोधन होना तय है, टेट रिजल्ट में।
जस्टिस चौधरी जी द्वारा अपने प्रत्येक ऑर्डर में बहुत मजबूती के साथ हमारे केस को फाइंड आउट किया गया। जिस क्रम में 13/12/2017 में कहा गया कि-
         *This is a serious matter as large number of students which areclaimed to be around 10 lakhs are impacted by the result of thepetition.*
अर्थात- *यह एक बहुत ही गंभीर मामला है, जिससे लगभग 10 लाख अभ्यर्थियों का परिणाम प्रभावित है।*
यहां मैं आपको एक बात कहना चाहूंगा, कोर्ट प्रोसिडिंग के अंतर्गत कागज में लिखे शब्दो का महत्त्व कोई नकार नही सकता चाहे वो कितना भी बड़ा तुर्रमखान ही क्यों न हो?

‎      ‎अब चलते है कूटनीति की तरफ जिसके अंतर्गत सरकार की ओर से हमे कमजोर करने के लिए एक चाल 30/01/2018 को चली गई, जिसमे कहा गया-
      *An objection is raised by the learned standing counsel that these mattersare not service matters.*
       अर्थात- *लरनेड स्टैंडिंग काउंसल यानी पीएनपी के अधिवक्ता की तरफ से ऑब्जेक्शन है कि यह सर्विस मैटर नही है।*     इसी दिन हमारी बेंच चेंज हुई थी। फिर भी हम कमजोर नही हुए जस्टिस चौधरी जी द्वारा मामले की अर्जेंसी दिखा कर सीनियर जज से तत्काल यानी 31/01/2018 को ही उचित बेंच में मामले को ट्रांसफर कर सुनवाई की बात रिटेन में कही गयी इस ऑर्डर में जस्टिस चौहान जी द्वारा हमारे पालनहार अधिवक्ता *श्री अमित भदौरिया* साहब के निवेदन से यह भी कहा गया कि लिखित परीक्षा के आवेदन की अंतिम तिथि 05/02/2018 है। जिसका प्रभाव यह हुआ कि तुरंत ही सीनियर जज साहब ने केस को कोर्ट नंबर 23 में जस्टिस चौहान जी को नॉमिनेटेड कर दिया। अभी तक कोर्ट का रुख पीड़ित पक्ष की तरफ है। 31/01/2018 को 3:30 बजे शाम को चौहान साहब की बेंच में सुनवाई हुई, जिसमे हमारे पालनहार अधिवक्ता श्री अमित भदौरिया जी द्वारा केस की पेपर बुक उपलब्ध कराई गई, जिसे पीएनपी के वकील ने रिसीव करते हुए कहा कि मैं अभी केस को लेकर प्रिपेयर नही हूँ, जिस पर जस्टिस चौहान ने कहा-
       *However, the learned counsel for the petitioners have submitted that in the aforesaid matterthe arguments have already been advanced by both the parties and since the paper-book ofthis case was put up before the Hon'ble Senior Judge for nomination, therefore, the learnedStanding Counsel cannot say that they are not prepared.Looking into the urgency of the matter, the case is fixed for tomorrow 1.2.2018.*
          अर्थात:- *याचियों के अधिवक्ता ने जब केस नॉमिनेशन के पहले केस से संबंधित सभी कागजात विपक्षी को उपलब्ध करा दिए हैं, तो आप ये नही कह सकते हैं कि प्रिपेयर नही है। इस केस की गंभीरता को देखते हुए कल यानी अगले दिन की डेट 1.2.2018 फिक्स की जाती है। यहाँ सरकार की एक और चाल विफल हो गयी।*
          *सबसे महत्त्वपूर्ण सुनवाई 2 फरवरी में हुई जिसमें जस्टिस चौहान जी द्वारा याचियों हेतु प्रोटेक्शन प्रदान की गई, जिसके अंतर्गत 5 फरवरी पंजीकरण की डेट को बढ़ाकर 12 फरवरी किया गया। इन सब कार्यवाही के बीच एक बार फिर से 12 फरवरी को बढ़ाकर 19 फरवरी किया गया। जिसके विरोध में सरकार डबल बेंच गयी, किन्तु वहाँ भी इन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा और सरकार की अपील खारिज हो गयी। जो हमारे लिए आज भी बड़ी उपलब्धि है। यह उपलब्धि 6 मार्च के जजमेंट को प्रभावी बनाएगी।*
          ‎इसी के साथ अगली बहस में कई चीजें निकल कर सामने आई जिसमे 16 प्रश्न डिस्प्यूटेड, 5 आउट ऑफ सिलेबस, पैराग्राफ टेट 2017 का नियमानुसार न होना आदि कमियों पर कोर्ट की मुहर लगी, सरकार की आनाकानी के मद्देनजर जस्टिस चौहान जी ने याचियों की प्रोटेक्शन को 19 फरवरी से बढ़ाकर जब तक केस फाइनल नही हो जाता तब तक के लिए कर दिया। इस संबंध में निष्कर्ष यह है कि, नियमत: फाइनल ऑर्डर के बाद उत्तीर्ण याचियों को लिखित आवेदन का मौका 6 मार्च के बाद दिया जाएगा, इसको कोई भी ताकत रोक नही सकती।
          ‎उपरोक्त सभी कार्यवाही के बाद अंततः 28 फरवरी को कोर्ट में फैसला सुरक्षित कर लिया, जिसे 6 मार्च को सुनाया जाएगा, अभी तक के विश्लेषण में हमारा पक्ष मजबूत है, आप सभी को परेशान होने की आवश्यकता नही है। हम अपना अधिकार लेकर रहेंगे, कोई कितनी भी मनमानी कर ले? रही बात प्रश्नो के सही होने या गलत होने की तो इस क्राइटेरिया का निर्धारण कोर्ट को करना है कि किस हिसाब से मार्किंग ही जिससे किसी का नुकसान न हो, इस संबंध में कुछ कहना जल्दबाजी होगी, अतः आप सभी 6 मार्च का इंतज़ार करिये हमारी रणनीति मजबूत है, बस आखिरी तक आपका साथ चाहिए।
          *हम सब मिलकर शपथ लेते हैं कि- ‎हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हम अपनी लड़ाई लड़ने के लिए बाध्य रहेंगे।*
उक्त जानकारी के साथ
जय महाकाल
प्रदीप पाल
जनपद - इलाहाबाद

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