इलाहाबाद। प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) भर्ती 2009 और 2010 के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने 2014 में जारी हुए संशोधित परिणाम में से चयनित अभ्यर्थियों को बाहर किए जाने पर रोक लगा दी है और उन्हे चयन सूची में बनाये रखने को कहा है। हाईकोर्ट ने संशोधित परिणाम में नए
चयनित अभ्यर्थियों को गैर विज्ञापित पदों पर या आगे आने वाली भर्तियों के पदों पर नियुक्ति देने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों को नौकरी पर रखे जाने का रास्ता साफ हो गया है । हालांकि हाईकोर्ट ने पूर्व चयनित अभ्यर्थियों को राहत देने के साथ ही नए चयनित अभ्यर्थियों के लिए भी रास्ता खोल दिया है और कई सालों से अधर में लटकी इस भर्ती के अब पूरी होने की उउम्मीद है।
क्या है मामला
यूपी में 2009 में 2010 में अलग-अलग विषयों के लिए प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक भर्ती शुरू हुई। 2012 में इसका अंतिम चयन परिणाम घोषित हुआ, लेकिन हाईकोर्ट में मामला जाने के बाद इसका परिणाम रद्द कर दिया गया और संशोधित परिणाम घोषित करने का आदेश जारी हुआ। 2014 में संशोधित परिणाम घोषित किया गया तो कई अभ्यर्थी चयनित सूची से बाहर हो गए और कई बाहर रहे अभ्यर्थी चयनित सूची में शामिल हो गए। इसे लेकर फिर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है और पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों को राहत देते हुए उन्हें नौकरी पर रखे जाने का निर्देश दिया है। जबकि नए चयनित अभ्यर्थियों को गैर विज्ञापित पदों वह आगे आने वाली भर्तियों पर समायोजित करने का आदेश दिया है।
अधर में लटका था भविष्य
2009 में शुरू हुई यह भर्ती लगातार लंबी खिंचती चली गई और सैकड़ों अभ्यार्थियों के भविष्य से जुडी इस भर्ती में कई सालों से उनका भविष्य अधर में लटका हुआ था। हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2009 में कला टीचर के लिये 361 पदों प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक भर्ती शुरू हुई। इसके साथ ही संस्कृत के 275 पदों पर भर्ती शुरू हुई। भर्ती प्रक्रिया चल ही रही थी कि 2010 में बायोलॉजी के लिए भी 218 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ। भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई और 2012 में इसका रिजल्ट जारी किया गया। रिजल्ट जारी होने के बाद कुछ अभ्यार्थी हाईकोर्ट चले गये और रिजल्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई । अभ्यर्थियों ने कई प्रश्नों के उत्तर पर सवाल उठाए और दावा किया कि उत्तर गलत है। मामले की गंभीरता देखते हुए हाईकोर्ट ने विशेषज्ञों के द्वारा प्रश्नों पर राय जानी और फिर संशोधित परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
2014 में आया संशोधित रिजल्ट
23 अप्रैल 2014 को हाईकोर्ट के आदेश पर इन भर्तियों का संशोधित रिजल्ट जारी हुआ, जिसमें कई ऐसे अभ्यर्थी चयन से बाहर हो गए जिनका पहला सिलेक्शन हुआ था, जबकि कई अभ्यर्थी ऐसे चयनित हो गए जो पहली सूची में बाहर थे। चयन सूची से बाहर हुए अभ्यर्थियों ने फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में विशेष अपील की, जिस पर डबल बेंच ने सुनवाई करते हुये एकल पीठ के आदेश को रद्द करते हुए मामला नए सिरे से तय करने का आदेश दिया।
अब बदल गया फैसला
डबल बेंच के आदेश के बाद एकलपीठ में जस्टिस संगीता चंद्रा ने इस मामले की सुनवाई शुरू की और कुछ पुराने मामलों पर कोर्ट के निर्णय वाली दलील सुनने के बाद ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि संशोधित परिणाम में चयन सूची से बाहर हुए अभ्यर्थियों को फिर से चयन सूची में शामिल कर लिया जाए जो अभ्यर्थी संशोधित चयन सूची में नए आए हैं उन्हें गैर विज्ञापित पदों या आगे आने वाली भर्तियों के पदों पर नियुक्ति दी जाए गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट मे कला टीचरों की ओर से ओम प्रकाश यादव व अन्य, संस्कृत टीचर की ओर से संतोष कुमार तिवारी व अन्य तथा बायोलॉजी टीचर के लिए विनोद कुमार चौधरी व अन्य ने अलग-अलग याचिका दाखिल की थी जिस पर संयुक्त सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने यह आदेश सुनाया है।
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