Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

महाविद्यालयों में ‘भगवान भरोसे’ होगा शिक्षण कार्य, शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विद्यालय

इलाहाबाद : अशासकीय महाविद्यालयों में विभिन्न विषयों की पढ़ाई पहले भी भगवान भरोसे चल रही थी, आगे भी वही हाल होने वाला है। उप्र उच्च शिक्षा सेवा आयोग से विज्ञापन 37 के तहत आरक्षित वर्ग के 138 पदों पर परिणाम पिछले दिनों जारी हुआ, इन पदों पर रिक्तियां 15 साल से हैं।
इस बीच महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य कैसे चलता रहा यह बड़ा सवाल है। परिणाम अब निकलने पर तमाम चयनित 40 से 50 साल के हो चुके हैं, वहीं, अधिकांश के अध्ययन का सिलसिला भी सालों पहले टूट चुका है।1आयोग ने विज्ञापन 37 के तहत सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए आवेदन 2003 में मांगे थे। इसका साक्षात्कार जुलाई 2005 से अगस्त 2006 तक हुआ। इस बीच विज्ञापन के विरुद्ध मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। हाईकोर्ट के फैसले के अनुपालन में शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा ने 18 विषयों के 138 पदों का अधियाचन आयोग को उपलब्ध कराया गया। जिस पर आवेदकों का साक्षात्कार हुआ। इसमें शामिल कई अभ्यर्थियों की मानें तो जिस समय विज्ञापन जारी हुआ था तब अधिकांश अभ्यर्थियों की उम्र 35 साल के आसपास थी। 2018 में उनकी उम्र 50 साल के आसपास है। अमूमन 40 साल की आयु पार होने पर कहीं नियुक्ति की उम्मीद न देख प्रतियोगियों का अध्ययन से नाता टूटने लगता है। ऐसे में अब परिणाम निकलने और नियुक्ति हो भी जाने पर महाविद्यालयों में वे कैसे शिक्षण कार्य करेंगे। वहीं अभ्यर्थियों को इस पर भी संदेह है कि 15 साल पहले कालेजों में जो रिक्तियां थीं उन्हें आयोग से भर्ती न होने पर प्रबंधन कोटे से, सरकार और कोर्ट से विशेष अनुमति लेकर या अन्य किसी माध्यम से पूरा कर लिया गया होगा।

sponsored links:

Post a Comment

0 Comments

latest updates

latest updates