पांच सौ से अधिक शिक्षकों को नियुक्ति नहीं दे रही सरकार

इलाहाबाद।  72825 प्रशिक्षु/सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में चयनित हो चुके 66655 अभ्यर्थियों में से पांच सौ से अधिक शिक्षकों को सरकार नियुक्ति नहीं दे रही है। अभ्यर्थियों का कहना है कि वे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से आच्छादित हैं, इसके बावजूद उनको नियुक्ति नहीं दी जा रही है।
चयनित अभ्यर्थी अमित कुमार और 474 अन्य ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली है। उनकी याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने प्रदेश सरकार को 17 मार्च तक हलफनामा दाखिल कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि याचीगण 72825 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में शामिल थे। इस बीच सरकार ने बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में 15 वां संशोधन किया, जिसके खिलाफ तमाम अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने संशोधन रद्द कर दिया। मामला सुप्रीमकोर्ट पहुंचा। सुप्रीमकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए सभी पात्र अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का आदेश दिया। 17 दिसंबर 2016 को याचीगण को नियुक्ति पत्र दे दिया गया। उनको छह माह के प्रशिक्षण पर भेज दिया गया। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद प्रमाणपत्र भी दे दिया गया। इस बीच 25 जुलाई 2017 को सुप्रीमकोर्ट का अंतिम आदेश आ गया। सुप्रीमकोर्ट ने 15वें संशोधन को सही माना, मगर 72825 अध्यापक भर्ती में नियुक्ति पा चुके 66655 अध्यापकों को प्रोटेक्शन देते हुए उनकी नियुक्ति को सही मान लिया। याचीगण भी 66655 अध्यापकों में शामिल हैं, मगर उनको आज तक नियुक्ति नहीं दी गई है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा परिषद सचिव इलाहाबाद ने सात सितंबर, दस अक्तूबर 2017 और 30 जनवरी 2018 को शासन को पत्र लिखकर दिशा निर्देश मांगा है, साथ ही यह भी अवगत कराया है कि याचीगण सुप्रीमकोर्ट के निर्णय से आच्छादित हैं। इसके बावजूद शासन ने आज तक कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया है। कोर्ट ने सरकार से 17 मार्च तक जवाब मांगा है।
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